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3 साल से खराब पड़ा स्कूल का हैंडपंप, तालाब के पानी से प्यास बुझा रहे गुरू-शिष्य

कटहरी गांव के प्राथमिक स्कूल में पीने के पानी तक का कोई इंतजाम नहीं है. छात्र और शिक्षकों को मजबूरन तालाब का मटमैला पानी पीना पड़ता है.

प्राथमिक स्कूल
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Published : Mar 13, 2019, 5:40 PM IST

शहडोल। कटहरी गांव के प्राथमिक स्कूल में 54 बच्चे पढ़ते हैं, उसी स्कूल के कैंपस में आंगनबाड़ी केंद्र भी संचालित होता है. जहां करीब 50 बच्चे आते हैं, लेकिन स्कूल में पीने के पानी तक का कोई इंतजाम नहीं है. जिसके चलते छात्र-शिक्षक तालाब के पानी से प्यास बुझा रहे हैं.

दरअसल, कटहरी गांव के प्राथमिक स्कूल में पानी की कोई व्यवस्था नहीं है. पहले एक हैंडपंप था जो पिछले 3 साल से कराब पड़ा है. इतना ही नहीं इसकी सूचना हर सम्बंधित अधिकारी को दी गई, लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई. आलम ये है कि छात्र घर से पीने के लिए पानी लेकर आते हैं और जब पानी खत्म हो जाता है तो मजबूरन तालाब का मटमैला पानी पीना पड़ता है. छात्र ही नहीं टीचर भी इस परेशानी से गुजर रहे हैं.

प्राथमिक स्कूल

प्रभारी हेड मास्टर सुरेश प्रसाद साहू का कहना है कि पानी पीने की समस्या स्कूल में बहुत बड़ी है. इसके लिए कई बार एसडीएम, पीएचई विभाग, बीओ, बीआरसी को पत्र दिया गया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. पीएचई विभाग वाले कहते हैं कि आपका बोर भर गया है, नया बोर करना पड़ेगा, जब आप लोग अपने विभाग से फण्ड देंगे तभी कुछ पाएगा.

वहीं, गांव के सरपंच प्रेमलाल बैगा कहते हैं कि स्कूल में हैंड पंप बिगड़ने की समस्या के बारे में सभी को बताया गया है. सीएम हेल्पलाइन में भी शिकायत की गयी थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. स्कूल से बाहर करीब 300 मीटर दूर एक हैंड पंप है, वो भी पिछले एक साल से बिगड़ा पड़ा है. सरपंच बताते हैं कि गांव में भी करीब 6 हैंड पंप हैं और सब के सब बिगड़े पड़े हैं.

शहडोल। कटहरी गांव के प्राथमिक स्कूल में 54 बच्चे पढ़ते हैं, उसी स्कूल के कैंपस में आंगनबाड़ी केंद्र भी संचालित होता है. जहां करीब 50 बच्चे आते हैं, लेकिन स्कूल में पीने के पानी तक का कोई इंतजाम नहीं है. जिसके चलते छात्र-शिक्षक तालाब के पानी से प्यास बुझा रहे हैं.

दरअसल, कटहरी गांव के प्राथमिक स्कूल में पानी की कोई व्यवस्था नहीं है. पहले एक हैंडपंप था जो पिछले 3 साल से कराब पड़ा है. इतना ही नहीं इसकी सूचना हर सम्बंधित अधिकारी को दी गई, लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई. आलम ये है कि छात्र घर से पीने के लिए पानी लेकर आते हैं और जब पानी खत्म हो जाता है तो मजबूरन तालाब का मटमैला पानी पीना पड़ता है. छात्र ही नहीं टीचर भी इस परेशानी से गुजर रहे हैं.

प्राथमिक स्कूल

प्रभारी हेड मास्टर सुरेश प्रसाद साहू का कहना है कि पानी पीने की समस्या स्कूल में बहुत बड़ी है. इसके लिए कई बार एसडीएम, पीएचई विभाग, बीओ, बीआरसी को पत्र दिया गया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. पीएचई विभाग वाले कहते हैं कि आपका बोर भर गया है, नया बोर करना पड़ेगा, जब आप लोग अपने विभाग से फण्ड देंगे तभी कुछ पाएगा.

वहीं, गांव के सरपंच प्रेमलाल बैगा कहते हैं कि स्कूल में हैंड पंप बिगड़ने की समस्या के बारे में सभी को बताया गया है. सीएम हेल्पलाइन में भी शिकायत की गयी थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. स्कूल से बाहर करीब 300 मीटर दूर एक हैंड पंप है, वो भी पिछले एक साल से बिगड़ा पड़ा है. सरपंच बताते हैं कि गांव में भी करीब 6 हैंड पंप हैं और सब के सब बिगड़े पड़े हैं.

Intro:21वीं सदी में भी एक स्कूल ऐसा जहां के बच्चे तालाब का मटमैला पानी पीने को मजबूर, बताने के बाद भी नहीं ले रहा कोई सुध

शहडोल- शहडोल जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर है कटहरी गांव, जो देवगवां ग्राम पंचायत के अंतर्गत आता है, और इसी कटहरी गांव में एक प्राथमिक स्कूल भी है, जहां 54 बच्चे पढ़ते हैं, साथ ही उसी स्कूल कैंपस में आंगनबाड़ी भी है जहां करीब 50 बच्चे आते हैं। बड़ी खबर ये है कि इन बच्चों के पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं है, तालाब का मटमैला पानी पीने को छात्र और टीचर मजबूर हैं।


Body:ये है पूरा मामला

तालाब से बर्तन में पानी भर रही ये महिला स्कूल में पानी ले जाने के लिये भर रही है, क्योंकि स्कूल में पानी की कोई व्यवस्था ही नहीं है। दरअसल कटहरी गांव के प्राथमिक स्कूल में पानी की कोई व्यवस्था नहीं है, एक हैंड पंप था जो पिछले 3 साल से बिगड़ा हुआ है। इतना ही नहीं इसकी सूचना हर सम्बंधित अधिकारी को दी गई लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई, आलम ये है कि स्कूल में हर छात्र पीने के लिए अपने घर से बॉटल में पानी लाता है, और जब पानी खत्म हो जाता है तो मजबूरन तालाब का मटमैला पानी पीना पड़ता है छात्र ही नहीं टीचर भी ऐसा ही पानी पीने को मजबूर हैं। स्कूल में बनने वाला मध्यान्ह भोजन भी इसी मटमैले पानी से बनता है, स्कूल में शौचालय तो है लेकिन पानी ही नहीं फिर किस काम का।

सभी को सूचना दी कोई सुनवाई ही नहीं

आदिवासी अंचल शहडोल जिला मुख्यालय से महज 15 किलोमीटर ही दूर है कटहरी गांव लेकिन आज भी इस स्कूल और यहां के छात्रों की हालत कोई देखने वाला नहीं है। स्कूल के प्रभारी हेडमास्टर सुरेश प्रसाद साहू बताते हैं कि पानी पीने की समस्या स्कूल में बहुत बड़ी है। हैडमास्टर कहते हैं कि इसके लिए कई बार एसडीएम को, पीएचई विभाग को बीओ को, बीआरसी को, जानकारी पत्र के जरिये दिया लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई, पीएचई विभाग वाले कहते हैं कि आपका बोर भट गया है, नया बोर करना पड़ेगा, जब आप लोग अपने विभाग से फण्ड देंगे तभी खुद पाएगा, पिछले तीन साल से हैंडपम्प बिगड़ा हुआ है, विधानसभा चुनाव जैसे काम में पानी की व्यवस्था नहीं सुधरी तो क्या कह सकते हैं, सहायिका बहुत दूर से पानी लाती हैं कुछ बाजू के घरों से कुछ तालाब से जैसे तैसे बच्चों के खाने की व्यवस्था करते हैं अब क्या कर सकते हैं।

हर जगह शिकायत लेकर गए कोई सुनता ही नहीं

गांव के सरपंच प्रेमलाल बैगा कहते हैं कि स्कूल में हैंड पंप बिगड़ने की समस्या के बारे में सभी को बताया, पीएचई विभाग में गए उन्हें कहा तो बोले नए बोर के लिए आदेश नहीं है, और अधिकारियों से बात की कोई सुनवाई नहीं, सीएम हेल्पलाइन में शिकायत की कोई सुनवाई नहीं हम तो कंप्लेन कर कर के थक गए हैं आप ही बताओ और क्या कर सकते हैं, स्कूल से बाहर करीब 300 मीटर दूर एक हैंड पंप है वो भी पिछले एक साल से बिगड़ा है।
सरपंच बताते हैं कि गांव में करीब 6 हैंड पंप हैं सभी बिगड़े हैं।

शौचालय तो है लेकिन पानी नहीं

इस स्कूल की विडंबना है की यहां शौचालय तो बकायदे बना है लेकिन पानी ही नहीं तो फिर किस काम का।


Conclusion:गौरतलब की देश 21वीं सदी में पहुंच गया, सरकारी स्कूलों की स्थिति सुधारने के लिए सरकार कहती है फण्ड की कमी नहीं फिर सवाल यही है कि इस स्कूल की ऐसी व्यवस्था क्यों, आखिर इस स्कूल के ऐसे हालत का जिम्मेदार कौन, आखिर ये बच्चे किनकी लापरवाही का खामियाजा तालाब के मटमैले पानी को पीकर भुगत रहे हैं।
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