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बदलते मौसम से अगर आप हैं परेशान तो आयुर्वेदिक डॉक्टर के पास है उससे निजात पाने का समाधान

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Published : Sep 3, 2022, 8:35 PM IST

MP News Shahdol आयुर्वेदिक डॉक्टर ऐसे समाधान देंगे कि आपको बदलते मौसम से किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं होगी. जानें कैसे अपने स्वास्थ्य की सुरक्षा करें. वायरल फीवर और दूसरी तरह के बुखार में फर्क कैसे करें. साथ ही कैसे छोटे-छोटे परहेज को अपनाकर इस बदलते मौसम में अपने शरीर को बीमारियों से दूर रखा जा सकता है. आयुर्वेद डॉक्टर अंकित नामदेव की छोटी सी सलाह आपके बड़े काम आ सकती है. (MP News Shahdol Dont worry with climate change)

ayurvedic Doctor tips are useful
बदलते मौसम से परेशान कतई न हो

शहडोल। अगर आप कभी बारिश, कभी चिलचिलाती धूप जैसे बदलते मौसम से परेशान हैं. आपको कतई घबराने की जरूरत नहीं है. आयुर्वेद डॉक्टर के पास आपकी चिंताओं का समुचित समाधान है.बरसात का मौसम चल रहा है और बरसात के इस मौसम में कभी कभी अचानक ही तेज बारिश होने लगती है. फिर चिलचिलाती धूप से लोगों का हाल बेहाल हो जाता है. प्रचंड गर्मी से हालात ऐसे बन जाते हैं की धूप में निकलते ही लोगों की तबीयत खराब होने लगती है. तापमान चाहे जितना ऊपर नीचे हो आप कतई घबरायें नहीं. आयुर्वेदिक डॉक्टर ऐसे समाधान देंगे कि आपको बदलते मौसम से किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं होगी. जानें कैसे अपने स्वास्थ्य की सुरक्षा करें. वायरल फीवर और दूसरी तरह के बुखार में फर्क कैसे करें. साथ ही कैसे छोटे-छोटे परहेज को अपनाकर इस बदलते मौसम में अपने शरीर को बीमारियों से दूर रखा जा सकता है. आयुर्वेद डॉक्टर अंकित नामदेव की छोटी सी सलाह आपके बड़े काम आ सकती है.(ayurvedic Doctor tips are useful)

बदलते मौसम में कौन सी हो सकती है बीमारीः आयुर्वेद डॉक्टर अंकित नामदेव बताते हैं कि आमतौर पर सीजनल बुखार बारिश के बाद में तापमान के ऊपर नीचे होने से होता है. इस बुखार को वायरल फीवर का नाम दे दिया जाता है. सामान्यतया यह फीवर बैक्टीरियल भी होता है. वायरल भी होता है और प्रोटोजोअल भी होता है. इनके बारे में अधिक जानकारी के लिए खून की जांच जरूरी होती है. अगर बुखार आता है तो चिकित्सक की देखरेख में खून की जांच सीवीसी आदि कराकर उपयुक्त औषधियों का सेवन करना चाहिए। चाहे फिर वो एलोपैथिक मेडिसिन हो या फिर आयुर्वेद मेडिसिन हो, डॉक्टर की निगरानी में ही दवाइयों का चयन करना चाहिये।

बीमारियों से बचाव के उपायः इससे बचाव के लिए कोशिश करें कि इस बरसात में अपने आप को अधिक भीगने न दें. बारिश से बचें और अगर किसी कारण भीग भी जाते हैं तो ज्यादा देर तक गीले न रहें. कोशिश करें की कपड़ों को जल्द बदलें. अपने बालों को सुखाएं शरीर को ज्यादा देर तक गीला न रखें। (climate change ayurvedic Doctor tips)

खानपान में रखें विशेष ध्यानः जहां तक खान पान की बात है तो बरसात के समय में इन्फेक्शन होने की सम्भावना सबसे ज्यादा होती. वह इसलिए कि आसपास ज्यादा गंदगी हो जाती है. बाहर की चीजें खाने से बचें. इस समय पानी को लेकर अगर आपको लगता है कि उसकी गुणवत्ता थोड़ी सी भी सही नहीं है तो उसे उबालकर ठंडा करके ही पिएं. आजकल आमतौर पर उल्टी दस्त, बुखार, तेजी से फैलता है. ऐसे में बाहर का खाने से बचें, सड़े गले खाने से बचें, जो ज्यादा दिनों से पैक्ड फूड हैं उससे भी परहेज करें. सब्जियां आदि जो हैं उसे दो तीन बार नमक के पानी से धोने के बाद ही उनको पकाएं. दही का सेवन कम करें.खट्टी चीजों का सेवन कम से कम करें. इसके अलावा मिर्च मसाला कम खाएं और सादा भोजन खाने का प्रयास करें.

घरेलू नुस्खों का कर सकते हैं उपयोगः घरेलू नुस्खे की बात करें तो बीमारी होने से पहले ही उसकी रोकथाम का इंतजाम हो सकता है. अगर हल्का सरदर्द, जुखाम या खरास होती है तो सबसे पहले जो भी आपके किचन में उपलब्ध चीजें हैं उनका उपयोग करें. जैसा कि थोड़ी सी सोंठ वाली चाय पी सकते हैं. तुलसी वाली चाय का उपयोग भी कर सकते हैं. इसके अलावा अदरक काली मिर्च का उपयोग कर सकते हैं। अगर बुखार ज्यादा आ रहा है तो बिना डॉक्टर के परामर्श के दवाई कतई न लें. (MP News Shahdol Dont worry with climate change)

फलों के सेवन से बेहतर हो सकती है सेहतः इस मौसम में फलों के सेवन की बात करें तो नाशपाती का सेवन किया जा सकता है. वह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में बहुत असरदार होती है। वहीं अनार भी एक रोग निरोधक फल है. जिन लोगों के शरीर में ज्यादा जलन होती है उनके लिए अनार का सेवन बहुत ही जरूरी है. सेव तो सदाबहार फल है. हमेशा ही फायदा करता है. इसके लिए तो विशेष कहावत भी बनी है "ईट एंड एप्पल डे कीप द डॉक्टर अवे".इस मौसम में केले के सेवन से बचें क्योंकि इस सीजन में केला खाने से खांसी जुखाम जैसी समस्या हो सकती है. अत्यधिक ठंडे पानी का इस्तेमाल करने से भी बचें. जब तक कोई मजबूरी न हो कोशिश करें कि गर्म और स्वच्छ खाना खाएं।

शहडोल। अगर आप कभी बारिश, कभी चिलचिलाती धूप जैसे बदलते मौसम से परेशान हैं. आपको कतई घबराने की जरूरत नहीं है. आयुर्वेद डॉक्टर के पास आपकी चिंताओं का समुचित समाधान है.बरसात का मौसम चल रहा है और बरसात के इस मौसम में कभी कभी अचानक ही तेज बारिश होने लगती है. फिर चिलचिलाती धूप से लोगों का हाल बेहाल हो जाता है. प्रचंड गर्मी से हालात ऐसे बन जाते हैं की धूप में निकलते ही लोगों की तबीयत खराब होने लगती है. तापमान चाहे जितना ऊपर नीचे हो आप कतई घबरायें नहीं. आयुर्वेदिक डॉक्टर ऐसे समाधान देंगे कि आपको बदलते मौसम से किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं होगी. जानें कैसे अपने स्वास्थ्य की सुरक्षा करें. वायरल फीवर और दूसरी तरह के बुखार में फर्क कैसे करें. साथ ही कैसे छोटे-छोटे परहेज को अपनाकर इस बदलते मौसम में अपने शरीर को बीमारियों से दूर रखा जा सकता है. आयुर्वेद डॉक्टर अंकित नामदेव की छोटी सी सलाह आपके बड़े काम आ सकती है.(ayurvedic Doctor tips are useful)

बदलते मौसम में कौन सी हो सकती है बीमारीः आयुर्वेद डॉक्टर अंकित नामदेव बताते हैं कि आमतौर पर सीजनल बुखार बारिश के बाद में तापमान के ऊपर नीचे होने से होता है. इस बुखार को वायरल फीवर का नाम दे दिया जाता है. सामान्यतया यह फीवर बैक्टीरियल भी होता है. वायरल भी होता है और प्रोटोजोअल भी होता है. इनके बारे में अधिक जानकारी के लिए खून की जांच जरूरी होती है. अगर बुखार आता है तो चिकित्सक की देखरेख में खून की जांच सीवीसी आदि कराकर उपयुक्त औषधियों का सेवन करना चाहिए। चाहे फिर वो एलोपैथिक मेडिसिन हो या फिर आयुर्वेद मेडिसिन हो, डॉक्टर की निगरानी में ही दवाइयों का चयन करना चाहिये।

बीमारियों से बचाव के उपायः इससे बचाव के लिए कोशिश करें कि इस बरसात में अपने आप को अधिक भीगने न दें. बारिश से बचें और अगर किसी कारण भीग भी जाते हैं तो ज्यादा देर तक गीले न रहें. कोशिश करें की कपड़ों को जल्द बदलें. अपने बालों को सुखाएं शरीर को ज्यादा देर तक गीला न रखें। (climate change ayurvedic Doctor tips)

खानपान में रखें विशेष ध्यानः जहां तक खान पान की बात है तो बरसात के समय में इन्फेक्शन होने की सम्भावना सबसे ज्यादा होती. वह इसलिए कि आसपास ज्यादा गंदगी हो जाती है. बाहर की चीजें खाने से बचें. इस समय पानी को लेकर अगर आपको लगता है कि उसकी गुणवत्ता थोड़ी सी भी सही नहीं है तो उसे उबालकर ठंडा करके ही पिएं. आजकल आमतौर पर उल्टी दस्त, बुखार, तेजी से फैलता है. ऐसे में बाहर का खाने से बचें, सड़े गले खाने से बचें, जो ज्यादा दिनों से पैक्ड फूड हैं उससे भी परहेज करें. सब्जियां आदि जो हैं उसे दो तीन बार नमक के पानी से धोने के बाद ही उनको पकाएं. दही का सेवन कम करें.खट्टी चीजों का सेवन कम से कम करें. इसके अलावा मिर्च मसाला कम खाएं और सादा भोजन खाने का प्रयास करें.

घरेलू नुस्खों का कर सकते हैं उपयोगः घरेलू नुस्खे की बात करें तो बीमारी होने से पहले ही उसकी रोकथाम का इंतजाम हो सकता है. अगर हल्का सरदर्द, जुखाम या खरास होती है तो सबसे पहले जो भी आपके किचन में उपलब्ध चीजें हैं उनका उपयोग करें. जैसा कि थोड़ी सी सोंठ वाली चाय पी सकते हैं. तुलसी वाली चाय का उपयोग भी कर सकते हैं. इसके अलावा अदरक काली मिर्च का उपयोग कर सकते हैं। अगर बुखार ज्यादा आ रहा है तो बिना डॉक्टर के परामर्श के दवाई कतई न लें. (MP News Shahdol Dont worry with climate change)

फलों के सेवन से बेहतर हो सकती है सेहतः इस मौसम में फलों के सेवन की बात करें तो नाशपाती का सेवन किया जा सकता है. वह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में बहुत असरदार होती है। वहीं अनार भी एक रोग निरोधक फल है. जिन लोगों के शरीर में ज्यादा जलन होती है उनके लिए अनार का सेवन बहुत ही जरूरी है. सेव तो सदाबहार फल है. हमेशा ही फायदा करता है. इसके लिए तो विशेष कहावत भी बनी है "ईट एंड एप्पल डे कीप द डॉक्टर अवे".इस मौसम में केले के सेवन से बचें क्योंकि इस सीजन में केला खाने से खांसी जुखाम जैसी समस्या हो सकती है. अत्यधिक ठंडे पानी का इस्तेमाल करने से भी बचें. जब तक कोई मजबूरी न हो कोशिश करें कि गर्म और स्वच्छ खाना खाएं।

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