शहडोल। ऐसा माना जाता है कि सेब फल की खेती ठंडे प्रदेशों में होती है. लेकिन शहडोल जिले के करकटी गांव के रहने वाले किसान रामसजीवन कचेर ने सेब की खेती को लेकर सफल प्रयोग किया है. वह उत्साहित भी हैं. राम सजीवन कचेर बताते हैं कि उन्होंने डेढ़ साल पहले अपने खेत में यूट्यूब में देखकर सेब फल के पेड़ मंगवाए थे. वहीं से कांटेक्ट नंबर लिया और पौधे मंगवाए. इसके बाद प्रयोग के तौर पर लगवा दिए. करीब 40 से 45 पेड़ मंगवाए थे, जिसमें से करीब 26 पेड़ बचे हैं. एक साल बाद उसमें फ्लॉवरिंग होने लगी.
स्वाद भी शानदार है : करीब डेढ़ साल बाद उसमें फल भी आए. अब मेरे लिए सबसे बड़ी चुनौती यही थी कि फल तो अच्छे आए थे, लेकिन जैसा कि अपने क्षेत्र में लोग अंगूर की खेती करते हैं लेकिन अंगूर में सबसे बड़ी समस्या यह आती है कि अंगूर का स्वाद इस क्षेत्र में खट्टा होता है, जिसकी वजह से उन्हें कोई खाता नहीं है और ना ही खरीदता है. यही शंका सेब के पौधे को लेकर और उसके फल को लेकर थी. क्योंकि सेब फल अच्छे आए थे. साइज भी अच्छा आया है. अब इसका स्वाद कैसा होगा, इसे मैं जानना चाह रहा था. जब सेब फल पके तो इसका स्वाद भी बहुत टेस्टी लगा. लोगों ने भी इसे खूब पसंद किया और इसकी साइज भी अभी अच्छी खासी है. अभी पौधे छोटे हैं और मुझे उम्मीद है कि जैसे-जैसे यह पौधे बड़े होंगे उनकी साइज और अच्छी आएगी.
तकनीक बहुत आगे बढ़ी : किसान रामसजीवन का कहना है कि मेरे हिसाब से तो अपने शहडोल जिले में सेब फल की खेती की जा सकती है. अपने क्षेत्र में प्रयोग सफल रहा. सेब फल की खेती अब ठंडे प्रदेश की ही नहीं रही बल्कि अब तकनीक इतनी आगे बढ़ गई है कि इसे ऐसा बनाया गया है कि अब यह 40 से 45 डिग्री के तापमान में भी हो सकता है और इसका सफल प्रयोग हमने अपने क्षेत्र में किया है. किसान बताते हैं कि उन्हें पौधे देते समय ये बताया गया था कि किसी इजरायली टेक्नोलॉजी से इसके पौधों को ऐसा तैयार किया जाता है कि वो इतना तापमान सह लेता है.
![Shahdol Cultivation of apple](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/14-07-2023/mp-sha-01-special-apple-kheti-safal-pkg-7203529_13072023225313_1307f_1689268993_141.jpg)
सेब का इतना बेहतर टेस्ट कैसे : किसान राम सजीवन कचेर बताते हैं कि उनके खेत में जो सेब फल लगे हैं, उसका टेस्ट बाजार से भी शानदार है. ये बहुत ही मीठा है. वह मानते हैं कि ऐसा इसलिए है, क्योंकि उन्होंने पूरी तरह से इसकी खेती जैविक की है. शुरुआत से ही पौधे लगाने से लेकर, फल लगने तक उन्होंने जैविक खाद, जैविक कीटनाशक का ही इस्तेमाल किया है, जिसकी वजह से इस सेब फल में बहुत ही स्वाद है. लोग इसे बहुत पसंद कर रहे हैं. ये सेब फल 110 से 120 ग्राम तक है. मार्केट में जिस साइज के सेब फल आ रहे हैं, लगभग उसी का साइज रहता है.
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इस तरीके से करें सेब की खेती : किसान रामसजीवन कचेर बताते हैं कि सेब फल के पेड़ लगाने के लिए बेहतर समय दिसंबर और जनवरी का महीना होता है. क्योंकि ठंड का महीना होता है. इसके लिए जो गड्ढे तैयार किए जाते हैं, वह 2 बाय 2 फीट या ढाई फीट बाय ढाई फीट होते हैं. जब इसे लगाया था तो उसमें वर्मी कंपोस्ट भर दिया था. मिट्टी भर दिया था और पौधे लगा दिया था. पौधे लगाते समय इसे उपचारित जरूर कर लें. कचेर का कहना है कि शुरुआत में डोशन गोल्डन और अन्ना दो वैरायटी के पौधे लगाए थे, इन दोनों वैरायटी को ऐसे तैयार किया गया है कि ये ज्यादा तापमान को भी झेल सकते हैं.