शहडोल। शहडोल जिला आदिवासी बाहुल्य जिला है, जो अक्सर ही जिला कुपोषण एनीमिया को लेकर सुर्खियों में बना रहता है. ऐसे में जब इस जिले में खाद्यान्न वितरण में गरीबों की थाली से रोटी ही गायब हो जाए तो क्या कहेंगे. जी हां जून महीने से गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों को गेहूं नहीं मिल रहा है. जिसकी वजह से उनकी थाली से रोटी ही गायब है. उनकी थाली में फिर से रोटी की वापसी कब होगी यह ना तो उन्हें पता है और ना ही इससे संबंधित अधिकारियों को कुछ पता है.
गरीबों की थाली से रोटी गायब: गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों को जो पीडीएस दुकानों से खाद्यान्न का वितरण होता है, उसमें शहडोल जिले में जून महीने से ही खाद्यान्न के आवंटन में गेहूं नहीं दिया जा रहा है, सिर्फ चावल का ही वितरण किया जा रहा है, एक तरह से कहा जाए तो जून महीने से ही गरीबों की थाली से रोटी गायब है, जिसे लेकर अब गरीब परेशान हैं.
चावल का ही आटा खाने को मजबूर: पीडीएस दुकानों से खाद्यान्न लेकर आने वाले लोगों ने कहा कि वो सिर्फ चावल लेकर आ रहे हैं, जून महीने से ही उन्हें गेहूं नहीं मिल रहा है और कब मिलेगा कुछ बताया भी नहीं जा रहा है, क्योंकि खाद्यान्न का वितरण करने वालों को ही नहीं पता है कि गेहूं कब से वितरण होगा. 60 साल से भी ज्यादा उम्र के बुदानी बैगा कहते हैं कि उनकी उम्र में ज्यादातर डॉक्टर रोटी खाने की सलाह देते हैं, लेकिन जब सरकार ही गेहूं नहीं दे रही है तो रोटी कैसे खाएं. बड़ी मजबूरी है चावल को ही चक्की में पिसवा कर चावल की ही रोटी बनाकर खा रहे हैं, जैसे-तैसे जीवन यापन कर रहे हैं. राम लखन बैगा कहते हैं की उनका तो चल जाएगा, वह चावल भी खा लेंगे, लेकिन जब कोई घर में बीमार हो जाता है रोटी खाने की सलाह दी जाती है तो कहां से रोटी लाएं.
जिले में सिर्फ चावल का आवंटन: इस मामले पर खाद्य नागरिक आपूर्ति अधिकारी विपिन पटेल ने कहा कि ये जो खाद्यान्न का आवंटन मिलता है. वह गवर्नमेंट से मिलता है और माह जून से ही गेहूं का आवंटन नहीं आ रहा है. शहडोल जिले में केवल चावल का आवंटन है तो हम खाद्यान्न के रूप में सिर्फ चावल का वितरण करा रहे हैं. अब गेहूं का आवंटन क्यों नहीं आ रहा है ये ऊपर की बात है. अनूपपुर जिले में भी केवल चावल बंट रहा है. अधिकारी ने कहा कि हर जगह चावल का ही आवंटन हो रहा है, इसलिए जो हमारे साल भर के आवंटन का रिजर्व स्टॉक था, वह खत्म हो गया है. जो नई मिलिंग हो रही है और वहां से जो चावल आ रहा है उनसे हम दुकानों में पूर्ति कर रहे हैं.
बाजार में काफी महंगा है गेहूं: एक ओर सरकार गरीबों को मुफ्त में खाद्यान्न बांटने की बात कह रही है तो वहीं दूसरी ओर जिले में गेहूं कई महीने से नहीं मिल रहा है, सिर्फ चावल का ही आवंटन हो रहा है, उसमें भी कहीं-कहीं चावल के स्टॉक में भी दिक्कतें आ रही हैं. ऐसे में जो गरीब हैं, उन्हें बाजार से भी गेहूं खरीदने में उनके पसीने छूट रहे हैं, क्योंकि बाजार में भी गेहूं के दाम काफी ज्यादा बढ़े हुए हैं. व्यापारियों का कहना है कि 30 से ₹35 किलो तक अच्छा गेहूं मिल पा रहा है, ऐसे में गरीबों की थाली में रोटी कैसे आ पाएगी. इस ओर ना तो शासन-प्रशासन और न ही जनप्रतिनिधि सोच रहे हैं. गेहूं का आवंटन महज कुछ जिलों में ही क्यों बंद किया गया है यह भी बड़ा सवाल है.