शहडोल। गैंगस्टर विकास दुबे शुक्रवार को पुलिस मुठभेड़ में मार गिराया गया, लेकिन जब से गोलीकांड के बाद विकास दुबे फरार हुआ था, तब से शहडोल जिले के बुढ़ार से विकास दुबे के साले ज्ञानेंद्र निगम उर्फ राजू और उसके बेटे को यूपी एसटीएफ की टीम पूछताछ के लिए ले गई थी. विकास दुबे की मौत के बाद ज्ञानेंद्र निगम की पत्नी ने उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश की सरकार से बेटे और पति को छोड़ने की गुहार लगाई थी. जिसके बाद आज यूपी एसटीएफ की टीम ने ज्ञानेंद्र निगम और उसके बेटे मयंक को छोड़ दिया है.
राजू ने एमपी और यूपी सरकार को भी धन्यवाद देते हुए कहा कि, विकास दुबे को उसके कर्मों की सजा मिल गई. ज्ञानेंद्र ने जानकारी देते हुए बताया कि मैं शास्त्री नगर कानपुर का रहने वाला था. मेरे घर से थोड़ा आगे मोहल्ले में ही विकास दुबे रहते थे. जिससे मेरी दोस्ती हो गई थी और दोस्ती होने के बाद उसने मेरी बहन से शादी कर ली. जिसके बाद मेरे ऊपर मुकदमें लग गए. मेरा विकास दुबे के घर आना जाना कम हो गया. उन्होंने बताया कि, मेरा ससुराल यहीं करकटी में है और मेरा भूसे का व्यापार है.
विकास दुबे के साले ने बताया कि, मैं तीन तारीख की सुबह टीवी देख रहा था, तो टीवी में जब इस घटना का पता लगा था. दूसरे दिन मेरे बेटे को यूपी एसटीएफ की टीम उठाकर लेकर चली गई. मैं एडिशनल एसपी के पास पहुंचा उसके बाद मुझे थाने भेजा गया, मैं थाने में बैठा रहा. वहीं से मुझे एसटीएफ की टीम आकर ले गई. उसके बाद जहां मेरा लड़का था, वहीं वो लोग मुझे भी ले गए और मुझसे पूछताछ की. फिर जब वो लोग संतुष्ट हो गए तो मुझे और मेरे बेटे को छोड़ दिया.
विकास दुबे के साले ने कहा था 15 साल से कोई बात नहीं
विकास दुबे के साले ज्ञानेंद्र निगम उर्फ राजू के बेटे को जब यूपी एसटीफ की टीम उठाकर लेकर गई थी. उसके बाद ज्ञानेंद्र निगम उर्फ राजू एसपी ऑफिस पहुंचा था, जहां वो सरकार की हर तरह से मदद करने की बात कह रहा था, तो वहीं उसने ये भी खुलासा किया था कि, वो पिछले 15 से 20 साल से कानपुर से शहडोल जिले के बुढ़ार आकर बस गए हैं और पिछले 15 साल से उसका कोई कनेक्शन विकास दुबे से नहीं है और न ही कोई फोन पर बात हुई है.