शहडोल। जिले में भी पॉक्सो एक्ट के तहत विशेष न्यायालय का गठन किया गया है. कोर्ट में वह सारी व्यवस्थाएं की गई हैं, जो पॉक्सो अधिनियम के तहत विशेष न्यायालय में होनी चाहिए. जिले में अब तक पॉक्सो एक्ट के तहत 217 मामले दर्ज हुए हैं, जिनमें से कई मामलों में सुनवाई भी हो गई है.
पॉक्सो के मामलों के लिए जिले में विशेष अदालत
विधिक सेवा प्राधिकरण शहडोल के सचिव अनूप कुमार त्रिपाठी बताते हैं कि जिले में उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार और उच्च न्यायालय के आदेश से पॉक्सो मामलों की सुनवाई के लिए जिले में भी एक विशेष अदालत गठित की गई है. उन्होंने बताया कि कोर्ट का स्वरूप इस तरह से बनाया है, जहां बच्चों के साथ सौहार्दपूर्ण वातावरण में सुनवाई हो सके. इसके अलावा पॉक्सो के नियम और निर्देशों का ठीक ढंग से पालन हो सके.
बच्चों के लिए बनाया गया है बाल रूम
अनूप कुमार त्रिपाठी ने बताया कि कोर्ट की व्यवस्था इस ढंग से की गई है, जहां अभियुक्त और पॉक्सो विक्टिम का आमना-सामना न हो सके. उन्होंने बताया कि विक्टिम अगर बच्चा है तो उसके लिए एक अलग से बाल रूम बनाया गया है, जिसमें बच्चे रुक सकते हैं. यहां बच्चों के साथ उनके पैरेंट्स भी रुक सकते हैं. उन्होंने बताया कि जनपद में पॉक्सो एक्ट के मामलों का पॉक्सो नियम के तहत निस्तारण करने का प्रयास किया जा रहा है और इस तरह की कार्रवाई लगातार चल रही हैं.
पॉक्सो की सुनवाई के लिए बनाया जाता है अलग माहौल
विधिक सेवा प्राधिकरण शहडोल के सचिव अनूप त्रिपाठी ने बताया कि अब तहसील स्तर पर भी इसकी सुनवाई होने लगी हैं. वहां भी ऐसी ही व्यवस्थाएं बनाई जा रही हैं. उन्होंने कहा कि पॉक्सो एक्ट के तहत जो भी सुनवाई होती है, उसके लिए एक अलग ही माहौल तैयार किया करना होता है. उसके बाद ही सुनवाई होती है.
25 जुलाई 2019 को हुई थी जिले में स्थापना
अभियोजन शहडोल के जनसंपर्क अधिकारी नवीन वर्मा के मुताबिक जिले में पॉक्सो कोर्ट की स्थापना 25 जुलाई 2019 को गई थी. यहां इसके लिए विशेष व्यवस्थाएं भी की गईं थीं. इतना ही नहीं 14 जनवरी 2020 को पॉक्सो के सभी मामले जिले के पॉक्सो कोर्ट में ट्रांसफर कर दिये गए. हालांकि तीन जुलाई 2020 को हाइकोर्ट के आदेश के बाद ये सारे मामले फिर से तहसील स्तर पर ट्रांसफर कर दिए गए.
जिले में पॉक्सो केस की संख्या
अभियोजन शहडोल के जनसंपर्क अधिकारी नवीन वर्मा के मुताबिक जिले में टोटल 217 पॉक्सो के केस आये हैं. जिसमें तहसील स्तर पर नजर डालें तो शहडोल में 91, बुढार में 54, ब्यौहारी में 37, जयसिंहनगर में 35 पॉक्सो के केस अबतक दर्ज किये गए हैं.
पॉक्सो एक्ट के तहत हुई कई बड़े फैसले
अभियोजन शहडोल के जनसंपर्क अधिकारी नवीन वर्मा के मुताबिक 2017 से अब तक मार्च 2021 तक पॉक्सो एक्ट के तहत कई बड़े फैसले भी लिए गए हैं, जिनमें दो मामलों में फांसी की सजा भी सुनाई गई है. हालांकि इनमें एक मामला अभी हाईकोर्ट और एक सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है. इतना ही नहीं पांच मामलों में तो आजीवन कारावास की भी सजा सुनाई गई . इसके अलावा एक मामले में 20 वर्ष की सजा और एक अन्य मामले में 14 वर्ष की सजा भी सुनाई गई है.
क्राइम पर लगाम लगाने के लिए बना पॉक्सो एक्ट
अधिवक्ता संघ शहडोल के उपाध्यक्ष गिरीश श्रीवास्तव बताते हैं कि वर्तमान समय में नाबालिग लड़के-लड़कियों के खिलाफ समाज में बहुत सारे क्राइम की बढ़ोतरी हुई. इस तरह के क्राइम को लेकर सरकार चिंतित हुई. क्राइम पर लगाम लगाने के लिए ही सरकार ने पॉक्सो एक्ट बनाया.
शहडोल में भी हुआ पॉक्सो कोर्ट का गठन
गिरीश श्रीवास्तव ने बताया कि इसी कड़ी में साल 2019 में शहडोल में भी पॉक्सो अधिनियम के तहत विशेष न्यायालय का गठन किया गया. जहां पॉक्सो एक्ट के तहत सुनवाई के लिए अलग से कोर्ट तैयार किया गया है. कोर्ट में काफी फ्रेंडली माहौल है. यहां बच्चों से सीधे प्रश्न नहीं किए जाते. वहीं बच्चों के बैठने की उचित व्यवस्था की गई है. छोटे बच्चों के लिए एक बहुत ही अच्छा कमरा भी बनाया गया है. गिरीश श्रीवास्तव कहते हैं पॉक्सो कोर्ट के जरिए एक अच्छी व्यवस्था देने की कोशिश की गई है. उन्होंने बताया कि वर्तमान परिवेश में फिर से तहसील स्तर पर पॉक्सो एक्ट के तहत केस की सुनवाई होने लगी है.