शहडोल। जिला अस्पताल में 6 मासूमों के मौत के बाद मामला गरमाता जा रहा है, पिछले दो दिन में कमलनाथ सरकार के तीन मंत्री जिला अस्पताल का निरीक्षण कर चुके हैं. अस्पताल में विधायक से लेकर मंत्रियों का जमावड़ा लगा रहा, जबकि इस मामले पर खूब राजनीति हुई, लेकिन उन परिवारों का हाल जानने कोई नहीं पहुंचा, जिसने अपने बच्चों को खोया है.
शहडोल जिला अस्पताल में 6 मासूमों की मौत हो गई थी, जिसके बाद मंत्री से लेकर नेताओं तक का जमावड़ा अस्पताल में लगा रहा, लेकिन पीड़ित परिवारों के घर उनका हाल जानने अबतक कोई नहीं पहुंचा. जिस काली रात में 6 मासूमों की मौत हुई, उनमें से एक परिवार शहडोल जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर पडमनिया कला में रहता है. जब ईटीवी भारत की टीम पीड़ित परिवार के घर पहुंची तो परिवार ने अपना दर्द साझा किया.
अस्पताल से दो दिन बाद दे दी थी छुट्टी
6 बच्चों में से एक बच्चा पडमनिया कला गांव के रानी बैगा और संतलाल बैगा का था, उसकी बड़ी मां कलाबाई बैगा ने बताया कि जिस बच्चे की मौत हुई है, वो लगभग 1 महीने 10 दिन का था. बच्चे को निमोनिया होने पर 6 दिन जिला अस्पताल में ही एडमिट करके रखा गया. उसके बाद बच्चे को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई. परिजनों ने आरोप लगाया कि अस्पताल से छुट्टी दे दी गई, लेकिन बच्चा ठीक नहीं हुआ था, परिजनों ने ये भी आरोप लगाते हुए कहा कि जब इसका उन्होंने विरोध किया कि बच्चा अभी ठीक नहीं हुआ तो बोले दिन खत्म हो गया, क्या अस्पताल में ही रखे रहेंगे.
परिवार का दर्द
अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद परिजन बच्चे को घर लेकर आ गए, फिर 2 दिन बाद ही बच्चे की हालत बिगड़ गई और आधी रात में ही बच्चे को जिला अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां उसकी मौत हो गई. पीड़ित परिजन बताते हैं कि उनसे मिलने अब तक कोई नहीं पहुंचा और न ही किसी ने कोई मदद की. मंत्री मिनिस्टर छोड़िए यहां सरपंच तक मिलने नहीं आया.
उन दो बड़े साहबों का आज भी इंतजार
पीड़ित बैगा परिवार ने कहा कि उन्हें बुधवार को दोपहर में दो पुलिस वाले आकर कह गए थे कि भोपाल से दो साहब आएंगे मिलने, लेकिन आजतक कोई नहीं आया, इस परिवार को आज भी आस है कि भोपाल के वो दो साहब आज भी शायद मिलने पहुंचे. दो दिन पहले जिला अस्पताल में निमोनिया से 6 बच्चों की मौत हो गई थी. घटना के पहले दिन कमलेश्वर पटेल, दूसरे दिन जिले के प्रभारी मंत्री ओमकार सिंह मरकाम और तुलसी सिलावट भी पहुंच गए, सभी ने अस्पताल का निरीक्षण भी किया और जांच होगी, कार्रवई होगी, दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा, लेकिन परिजनों का दर्द जानने कोई नहीं पहुंचा.