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लगातार बारिश के बाद जिले में मौसम ने फिर बदली है करवट, किसानों के लिए अच्छी खबर - मौसम विभाग

ईटीवी भारत से खास बातचीत में कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि दलहनी और सोयाबीन की खेती करने वाले किसान इन खास बातों का ध्यान रखें तो नुकसान से बच सकते हैं.

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Published : Jul 13, 2019, 8:21 PM IST

शहडोल। पिछले कुछ दिन की लगातार बारिश के बाद जिल में मौसम ने एक बार फिर करवट ली है. जो किसान बोवनी का काम सही तरीके से नहीं कर पा रहे थे. वे अब सही करीके से बोवनी कर सकते हैं. ईटीवी भारत से खास बातचीत में कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि दलहनी और सोयाबीन की खेती करने वाले किसान इन खास बातों का ध्यान रखें तो नुकसान से बच सकते हैं.


किसान न हों परेशान, बस इन बातों का रखें ध्यान
कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह के मुताबिक मौसम ने अभी किसानों को बोनी का काम पूरा करने के लिए बेहतर मौका दिया है. वे जल्द खेती का काम कर लें क्योंकि एक दो दिन में फिर बारिश की संभावना बन रही है. कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि अभी जिले में 172 एमएम के करीब बारिश हो चुकी है. दलहनी के फसलों की बोनी के लिये ये बहुत ही उपयुक्त समय है. दलहनी की कोई भी फसल हो मूंग, उड़द, अरहर किसी भी तरह के फसल के लिय यह बेहतर मौका है.

सोयाबीन की फसल वाले किसान किस्म बदलें
शहडोल जिले के करीब 25 से 30 गांव ऐसे हैं, जहां सोयाबीन की की खेती की जाती है. इसी फसल के उत्पादन से क्षेत्र के कई किसान समृद्ध हुए हैं. पिछले कुछ साल से किसान परेशान हैं, क्योंकि बदले मौसम चक्र से सोयाबीन की फसल लेने वाले किसानों को नुकसान हो रहा है. सोयाबीन की खेती करने वाले ज्यादातर किसान जेएस 335 किस्म की बीज लगाते हैं.

जो बहुत पुरानी हो चुकी है. सोयाबीन की अब अच्छी और अपडेटेड किस्म आ गई है, जो कम दिन की है.सोयाबीन की पुरानी किस्म में तापमान बढ़ने नमी आने से चारकोल रॉड का प्रकोप देखने को मिलने लगा है. इसलिए नए किस्म के बीज का ही इस्तेमाल करें जिसमें ये दिक्कतें नहीं हैं.

खेती के लिए किसानों के पास सही मौका

ऐसी जमीन पर सिर्फ धान ही लगाएं
कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह का कहना है कि यहां के किसान उचहन खेतों में भी धान की फसल लगाते हैं. ऐसे जमीन पर दलहन की फ़सल लगाएं तो ज्यादा फायदा मिलेगा. दलहन में मूंग, अरहर, उड़द किसी भी तरह के दलहनी फसल का इस्तेमाल कर सकते हैं.


गौरतलब है कि शहडोल में बारिश देरी से शुरू हुई है. जिससे किसानों की खेती देरी से स्टार्ट हुई है. पिछले कुछ दिन से लगातार हो रही बारिश से भी किसान बोनी का काम नहीं कर पा रहे थे. अब मौसम के खुल जाने से किसानों को भी शानदार मौका मिला है.

शहडोल। पिछले कुछ दिन की लगातार बारिश के बाद जिल में मौसम ने एक बार फिर करवट ली है. जो किसान बोवनी का काम सही तरीके से नहीं कर पा रहे थे. वे अब सही करीके से बोवनी कर सकते हैं. ईटीवी भारत से खास बातचीत में कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि दलहनी और सोयाबीन की खेती करने वाले किसान इन खास बातों का ध्यान रखें तो नुकसान से बच सकते हैं.


किसान न हों परेशान, बस इन बातों का रखें ध्यान
कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह के मुताबिक मौसम ने अभी किसानों को बोनी का काम पूरा करने के लिए बेहतर मौका दिया है. वे जल्द खेती का काम कर लें क्योंकि एक दो दिन में फिर बारिश की संभावना बन रही है. कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि अभी जिले में 172 एमएम के करीब बारिश हो चुकी है. दलहनी के फसलों की बोनी के लिये ये बहुत ही उपयुक्त समय है. दलहनी की कोई भी फसल हो मूंग, उड़द, अरहर किसी भी तरह के फसल के लिय यह बेहतर मौका है.

सोयाबीन की फसल वाले किसान किस्म बदलें
शहडोल जिले के करीब 25 से 30 गांव ऐसे हैं, जहां सोयाबीन की की खेती की जाती है. इसी फसल के उत्पादन से क्षेत्र के कई किसान समृद्ध हुए हैं. पिछले कुछ साल से किसान परेशान हैं, क्योंकि बदले मौसम चक्र से सोयाबीन की फसल लेने वाले किसानों को नुकसान हो रहा है. सोयाबीन की खेती करने वाले ज्यादातर किसान जेएस 335 किस्म की बीज लगाते हैं.

जो बहुत पुरानी हो चुकी है. सोयाबीन की अब अच्छी और अपडेटेड किस्म आ गई है, जो कम दिन की है.सोयाबीन की पुरानी किस्म में तापमान बढ़ने नमी आने से चारकोल रॉड का प्रकोप देखने को मिलने लगा है. इसलिए नए किस्म के बीज का ही इस्तेमाल करें जिसमें ये दिक्कतें नहीं हैं.

खेती के लिए किसानों के पास सही मौका

ऐसी जमीन पर सिर्फ धान ही लगाएं
कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह का कहना है कि यहां के किसान उचहन खेतों में भी धान की फसल लगाते हैं. ऐसे जमीन पर दलहन की फ़सल लगाएं तो ज्यादा फायदा मिलेगा. दलहन में मूंग, अरहर, उड़द किसी भी तरह के दलहनी फसल का इस्तेमाल कर सकते हैं.


गौरतलब है कि शहडोल में बारिश देरी से शुरू हुई है. जिससे किसानों की खेती देरी से स्टार्ट हुई है. पिछले कुछ दिन से लगातार हो रही बारिश से भी किसान बोनी का काम नहीं कर पा रहे थे. अब मौसम के खुल जाने से किसानों को भी शानदार मौका मिला है.

Intro:Note_ वर्जन कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह का है।

कुछ दिन के लगातार बारिश के बाद जिले में मौसम ने फिर बदली है करवट, किसानों के लिए शानदार मौका

शहडोल- शहडोल जिले में पिछले कुछ दिन की लगातार बारिश से किसान बोनी का कार्य सही तरीके से नहीं कर पा रहे थे, लेकिन अब मौसम ने फिर से किसानों को मौका दिया है, जो किसान अब तक बोवनी का कार्य नहीं कर पाए हैं वो कर लें, साथ ही दलहनी की फ़सल, और सोयाबीन की खेती करने वाले किसान इन खास बातों का ध्यान रखें तो नुकसान से बच जायेंगे।



Body:किसान न हों परेशान, बस इन बातों का रखें ध्यान

किसान परेशान न हों बल्कि इन बातों का ध्यान रखें, तो उन्हें खेती में नुकसान नहीं होगा, बेशक जिले में बारिश करीब एक हफ्ते देरी से हुई है लेकिन परेशान होने की जरूरत नहीं है हलांकि कुछ किसान बोनी का कार्य अपना निपटा चुके हैं,लेकिन जो किसान बोनी का कार्य लगातार बारिश की वजह से अबतक नहीं कर पाए हैं वो निराश न हों उनके लिए मौसम ने शानदार मौका दिया है। बोनी का कार्य कर लें।

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह के मुताबिक मौसम ने अभी किसानों को बोनी का कार्य पूरा करने के लिए बेहतर मौका दिया है जल्दी से इसे कर लें, क्योंकि एक दो दिन में मानसून फिर आ रहा है और बारिश की संभावना बन रही है।

दलहनी फसलों के बोनी का सबसे सही समय

अभी जिले में 172 एमएम के करीब बारिश हो चुकी है डॉक्टर मृगेंद्र सिंह कहते हैं कि दलहनी के फसलों की बोनी के लिये ये बहुत ही उपयुक्त समय है। दलहनी की कोई भी फसल हो मूंग, उड़द, अरहर किसी भी तरह के दलहनी की फसल हो इससे बेहतर मौका नहीं हो सकता है।

सोयाबीन की फसल वाले किसान किस्म बदलें

शहडोल जिले के करीब 25 से 30 गांव ऐसे हैं जहां सोयाबीन की की खेती की जाती है और इसी फसल के उत्पादन से क्षेत्र के कई किसान समृद्ध हुए हैं लेकिन पिछले कुछ साल से किसान परेशान हैं क्योंकि बदले मौसम चक्र से सोयाबीन की फसल लेने वाले किसानों को नुकसान हो रहा है। उन्हें कृषि वैज्ञानिक सलाह देते हैं कि क्षेत्र में सोयाबीन की खेती करने वाले ज्यादातर किसान जेएस 335 किस्म की बीज लगाते हैं जो बहुत पुरानी हो चुकी है और करीब 135 दिन की है पिछले साल देखा गया है कि उसमें मोजेक आ गया है। सोयाबीन की अब अच्छी और अपडेटेड किस्म आ गई हैं जो कम दिन की हैं 110 से 115 दिन की किस्में हैं।

सोयाबीन की पुरानी किस्म में तापमान बढ़ने मॉइस्चर आने से चारकोल रॉड का प्रकोप देखने को मिलने लगा है, इसलिए नए किस्म के बीज का ही इस्तेमाल करें जिसमें ये दिक्कतें नहीं हैं।

ऐसी जमीन पर सिर्फ धान ही लगाएं

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह बताते हैं कि हमारे क्षेत्र के किसानों में ये बात देखने को मिलता है कि यहां के किसान उचहन खेतों में भी धान की फ़सल लगाते हैं ऐसे जमीन पर दलहन की फ़सल लें तो फायदा ज्यादा मिलेगा। दलहन में मूंग, अरहर, उड़द किसी भी तरह के दलहनी फसल का इस्तेमाल कर सकते हैं।




Conclusion:गौरतलब है कि शहडोल जिले में बारिश देरी से शुरू हुई है जिससे किसानों की खेती देरी से स्टार्ट हुई है, पिछले कुछ दिन से लगातार हो रही बारिश से भी किसान बोनी का काम नहीं कर पा रहे थे अब मौसम के खुल जाने से किसानों को भी शानदार मौका मिला है।
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