शहडोल: कोरोना वायरस की वजह से देशभर में इन दिनों लॉक डाउन चल रहा है, शहडोल जिला भी पूरी तरह से लॉकडाउन है, लगातार प्रशासन और पुलिस लोगों की व्यवस्था दुरुस्त करने में लगी हुई है, लोगों को सुरक्षित वातावरण देने में लगी है. लोगों को सोशल डिस्टेंसिग और लॉकाडाउन का पालन कराने में लगी है.
ऐसे में पुलिस और प्रशासन हर समय व्यवस्था बनाने में जुटा रहता है, लोगों को समझाइश देते रहते हैं कि बिना वजह बाहर न निकलें, बच्चे बुजुर्गों को बिना किसी आवश्यक कारण बाहर न ले जाएं, और लॉक डाउन का पालन करें.
लेकिन शहर में कभी-कभी कुछ लोग ऐसे भी मिल जाते हैं जो खुद के लिए तो खतरा पैदा कर ही रहे हैं साथ ही दूसरों को भी खतरे में डालने से पीछे नहीं हट रहे.
अब ऐसे गार्जियन को आप क्या कहेंगे ?
घटना उस समय की है जब जिला मुख्यालय में गांधी चौक के पास ही एक युवक अपने एक छोटे से बच्चे को टू व्हीलर में बिठाकर मार्केट में घूम रहा था, न कोई मास्क और न ही कोई सुरक्षा.
इसी दौरान तहसीलदार और पुलिस की नजर उस युवक पर पड़ी, और वो उसे समझाने की कोशिश करने लगे. युवक से कहा कि इतने छोटे बच्चे को लेकर साथ में क्यों घूम रहे हो इतने में वो युवक प्रशासन और पुलिस के सामने ही कहने लगा कि 'मेरा बच्चा है चाहे मर जाए चाहे जो कुछ भी हो, मैं जो करूं और इसके बाद लगातार वो प्रशासनिक अधिकारी और पुलिस कर्मचारियों से बहस करता रहा'.
ऐसे में सवाल ये है कि अगर जिले की जनता इस बात को नहीं समझेगी की लॉकडाउन उन्हीं के जीवन को बचाने के लिए किया गया है तो फिर कैसे कोरोना वायरस के खिलाफ इस लड़ाई से जीत मिल पाएगी.
ये तो एक ही नजारा रहा, दिनभर में पुलिस और प्रशासन के सामने समय-समय पर इसी तरह के अलग-अलग लोग मिलते रहते हैं, और व्यवस्था बनाने में अड़चन पैदा करते रहते हैं. लेकिन इन अड़चनों के बाद भी पुलिस और प्रशासन लगातार जिले भर में व्यवस्था बनाने में जुटी हुई है.