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ऐतिहासिक मेला बाणगंगा की तैयारियां शुरु, नगरपालिका ने की कुंड की सफाई - प्रसिद्ध मेला बाणगंगा

शहडोल में पांच दिवसीय प्रसिद्ध मेला बाणगंगा की तैयारियां शुरू हो चुकी है. जहां मेले में दुकानें सजने लगी हैं बड़े बड़े झूले लग चुके हैं और मौत का कुआं बन रहा है.

Preparations begin for the historical fair Banganga
ऐतिहासिक मेला बाणगंगा की तैयारियां शुरु
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Published : Jan 9, 2020, 7:51 PM IST

शहडोल। जिला मुख्यालय में मकर संक्रांति के दिन से लगने वाले बाणगंगा मेले की तैयारी अभी से शुरू कर दी गई है. मेला मैदान में दुकानें सजने लगी हैं. बड़े-बड़े झूले लग चुके हैं. और मौत का कुआं बन रहा है. मेला मैदान में पहुंचते ही तरह-तरह के आधुनिक जमाने के झूले मिल जाएंगे. दुकानदार अपनी दुकानों को सजाने में लगे हैं, मेला 14 जनवरी को लगेगा.

ऐतिहासिक मेला बाणगंगा की तैयारियां शुरु

मेले का ऐतिहासिक महत्त्व

बाणगंगा मेले का ऐतिहासिक महत्व है और ये मेला आसपास के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान रखता है. मकरसंक्रांति के दिन लोग मेले का आनंद लेने के लिए दूर दूर से आते हैं. इसके अलावा मकरसंक्रांति के पावन मौके पर बाणगंगा कुंड में स्नान करते हैं. विराट मंदिर में भगवान शिव के दर्शन करते हैं, और पुण्य कमाते हैं. साथ ही मेले का दिनभर आनंद लेते हैं.

कुंड की सफाई शुरू

बाणगंगा कुंड की सफाई भी नगरपालिका ने शुरू कर दी है, क्योंकि बाणगंगा कुंड में काफी संख्या में लोग मकरसंक्रांति के दिन स्नान करते हैं.

सिकुड़ता जा रहा मेला

गौरतलब है कि शहडोल का बाणगंगा मेला काफी प्रसिद्ध मेला है, और इसकी पहचान दूर-दूर तक है. हालांकि ये मेला बदलते वक्त के साथ अब धीरे-धीरे सिकुड़ता जा रहा है. क्योंकि पहले जितनी जगह में मेला लगता था, वो जगह कम हो चुकी है. फिलहाल इस मेले का ऐतिहासिक महत्व है. तो लोग आज भी इस मेले का आनंद उठाने से पीछे नहीं रहते हैं.

शहडोल। जिला मुख्यालय में मकर संक्रांति के दिन से लगने वाले बाणगंगा मेले की तैयारी अभी से शुरू कर दी गई है. मेला मैदान में दुकानें सजने लगी हैं. बड़े-बड़े झूले लग चुके हैं. और मौत का कुआं बन रहा है. मेला मैदान में पहुंचते ही तरह-तरह के आधुनिक जमाने के झूले मिल जाएंगे. दुकानदार अपनी दुकानों को सजाने में लगे हैं, मेला 14 जनवरी को लगेगा.

ऐतिहासिक मेला बाणगंगा की तैयारियां शुरु

मेले का ऐतिहासिक महत्त्व

बाणगंगा मेले का ऐतिहासिक महत्व है और ये मेला आसपास के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान रखता है. मकरसंक्रांति के दिन लोग मेले का आनंद लेने के लिए दूर दूर से आते हैं. इसके अलावा मकरसंक्रांति के पावन मौके पर बाणगंगा कुंड में स्नान करते हैं. विराट मंदिर में भगवान शिव के दर्शन करते हैं, और पुण्य कमाते हैं. साथ ही मेले का दिनभर आनंद लेते हैं.

कुंड की सफाई शुरू

बाणगंगा कुंड की सफाई भी नगरपालिका ने शुरू कर दी है, क्योंकि बाणगंगा कुंड में काफी संख्या में लोग मकरसंक्रांति के दिन स्नान करते हैं.

सिकुड़ता जा रहा मेला

गौरतलब है कि शहडोल का बाणगंगा मेला काफी प्रसिद्ध मेला है, और इसकी पहचान दूर-दूर तक है. हालांकि ये मेला बदलते वक्त के साथ अब धीरे-धीरे सिकुड़ता जा रहा है. क्योंकि पहले जितनी जगह में मेला लगता था, वो जगह कम हो चुकी है. फिलहाल इस मेले का ऐतिहासिक महत्व है. तो लोग आज भी इस मेले का आनंद उठाने से पीछे नहीं रहते हैं.

Intro:ऐतिहासिक मेले की तैयारी शुरु, सजने लगे बाज़ार, लगने लगा झूला, नगरपालिका ने की कुंड की सफाई

शहडोल- शहडोल जिले का ऐतहासिक मेला है बाणगंगा मेला जो बाणगंगा मेला मैदान में हर साल मकर संक्रांति के दिन से शुरू होता है और 5 दिन तक चलता है, इस मेले में भारी संख्या में लोग पहुंचते हैं।
बाणगंगा मेले की तैयारी शुरु हो चुकी है, बाणगंगा कुंड की साफ सफाई आज से नगरपालिका ने शुरू कर दी है तो वहीं मेला मैदान में दुकानें भी सजने लगी हैं।


Body:ऐतिहासिक मेले की तैयारी शुरू

शहडोल जिला मुख्यालय में मकर संक्रांति के दिन से शुरू होने वाला मेला बाणगंगा मेला के नाम से प्रसिद्ध है। जो हर साल बाणगंगा मेला मैदान में 14 जनवरी से शुरू होता है और लगातार 5 दिन तक चलता है।

मेला बड़ा और ऐतिहासिक होता है इसलिए उसकी तैयारी भी अभी से शुरू कर दी गई है। मेला मैदान में दुकानें सजने लगी हैं बड़े बड़े झूले लग चुके हैं, मौत का कुआं बन रहा है मेला मैदान में पहुंचते ही आपको तरह तरह के आधुनिक जमाने के झूले मिल जाएंगे। दुकानदार अपनी दुकानों को सजाने में लगे हैं, जिससे 14 जनवरी से ही मेला में वो अपनी दुकानों को शुरु कर सकें।

इसलिए है ऐतिहासिक महत्त्व

बाणगंगा मेले का ऐतिहासिक महत्व है और ये मेला आसपास के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान रखता है।

मकरसंक्रांति के दिन लोग मेले का आनंद लेने तो दूर दूर से आते ही हैं इसके अलावा मकरसंक्रांति के पावन मौके पर बाणगंगा कुंड में स्नान करते हैं विराट मंदिर में भगवान शिव के दर्शन करते हैं, और पुण्य कमाते हैं साथ ही मेले का दिनभर आनंद लेते हैं।

कुंड की सफाई शुरू

बाणगंगा कुंड की सफाई भी आज से नगरपालिका ने शुरू कर दी है क्योंकी बाणगंगा कुंड में काफी संख्या में लोग मकरसंक्रांति के दिन स्नान करते हैं।




Conclusion:गौरतलब है कि शहडोल का बाणगंगा मेला काफी प्रसिद्ध मेला है, और इसकी पहचान दूर दूर तक है हलांकि ये मेला बदलते वक्त के साथ अब धीरे धीरे सिकुड़ता जा रहा है क्योंकि पहले जितने जगह में मेला लगता है वो जगह भी मैदान में कम हो चुका है फिलहाल इस मेले का ऐतिहासिक महत्व है तो लोग आज भी इस मेले का आनंद उठाने से पीछे नहीं रहते हैं।
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