शहडोल। कोरोना वायरस की वजह से पूरा देश लॉकडाउन है, जिसका असर रामनवमी पर देखा गया. जिन मंदिरों में लोगों की भारी भीड़ उमड़ती थी आज लॉकडाउन की वजह से वहां सन्नाटा पसरा रहा. शहडोल जिले के सिंहपुर गांव में रामनवमी के दिन भव्य मेला लगता था. जो इस बार निरस्त कर दिया गया. ईटीवी भारत ने इस मौके पर सिंहपुर गांव पहुंचकर वहां का जायजा लिया.
शहडोल जिला मुख्यालय से करीब 15 से 20 किलोमीटर दूर सिंहपुर गांव में रामनवमी के दिन सदियों से मेला लगता आ रहा है, लेकिन इस बार यह परंपरा टूट गई. स्थानीय लोग इस बार मेला न लगने की वजह से निराश हैं,लेकिन उन्हें उम्मीद है कि देश कोरोना से जंग जीतेगा और अगले साल यहां मेला फिर से लगेगा. स्थानीय लोगों का कहना था कि इतिहास में कभी भी ऐसा नहीं हुआ कि मेला न लगा हो सालभर इस मेले का इंतज़ार लोग करते थे. लेकिन इस बार न तो भव्य जलसा हुआ न रामनवमी मनाई गई. इस लॉकडाउन की वजह से सारी परम्पराएं टूट गईं. मेले में करीब 100 गांव के लोग शामिल होते थे.
भावुक हो गए पुजारी
काली माता मंदिर के पुजारी इस बार मेला न लगने की वजह से भावुक हो गए. उन्होंने कहा कि कोरोना रूपी राक्षस की वजह से भक्त इस चैत्र नवरात्र में माता के दर्शन नहीं कर पाए. जिस नवरात्र के नौवें दिन यहां करीब एक किलोमीटर तक लंबी लाइन लग जाति थी उसी मंदिर में आज एक भी भक्त नहीं है. उन्होंने कहा कि लोग इस बीमारी से अपना बचाव करें क्योंकि सावधानी ही सबसे बड़ी सुरक्षा है.
गौरतलब है की सिंहपुर वाली काली माता और रामजानकी मंदिर संभाग में काफी प्रसिद्ध हैं. लेकिन इस बार नवरात्र और रामनवमी के दिन भी ये मंदिर सूना है, लॉकडाउन का असर यहां साफ देखा जा सकता है इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि इस लॉकडाउन और कोरोना वायरस नामक बीमारी की वजह से यहां सदियों पुरानी परंपरा को तोड़ना पड़ा.