शहडोल। कल धनतेरस के उपलक्ष्य में बाजारों में दिनभर चहल पहल रही. उस दौरान लोग दिपावली की खरीदारी करते दिखे. आज नरक चौदस यानी छोटी दिपावली का दिन है. जिसकी तैयारी में लोग जुट हुए हैं. विंध्य क्षेत्र और छत्तीसगढ़ में आज भी नरक चौदस को खास महत्व दिया जाता है. इस दिन ब्रम्ह मुहूर्त में सूर्योदय से पहले घर के बाहर स्नान करने की परंपरा है. पंडित सुशील कुमार शुक्ला बताते हैं कि इस स्नान का खास महत्व होता है. इसके बहुत फायदे होते हैं.
पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि नरक चौदस के दिन ही नरकासुर राक्षस का वध हुआ था. शास्त्री जी कहते हैं कि एक नरका सुर नाम का राक्षस हुआ करता था. जो महात्माओं और लड़कियों को बंदी बना लेता था. जिसको लेकर सभी लोग बहुत परेशान थे. जिसके बाद भगवान का अवतार हुआ और उन्होंने नरक चौदस के ही दिन नरकासुर राक्षस का वध कर लोगों को उसके अत्याचार से मुक्ति दिलाई थी.
विंध्य क्षेत्र में ये परंपरा है काफी प्रसिद्ध
पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि देश रीति, कुल रीति, शास्त्र रीति के अनुसार नरक चौदस के दिन विंध्य क्षेत्र और छत्तीसगढ़ में ये प्रचलन में है कि नरकचौदस के दिन ब्रम्हमुहूर्त में सूर्योदय से पहले घर में मां अपने बच्चों को पानी में गंगा जल डालकर घर के बाहर स्नान कराती है.
स्नान का है धर्मिक महत्व
जो भी व्यक्ति ब्रम्हमुहूर्त में सूर्योदय से पहले इस विधि से नरक चौदस के दिन स्नान करता है तो वो नरक में जाने से बच जाता है और उससे पहले जो भी जाने अनजाने उससे पाप होता है वो भी उसी के साथ धुल जाता है.
गौरतलब है कि नरक चौदस का शहडोल से लेकर पूरे विंध्य क्षेत्र मे खास महत्व होता है. और यहां इसके लिए खास तैयरी भी की जाती है और इस दिन मंदिरों और घरों में विशेष पूजा अर्चना की जाती है.