शहडोल। मध्यप्रदेश में इन दिनों किसानों को प्रोत्सहित करने के लिए 'एक जिला एक उत्पाद' ('One District One Product') योजना शुरू की गई है. इस योजना के तहत शहडोल जिले में हल्दी की खेती को बढ़ावा देने के लिए कार्य योजना तैयार की जा रही है, या यूं कहें कि हल्दी की खेती को 'एक जिला एक उत्पाद योजना' के तहत जिले में चुना गया है. लेकिन सवाल यह उठता है कि एक ओर धान, गेंहू, चना, मटर जैसी फसलों की खेती बहुतायत में होती है. ऐसे में क्या हल्दी की खेती से किसान हेल्दी बन पाएगा.
हल्दी से किसान को हेल्दी बनाने की कार्ययोजना
'एक जिला एक उत्पाद योजना' के तहत शहडोल जिले में हल्दी की खेती को बढ़ावा देने के लिए चुना गया है. जिसे लेकर उद्यानिकी विभाग काम भी करना शुरू कर चुका है. शहडोल जिले में वर्तमान में बात की जाए तो हल्दी की खेती अभी महज 780 हेक्टेयर रकबे पर होती है. 2021- 22 मई से 1200 हेक्टेयर तक रकबा बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है. उसके लिए उद्यानिकी विभाग कवायद कर रहा है.
एक जिला एक उत्पाद योजना
इस योजना की जानकारी उद्यानिकी विभाग के सहायक संचालक एमएस परस्ते बताते हैं. 'एक जिला एक उत्पाद' योजना के तहत जिले में हल्दी की फसल का चयन किया गया है. जिसमें 35% तक अनुदान उपलब्ध कराया जाएगा. कोई भी कृषक, समूह और कंपनी वाले हैं. उनके लिए 35% तक अनुदान है. एक तरह से कहा जाए तो सूक्ष्म खाद्य उद्योग इकाई पर लगभग 10 लाख तक का अनुदान योजना है. अगर हल्दी की खेती से जुड़ी कोई चीज करते हैं और कोई प्रोजेक्ट लेकर आते हैं तो, जिसमें ब्याज की राशि महज 3% है. सहायक संचालक एमएस परस्ते कहते हैं कि कुछ जगहों पर जिले में हल्दी की खेती को लेकर लोगों का रुझान है, जैसे जय सिंह नगर विकास खंड में ब्यौहारी में कुछ जगहों पर तो सोहागपुर विकासखंड के भी कुछ जगहों पर हल्दी की खेती की जाती है. जिसे बस बढ़ाने की जरुरत है और उससे जुड़ी संसाधन उपलब्ध कराने की जरूरत है.
बाजार उपलब्ध कराने पर जोर
फार्मा प्रोड्यूसर कंपनी के सीईओ प्रदीप सिंह बघेल कहते हैं कि वो लोग अभी भी किसानों से लगातार हल्दी खरीद रहे हैं और वर्तमान में उन्होंने किसानों से 5 टन हल्दी एफपीओ के माध्यम से खरीद लिया है. शहडोल जिले में कई किसान पहले भी हल्दी की खेती करते थे. लेकिन वर्तमान में कुछ सालों से बाजार न मिलने के कारण हल्दी की खेती को किसान धीरे-धीरे छोड़ते जा रहा है. इसीलिए अब हमारा एसपीओ हल्दी का बाजार उपलब्ध कराएगा और हम उसको बढ़ा रहे हैं. उसके लिए किसानों को भी प्रोत्साहित कर रहे हैं. हम बता रहे हैं कि किसानों को कैसे हल्दी से अच्छी खासी आमदनी ले सकते हैं.
सभी जगहों पर हल्दी का उपयोग
फार्मा प्रोड्यूसर कंपनी के सीईओ का कहना है कि हल्दी का उपयोग तो कहां नहीं होता है, किचन से लेकर दवाइयों तक हल्दी का उपयोग होता है अगर हल्दी की खेती करके उसे व्यावसायिक तरीके से बेचा जाए, तो बहुत पैसे कमाए जा सकते हैं. क्योंकि हल्दी आपके किचन में भी उपयोग होती है और अगर जैविक खेती करते हैं तो औषधीय महत्व भी है. औषधि कंपनियां भी इसे अच्छे रेट में खरीदते हैं.
यह हैं योजना
प्रदीप सिंह बघेल बताते हैं कि एफपीओ के माध्यम से हम लोग यूनिट भी लगा रहे हैं. आने वाले समय में हम हल्दी से तेल भी निकालेंगे, साथ ही इसके बीज को भी संरक्षित करेंगे और इसका पाउडर ही बनाएंगे, तेल निकालकर हमारी योजना बड़ी कंपनियों को सेल करने की है. हल्दी के पत्ती से और रूट से भी तेल निकलता है. किसानों को अच्छी खासी आमदनी हो सकती है. बस जरूरत है तो इसकी खेती को अच्छे तरीके से करने की और किसानों को एक अच्छा बाजार उपलब्ध कराने की.
हल्दी की खेती को लेकर कैसा है वातावरण ?
'एक जिला एक उत्पाद' के तहत हल्दी की खेती का चयन शहडोल जिले में किया गया है. आखिर हल्दी की खेती के लिए जिले का एटमॉसफियर कैसा है. जिले की मिट्टी कैसी है, जिले की जलवायु कैसी है. इसे जानने के लिए हम पहुंचे कृषि वैज्ञानिक केंद्र डॉ. मृगेंद्र सिंह के पास तो उन्होंने बताया कि अपने यहां की जलवायु हल्दी की खेती के लिए बढ़िया है. मिट्टी भी लाइट एंड सैंडी सॉइल है और सैंडी सॉइल में हल्दी अच्छी होती है और जलवायु भी ठीक है, तो हल्दी कि यहां काफी संभावनाएं हैं और अपने शहडोल जिले में हल्दी की खेती होती रही है. प्रोडक्शन भी इसका ठीक-ठाक है.
कैसे कर सकते हैं मल्टी लेयर खेती
प्रति हेक्टेयर करीब 300 क्विंटल है, हल्दी मिल जाती है. हल्दी की खेती को लेकर कृषि वैज्ञानिक डॉ. मृगेंद्र सिंह कहते हैं कि हल्दी की खेती में सबसे अच्छी बात ये है कि हल्दी में मल्टी लेयर खेती भी हो सकती है. यहां हमने देखा है कि किसान हल्दी की ट्रांसप्लांटेशन के बाद उसमें अरहर भी लगाते थे और साथ में उसमें कई बार हमने देखा है कि कुछ साग भाजी भी डाल देते थे, तो एक साथ उनको दो से तीन फसलें मिल जाती थी. एक दो महीने में तैयार होने वाली साग भाजी भी मिल जाती है.
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हमारे यहां फर्टिलाइजर कंजप्शन कम है और अभी अपने यहां हल्दी में यहां किसी तरह के कीड़े मकोड़े बीमारियों की समस्या नहीं देखी गई है, तो एक तरह से कहा जाए तो अपने शहडोल जिले में जो हल्दी है. वह जैविक होगी हल्दी में जो पीलापन होता है. जिसमें औषधीय गुण होते हैं, उसकी भी ठीक मात्रा पाई गई है, हल्दी की खेती को लेकर कृषि वैज्ञानिक डॉ. मृगेंद्र सिंह कहते हैं कि मोस्टली इसकी ट्रांसप्लांटिंग मई लास्ट में की जाती है और यह करीब अक्टूबर-नवंबर के बाद निकलती है. जनवरी में इसकी खुदाई करते हैं और फिर इसके बाद इसकी प्रोसेसिंग आदि शुरु करते हैं.
शासन की ओर से हो दर निर्धारण
आखिर हल्दी की खेती के लिए किसानों का क्या कहना है और किसानों को इस खेती के लिए प्रोत्साहित करने के लिए किस सुविधाओं की जरूरत है. इसे जानने के लिए हम पहुंचे भारतीय किसान संघ के जिला अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह के पास, जो अक्सर किसानों से जुड़े रहते हैं और किसानों के हक की लड़ाई लड़ते रहते हैं. हल्दी की फसल को लेकर भारतीय किसान संघ के जिला अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह कहते हैं कि हल्दी की फसल नि:संदेह लाभकारी है. किसानों के लिए फायदेमंद है, लेकिन मैं एक तरफ से तुलना करता हूं जैसे जबलपुर में मटर का चयन किया गया है.
फसल का चुनाव सबसे महत्वपूर्ण
जितनी सुलभता और उपलब्धता मटर की जबलपुर में है. वैसा ही कोई उत्पाद अपने शहडोल के लिए भी होना चाहिए था, अपने जिले में हल्दी की उतनी उपलब्धता नहीं है, अपने जिले में अभी हल्दी की खेती ढूंढना पड़ेगा, लेकिन तब भी उस फसल का चुनाव किया गया है तो अपने को एक सावधानी जरुर बरतनी पड़ेगी. उसका एक दर निर्धारण शासन की ओर से हो ऐसा दर निर्धारण हो. जिसमें किसानों को चार पैसा बच्चे और जो संस्था इस में काम कर रही है. उसको भी चार पैसा बचे ऐसा ना हो कि आगे चलकर सरकारी योजना में अब थोड़ा संदेह होने लगा है.
लाभ मिलेगा तो आगे बढ़ेंगे किसान
बहुत सी योजनाएं आती है और चली जाती हैं और किसानों को फायदा नहीं मिलती है. अब जैसे कोदो को बचाने की योजना ही ले लीजिए. किसान कोदो तो पैदा कर ले लेकिन बेचे कहां बाजार में कोदो की कीमत इसी साल खरीफ 2020 में मान कर चलिए. सभी विकासखंडों में बड़े पैमाने पर कोदो का बीज नि:शुल्क वितरण किया गया शासन की ओर से उनको प्रमोट किया गया कि आप कोदो लगाइए लेकिन जब वह पैदा हो गया, तो किसान जब बाजार में लेकर आते हैं तो 12 से लेकर 13, 14 किलो के भाव से वह बिकता है. कहने का मतलब है कि किसानों को जब थोड़ा सा लाभ मिलेगा तब किसान आगे बढ़ेंगे. वरना अपने को थोड़ा सा ध्यान देना होगा कि हल्दी की फसल में ऐसा ना हो सरकार को इसका रेट तय करना होगा. तभी किसान प्रोत्साहित होगा किसान को जब फायदा होगा तो हल्दी की खेती बड़ी तादात पर करेगा.
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जिले में कितनी लोकप्रियता
आखिर हल्दी की खेती को लेकर मौजूदा समय में जिले में कितनी लोकप्रियता है. इसे जानने के लिए जब हमने भारतीय किसान संघ के जिला अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह से बात की तो उन्होंने कहा कि किसान हल्दी की खेती करते तो हैं लेकिन बहुत ऐसा लोकप्रियता मुझे नजर नहीं आया. शहडोल जिले में पिछले 20 से 25 साल से कार्यरत हूं. कुछ क्षेत्रों में जरूर थोड़ी बहुत हल्दी की खेती की जाती है. मगर इनकी लोकप्रियता बढ़ाने के लिए शासन के जो भी विभाग हैं. उद्यानिकी विभाग जिसके ऊपर पूरी जिम्मेदारी है, उन्हें काफी जद्दोजहद करनी पड़ेगी. किसानों को प्रोत्साहित करना पड़ेगा. जिससे इस योजना में हल्दी की खेती पूरे जिले में ऐसे बढ़े कि एक उद्यम यहां पर चल पाए और नहीं तो अगर आप 10 से 20 क्विन्टल हल्दी आप बना भी लेते हैं तो कोई विशेष काम नहीं है यह तो सैकड़ों के क्विन्टल में होना चाहिए तब किसी जिले का नाम होगा और उसका प्रभाव पूरे देश में पड़ेगा.
उत्पाद और खरीद के साधन
गौरतलब है कि हल्दी की खेती के लिए एक जिला एक उत्पाद के तहत हल्दी की खेती को तो चुना गया है. लेकिन इस योजना को जिले में सफल बनाने के लिए बहुत बारीकी से ध्यान रखना होगा. साथ ही यह उत्पाद किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो, इसका भी विशेष ख्याल रखना होगा. क्योंकि अगर एक साल किसान हल्दी की खेती कर भी लेता है और अगर उसे बाजार से अच्छे दाम नहीं मिले, उसे चार पैसे की आमदनी नहीं हुई है. दूसरी फसलों की तरह ही उसका हाल हुआ तो दूसरे साल से मुश्किल है कि किसान अपने खेतों में हल्दी की खेती करेगा.
कारगर हो किसानों के लिए योजना
क्योंकि किसानों को फायदा ना मिलने पर यहां के किसान फसल बदलते देर भी नहीं लगाते हैं. ऐसे में इस योजना को सफल बनाने के लिए किसानों के फायदे पर भी विशेष सावधानी रखनी होगी. बाजार में उसे बेचने की विशेष व्यवस्था करनी होगी. किसान फसल लगाने के बाद बेचने के लिए परेशान होता नजर ना आए, तभी यह योजना सफल हो पाएगी, लेकिन अब देखना यह है कि यह योजना कितनी सफल हो पाती है.