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मध्यप्रदेश के इस शहर को हासिल है भगवान गणेश का आशीर्वाद, कलचुरी काल से स्थापित ये मूर्तियां हैं गवाह - गजानन का विशेष आशीर्वाद

मध्यप्रदेश के शहडोल जिले के लोगों का मानना है कि यहां आज तक कोई प्राकृतिक आपदा नहीं आई है. आखिर इसके पीछे क्या है पूरी कहानी इसके लिए पढ़िए पूरी खबर..

शहडोल जिले में कलचुरी कालीन मूर्तियां स्थापित
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Published : Sep 3, 2019, 1:30 PM IST

शहडोल। जिले में गणपति बप्पा की तकरीबन 10वीं और 11वीं सदी की कलचुरी कालीन मूर्तियां स्थापित हैं. लोगों का मानना है कि इस जिले को गजानन का विशेष आशीर्वाद मिला हुआ है. यही वजह है कि यहां कभी भी किसी तरह की कोई प्राकृतिक आपदा नहीं हुई है.

शहडोल जिले में कलचुरी कालीन मूर्तियां स्थापित

हर कोने में है बप्पा का वास
शहडोल के बुढ़ार चौक पर स्थित गणेश मंदिर, कलेक्ट्रेट कार्यालय में स्थित शिव गणेश मंदिर, आईटीआई कॉलेज के पास स्थित गणेश मन्दिर और बाणगंगा के पास स्थित गणेश मंदिर. एक तरह से देखा जाए, तो शहर के चारों दिशाओं में भगवान गणेश का वास है. चारों दिशाओं में स्थित इन गणेश मंदिरों में भक्तों का भी तांता लगता है और भक्तों की मनोकामना भी पूरी होती है.

पुरातत्वविद रामनाथ सिंह परमार बताते हैं कि ये सभी मूर्तियां लगभग 10वीं और 11वीं शताब्दी की हैं. ये प्रतिमाएं एक ही कलाकार की बनाई हुई लगती हैं, क्योंकि चारों दिशाओं में स्थित इन मूर्तियों का शिल्प भी एक ही तरह का है.

शिव गणेश मंदिर के पुजारी सुरेंद्र प्रसाद द्विवेदी बताते हैं कि नगर के चारों दिशाओं में जो सदियों पुराने गणपति विराजमान हैं, उसी के चलते शहडोल जिले में बहुत शांति है. यहां कभी किसी तरह की आपदा-विपदा नहीं आती और ये शहर दिनोंदिन तरक्की कर रहे हैं.

शहडोल। जिले में गणपति बप्पा की तकरीबन 10वीं और 11वीं सदी की कलचुरी कालीन मूर्तियां स्थापित हैं. लोगों का मानना है कि इस जिले को गजानन का विशेष आशीर्वाद मिला हुआ है. यही वजह है कि यहां कभी भी किसी तरह की कोई प्राकृतिक आपदा नहीं हुई है.

शहडोल जिले में कलचुरी कालीन मूर्तियां स्थापित

हर कोने में है बप्पा का वास
शहडोल के बुढ़ार चौक पर स्थित गणेश मंदिर, कलेक्ट्रेट कार्यालय में स्थित शिव गणेश मंदिर, आईटीआई कॉलेज के पास स्थित गणेश मन्दिर और बाणगंगा के पास स्थित गणेश मंदिर. एक तरह से देखा जाए, तो शहर के चारों दिशाओं में भगवान गणेश का वास है. चारों दिशाओं में स्थित इन गणेश मंदिरों में भक्तों का भी तांता लगता है और भक्तों की मनोकामना भी पूरी होती है.

पुरातत्वविद रामनाथ सिंह परमार बताते हैं कि ये सभी मूर्तियां लगभग 10वीं और 11वीं शताब्दी की हैं. ये प्रतिमाएं एक ही कलाकार की बनाई हुई लगती हैं, क्योंकि चारों दिशाओं में स्थित इन मूर्तियों का शिल्प भी एक ही तरह का है.

शिव गणेश मंदिर के पुजारी सुरेंद्र प्रसाद द्विवेदी बताते हैं कि नगर के चारों दिशाओं में जो सदियों पुराने गणपति विराजमान हैं, उसी के चलते शहडोल जिले में बहुत शांति है. यहां कभी किसी तरह की आपदा-विपदा नहीं आती और ये शहर दिनोंदिन तरक्की कर रहे हैं.

Intro:Note_ चार वर्ज़न है पहला वर्जन पुजारी सुरेंद्र प्रसाद द्विवेदी का है, दूसरा वर्जन पुजारी गोरेलाल पाठक का है, तीसरा वर्जन भक्त का है, चौथा और आखिरी वर्जन पुरातत्वविद रामनाथ सिंह परमार का है।

मध्यप्रदेश के इस शहर को हासिल है भगवान गणेश का आशीर्वाद, कलचुरिकाल से स्थापित ये मूर्तियां हैं गवाह

शहडोल- कहते हैं जहां भगवान गणेश का वास होता है जिस पर गणपति मेहरबान रहते हैं, वहां अक्सर सुख, समृद्धि, शांति का वास होता है।

मध्यप्रदेश के शहडोल शहर को काफी शांत शहर माना जाता है काफी तेजी से आगे बढ़ने वाला शहर है, यहां कभी भी किसी तरह की प्राकृतिक आपदा, या किसी तरह की विपदा नहीं आती है तो उसकी सबसे बड़ी वजह है कि इस शहर को भगवान गणेश का आशीर्वाद हासिल है। शहर के चारो दिशाओं में करीब 10वीं,11वीं सदी से गणेश भगवान की कलचुरिकालीन मूर्तियां स्थपित हैं जो इस बात की गवाही देती हैं।


Body:शहर के हर कोने में भगवान गणेश का वास

शहडोल शहर के हर चारो दिशाओं में भगवान गणेश का वास है ये मूर्तियां अभी की नहीं हैं बल्कि कलचुरिकलीन हैं, शहडोल के बुढ़ार चौक में स्थित गणेश मंदिर, कलेक्ट्रेट कार्यालय में स्थित शिव गणेश मंदिर, आईटीआई कॉलेज के पास स्थित गणेश मन्दिर, और बाणगंगा के पास स्थित गणेश मंदिर। एक तरह से देखा जाए तो शहर के चारो दिशाओं में भगवान गणेश का वास है।


यहां भक्तों का भी भरोसा

चारो दिशाओं में स्थित इन गणेश मंदिरों में भक्तों का भी तांता लगता है और भक्तों की मनोकामना भी पूरी होती है एक तरह से कहा जाए तो यहां विराजे गणपति में भक्तों का भरोसा भी अपार है।

कलचुरिकालीन हैं मूर्तियां

भगवान गणेश की जो मूर्तियां शहर के सभी दिशाओं में स्थापित हैं ये अभी की नहीं हैं बल्कि बहुत पुरानी हैं, पुरातत्वविद रामनाथ सिंह परमार बताते हैं कि ये सभी मूर्तिया लगभग 10वीं 11वीं शताब्दी की हैं। ये प्रतिमाएं एक ही कलाकर की बनाई हुई प्रतीत होती हैं क्योंकि चारो दिशाओं में स्थित इन मूर्तियों का शिल्पन भी एक ही तरह का है।

देखा जाए तो गणेश जी की स्थपना गृह शांति, नगर शांति या किसी और शुभ कार्य के लिए किया जाता है। ऐसे में यही प्रतीत होता है कि कलचुरिकालीन में नगर शांति के लिए नगर के चारों ओर इन प्रतिमाओं में स्थापना की गई थी।

इसलिए कभी नहीं आती यहां आपदा

शिव गणेश मंदिर के पुजारी सुरेंद्र प्रसाद द्विवेदी बताते हैं कि नगर के चारो दिशाओं में जो सदियों पुराने गणपति विराजमान हैं उसी के चलते शहडोल शहर में बहुत शांति है, यहां कभी किसी तरह का आपदा विपदा नहीं आता और ये शहर दिनों दिन तरक्की कर रहा है।



Conclusion:गौरतलब है कि शहडोल शहर के चारो दिशाओं में भगवान गणेश सदियों पुराने समय से स्थापित हैं, और जहां जहां स्थापित हैं वहां वहां भक्तों की आस्था भी बहुत है, लोगों का ये मानना भी है कि शहडोल शहर को भगवान गणेश का आशीर्वाद हासिल हैं।
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