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शहडोल में बढ़े हुए मतदान प्रतिशत ने बढ़ाई लोगों की उत्सुकता, आख़िर किसे मिलेगा फायदा ? - बीजेपी प्रत्याशी हिंमाद्री सिंह

शहडोल लोकसभा सीट पर इस बार लोगों ने बढ़-चढ़कर मतदान किया है, जिसके चलते इस बार इस सीट का मतदान प्रतिशत हर बार से ज्यादा है. ऐसे में लोगों में उत्सुकता है कि इस बढ़े हुए मतदान प्रतिशत का फायदा आखिर किसे मिलेगा.

शहडोल में हुई बंम्पर वोटिंग
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Published : May 4, 2019, 6:42 PM IST

शहडोल। आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित शहडोल लोकसभा सीट पर 29 अप्रैल को बंपर वोटिंग हुई. जिसके चलते सभी में इस बात की उत्सुकता है कि इस बढ़े हुए मतदान प्रतिशत का किसे फायदा मिलेगा. शहडोल लोकसभा सीट पर इस बार 74.57 फीसदी मतदान हुआ है. जबकि 2014 के चुनाव में यहां कुल 62.08 प्रतिशत मतदान हुआ था.

शहडोल लोकसभा सीट पर अबतक हुए मतदान के इतिहास पर नज़र डाली जाए तो साल 2009 के चुनाव में 49.50 मतदान, 2004 के चुनाव में 39.93 प्रतिशत मतदान हुआ था. जबकि 1999 में 49.76 प्रतिशत, 1998 में 60.82 प्रतिशत, 1996 में 57.49, 1991 में 35.63, 1989 में 46.59, 1984 में 46.28 प्रतिशत, 1980 में 42.03 प्रतिशत, 1977 में 42.93 प्रतिशत, 1971 में 35.09 प्रतिशत, 1967 में 40.52 प्रतिशत, 1962 में 30.77 प्रतिशत, और 1957 में 24.4 प्रतिशत मतदान हुआ था.

शहडोल में बढ़ा मतदान प्रतिशत

जबकि इस बार के मतदान का आंकड़ा पिछले सभी चुनावों से ज्यादा है, ऐसे में दोनों ही दलों का कहना है कि इस बढ़े हुए मतदान प्रतिशत का फायदा उन्हें मिलने वाला है. वरिष्ठ पत्रकार शिवमंगल सिंह का कहना है कि अब तक इस सीट पर बढ़े हुए मतदान प्रतिशत का फायदा विपक्षी दल को मिलता रहा है, लेकिन इस बार वोटिंग प्रतिशत बढ़ने पर राजनीति के जानकार मान रहे हैं कि इस बार युवा वोटरों ने जमकर वोटिंग की है चुनाव आयोग के अवेयरनेस का नतीजा है, कि इस बार वोटिंग परसेंटेज बढ़ा है. ऐसे इसका फायदा किसे मिलता है यह देखने वाली बात होगी. खास बात यह है कि शहडोल संसदीय क्षेत्र की दोनों प्रत्याशियों के क्षेत्र में बंपर वोटिंग हुई है. हालांकि यह तो 23 मई को ही खुलासा होगा कि शहडोल इस बढ़े हुए मतदान का फायदा किसे मिलता है.

शहडोल। आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित शहडोल लोकसभा सीट पर 29 अप्रैल को बंपर वोटिंग हुई. जिसके चलते सभी में इस बात की उत्सुकता है कि इस बढ़े हुए मतदान प्रतिशत का किसे फायदा मिलेगा. शहडोल लोकसभा सीट पर इस बार 74.57 फीसदी मतदान हुआ है. जबकि 2014 के चुनाव में यहां कुल 62.08 प्रतिशत मतदान हुआ था.

शहडोल लोकसभा सीट पर अबतक हुए मतदान के इतिहास पर नज़र डाली जाए तो साल 2009 के चुनाव में 49.50 मतदान, 2004 के चुनाव में 39.93 प्रतिशत मतदान हुआ था. जबकि 1999 में 49.76 प्रतिशत, 1998 में 60.82 प्रतिशत, 1996 में 57.49, 1991 में 35.63, 1989 में 46.59, 1984 में 46.28 प्रतिशत, 1980 में 42.03 प्रतिशत, 1977 में 42.93 प्रतिशत, 1971 में 35.09 प्रतिशत, 1967 में 40.52 प्रतिशत, 1962 में 30.77 प्रतिशत, और 1957 में 24.4 प्रतिशत मतदान हुआ था.

शहडोल में बढ़ा मतदान प्रतिशत

जबकि इस बार के मतदान का आंकड़ा पिछले सभी चुनावों से ज्यादा है, ऐसे में दोनों ही दलों का कहना है कि इस बढ़े हुए मतदान प्रतिशत का फायदा उन्हें मिलने वाला है. वरिष्ठ पत्रकार शिवमंगल सिंह का कहना है कि अब तक इस सीट पर बढ़े हुए मतदान प्रतिशत का फायदा विपक्षी दल को मिलता रहा है, लेकिन इस बार वोटिंग प्रतिशत बढ़ने पर राजनीति के जानकार मान रहे हैं कि इस बार युवा वोटरों ने जमकर वोटिंग की है चुनाव आयोग के अवेयरनेस का नतीजा है, कि इस बार वोटिंग परसेंटेज बढ़ा है. ऐसे इसका फायदा किसे मिलता है यह देखने वाली बात होगी. खास बात यह है कि शहडोल संसदीय क्षेत्र की दोनों प्रत्याशियों के क्षेत्र में बंपर वोटिंग हुई है. हालांकि यह तो 23 मई को ही खुलासा होगा कि शहडोल इस बढ़े हुए मतदान का फायदा किसे मिलता है.

Intro:आदिवासी अंचल में बढ़े हुए वोटिंग प्रतिशत ने बढ़ाई लोगों की उत्सुकता आख़िर किसे मिलेगा फायदा

शहडोल- शहडोल लोकसभा सीट पर मतदान तो 29 अप्रैल को ही हो चुके हैं लेकिन जिस तरह की बम्पर वोटिंग जिले में हुई है उसे देखकर हर कोई ये जानना चाह रहा है कि इस बढ़े हुए वोटिंग प्रतिशत का फायदा किसे मिलेगा। क्या एन्टीइनकंबेंसी की वजह से मतदान प्रतिशत बढ़ा है, या फिर मोदी का जादू चला है। इस बात की बहस हर जगह हो रही है कि इस अंचल में कौन मारेगा बाज़ी, मतगणना से पहले लोग समीकरण बिठाने में लगे हैं कि आखिर इसका फायदा किसे मिलेगा।


Body:शहडोल में बढ़ा मतदान प्रतिशत

शहडोल लोकसभा सीट पर इस बार 74.57 फीसदी मतदान हुआ है। मतलब बम्पर वोटिंग हुई है, पिछली बार शहडोल लोकसभा सीट में हुए 2016 के उपचुनाव में 66.82 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। साल 2014 में 62.08 प्रतिशत मतदान हुआ था, लेकिन इस बार 74.57 प्रतिशत हुए मतदान ने सबकी उत्सुकता बढ़ा दी है। कांग्रेसियों का मानना है कि इस बम्पर वोटिंग का फायदा उन्हें ही मिलने वाला है, तो बीजेपी वालों का मानना है कि उन्हें इस बढ़े हुए वोटिंग प्रतिशत का फायदा मिलेगा।

वैसे इस सीट पर वोटिंग प्रतिशत को लेकर शहडोल लोकसभा सीट के इतिहास पर नज़र डालें तो साल 2009 के चुनाव में 49.50 मतदान, 2004 के चुनाव में 39.93 प्रतिशत मतदान हुआ था। 1999 में 49.76 प्रतिशत, 1998 में 60.82 प्रतिशत, 1996 में 57.49, 1991 में 35.63, 1989 में 46.59, 1984 में 46.28 प्रतिशत, 1980 में 42.03 प्रतिशत, 1977 में 42.93 प्रतिशत, 1971 में 35.09 प्रतिशत, 1967 में 40.52 प्रतिशत, 1962 में 30.77 प्रतिशत, और 1957 में 24.4 प्रतिशत मतदान हुआ था।


Conclusion:जानिये क्या कहते हैं एक्सपर्ट

जाहिर है बढ़े हुए मतदान प्रतिशत ने इस लोकसभा सीट में लोगों के मन में उत्सुकता तो जगा रखी है कि आखिर इस का फायदा किस पार्टी को मिलने जा रहा है। इन दिनों जहां भी जाईये चुनाव के बाद चर्चा बस यही है।

वरिष्ठ पत्रकार शिवमंगल सिंह शहडोल लोकसभा सीट में बढ़े हुए मतदान प्रतिशत को लेकर कहते हैं कि
वोटिंग प्रतिशत बढ़ने का मतलब अभी तक तो ये माना जाता रहा है कि अगर अप्रत्याशित तौर पर वोटिंग प्रतिशत बढ़ी है, तो विपक्षी दलों में फायदा होता रहा है। और अभी मौज़ूदा समय में यहां बीजेपी की सत्ता है। लेकिन इस बार वोटिंग प्रतिशत बढ़ने को लेकर जो राजनीति के जानकार मान रहे हैं कि इस बार युथ ने जमकर वोटिंग की है चुनाव आयोग के अवेयरनेस का नतीजा है कि इस बार वोटिंग परसेंटेज बढ़ा है। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि अगर युथ ने वोटिंग ज्यादा की है तो इसका फायदा भाजपा को ज्यादा मिल सकता है।
लेकिन अभी से इस तरह से कुछ भी भविष्यवाणी कर देना मुश्किल है।

कांग्रेस प्रत्याशी प्रमिला सिंह के क्षेत्र से बम्पर वोटिंग हुई है, वो जयसिंहनगर से विधायक रही हैं, इसके अलावा बीजेपी प्रत्याशी हिमाद्री सिंह पुष्पराजगढ़ लोकल से हैं और उनका क्षेत्र भी वोटिंग के मामले में दूसरे नंबर पर है। प्रत्याशियों का स्थानीय होना भी एक फैक्टर हो सकता है कि स्थानीय लोग अपने क्षेत्र के लोगों को जिताना चाह रहे हो।

बड़वारा विधानसभा सीट पर इस बार कम वोटिंग हुई है ये एक ऐसी सीट रही है जो यहां दोनों प्रत्याशियों के पहुंच से दूर रही है।

अगर वहां युथ ने वोटिंग की होगी और मोदी फैक्टर होगा और वहां का युथ अगर मोदी को हीरो मान रहा होगा तो इसका फायदा बीजेपी को मिल सकता है ।

बहरहाल ये तो 23 मई को ही खुलासा होगा कि शहडोल लोकसभा सीट में बाज़ी कौन मारता है इस बढ़े हुए वोटिंग प्रतिशत का फायदा किसे मिलता है। लेकिन यहां के मतदाताओं ने जरूर बम्पर वोटिंग कर सभी के लिए एक सस्पेन्स क्रिएट कर दिया है। और मतदान के बाद भी इस लोकसभा सीट में रोमांच बरकार रखा है।

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