शहडोल। राष्ट्रीय किसान दिवस देश के किसानों को पूरी तरह समर्पित है. खेती से भले ही लोगों का मोह भंग हो रहा है, लेकिन तरीके से किया जाए तो आज भी खेती से लाभ होना लाजिमी है. इस मौके पर एक ऐसे किसान का जिक्र कर रहे हैं, जो कभी लीज की जमीन पर खेती करता था, लेकिन कड़ी मेहनत की वजह से आज उसके पास न केवल खुद की जमीन है, बल्कि खेती से लाखों रुपए कमा रहा है. कल्याणपुर के इस किसान का नाम है शीतेश जीवन पटेल. जो आज दूसरे किसानों के लिए मिसाल बन गए हैं. आसपास के सैकड़ों किसान इनसे खेती के गुर सीखने आते हैं.
पारंपरिक खेती से नहीं भर पाते बच्चों की फीस
किसान शीतेश जीवन पटेल बताते हैं कि उनके पास पहले कुछ भी नहीं था, लीज की जमीन पर खेती करते थे और धा-गेहूं की फसल लगाते थे. उस समय आलम ये था कि वो अपने बच्चों की फीस भी नहीं भर पाते थे.
कृषि वैज्ञानिक की सलाह ने बदल दिया जीवन
शीतेश अपनी कहानी बताते हुए कहते हैं कि हताश निराश होकर वो एक दिन कृषि वैज्ञानिक मृगेंद्र सिंह के पास पहुंचे. जहां उन्हें कृषि वैज्ञानिक ने सब्जी की खेती करने की सलाह दी. जिसके बाद उन्होंने लीज पर जमीन लेकर आधे एकड़ में लौकी की खेती की. जिससे करीब साढ़े तीन लाख रुपये मिले. इसके बाद उन्होंने और अधिक जमीन लेकर टमाटर की खेती की. जिससे 22 से 23 लाख रुपये का फायदा हुआ.
25 एकड़ जमीन के हैं मालिक
लीज की जमीन पर खेती करके जो कमाई हुई, उससे जीवन पटेल ने पास के एक गांव झगरहा में करीब 5 एकड़ जमीन खरीदी. धीरे-धीरे ये सिलसिला बढ़ता गया और आज शीतेश के पास खुद की करीब 25 एकड़ जमीन है.
हैरान करने वाली सालाना इनकम
किसान की सालाना आय सुनकर हैरानी होगी. ये किसान सालाना करीब 30 से 32 लाख रुपए कमा लेता है. ये किसी आईआईटियन और प्रोफेसनल्स का पैकेज नहीं, बल्कि एक किसान की सालाना आय है. जिसने खेती को लाभ का धंधा बनाकर अन्य किसानों के सामने एक मिसाल पेश की है.
मुश्किलों में नहीं मानी हार
शीतेश जीवन पटेल बताते हैं कि उन्हें खेती में सिर्फ लाभ ही हुआ है. कभी-कभी नुकसान भी होता है. इस साल उन्हें गोभी के खेती में करीब 15 से 16 लाख रुपए का नुकसान हुआ, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी, अपनी गलतियों से सीखा और आगे की प्लानिंग में जुट गए.
कृषि विज्ञान केंद्र से लेते हैं सलाह
शीतेश खेती की नई तकनीक को जल्द ही अपना लेते हैं. कृषि विज्ञान केंद्र से लगातार जुड़े रहते हैं और खेती में पैसे इन्वेस्ट करने से पीछे नहीं हटते हैं. पूरे खेत में ड्रिप सिस्टम से सिंचाई के साधन लगाए हैं. जिससे पानी की बचत भी होती है. इनके पास खेती के सभी आधुनिक संसाधन मौजूद हैं.
शीतेश दूसरे किसानों को लेकर कहते हैं कि वे उन्हें अक्सर मोटिवेट करते रहते हैं. साथ ही ये भी कहते हैं कि वो अपने जमीनें न तो बेचें और न ही गिरवी रखें. बल्कि उसमें आधुनिक खेती करें. सिर्फ धान-गेहूं की खेती तक ही सीमित न रहें. जहां दिक्कत हो कृषि वैज्ञानिकों की मदद लें. समझें और खेती करें. इससे वे किसान भी तरक्की कर सकेंगे, बस मेहनत और लगन की आवश्यकता है.