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खेती की आधुनिक तकनीक ने बदली आदिवासी किसानों की तकदीर - mp news

ददरा टोला गांव के आदिवासी किसानों ने आधुनिक खेती को अपनाकर अपने जीवन को खुशहाल बना रहे हैं. कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञनिकों ने इस गांव के किसानों को नई पद्धति से खेती करना सिखाया,जिसने किसानों की तकदीर बदल गई.

खेती की आधुनिक तकनीक ने बदली आदिवासी किसानों की तकदीर
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Published : Sep 10, 2019, 8:41 PM IST

शहडोल। पचड़ी ग्राम पंचायत के ददरा टोला गांव में आधुनिक खेती ने आदिवासी किसानों की किस्मत बदल गई है. पहले इन किसानों की हालत बहुत ही खराब थी. यहां के किसान खेती तो करते थे, लेकिन पुरानी पद्धति से खेती करने को कारण इससे उनके घर का गुजारा नहीं हो पाता था. जिससे उन्हें मजदूरी करनी पड़ती थी. कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञनिकों ने इस गांव के किसानों को नई पद्धति से खेती करना सिखाया, जिस पर किसानों ने भी रुचि दिखाई.

खेती की आधुनिक तकनीक ने बदली आदिवासी किसानों की तकदीर
यहां के किसान पहले से ही मेहनती थे और जब इन्हें आधुनिक खेती के तरीके सिखाए गए, तो इनके जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव सामने आए. किसानों ने सबसे पहले धान की खेती को श्री पद्धति से करना शुरू किया, जिसका किसानों को भरपूर फायदा मिला. इसके बाद इन्होंने दूसरी फसलों में नई तकनीक का उपयोग करना शुरु किया. जिससे आज इस गांव के लगभग सभी किसान समृद्ध हैं.


महिला किसान सुरजी सिंह कहती हैं कि अब वह दोनों सीजन की फसल लेती हैं. अनाज वाली फसलों के साथ सब्जी की भी खेती की जा रही है, जिससे उनको घर चलाने के लिए किसी के आगे हाथ नहीं फैलाना पड़ता.


गांव के ही एक और किसान कहते हैं, कि पहले खेती उनके लिए घाटे का सौदा हुआ करती थी, लेकिन इस गांव के किसानों अपने मेहनत और सीखने की ललक से आधुनिक खेती अपनाकर खुशहाल जीवन जी रहे हैं.


कृषि विज्ञान केंद्र के मार्गदर्शन मिल जाने से यह किसान खेती में बुलंदियों को छू रहे हैं. ददरा टोला के किसान आज आधुनिक तरीके से खेती करने में महारत रखते हैं. जिससे वह लगातार समृद्धि की ओर बढ़ रहे हैं.

शहडोल। पचड़ी ग्राम पंचायत के ददरा टोला गांव में आधुनिक खेती ने आदिवासी किसानों की किस्मत बदल गई है. पहले इन किसानों की हालत बहुत ही खराब थी. यहां के किसान खेती तो करते थे, लेकिन पुरानी पद्धति से खेती करने को कारण इससे उनके घर का गुजारा नहीं हो पाता था. जिससे उन्हें मजदूरी करनी पड़ती थी. कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञनिकों ने इस गांव के किसानों को नई पद्धति से खेती करना सिखाया, जिस पर किसानों ने भी रुचि दिखाई.

खेती की आधुनिक तकनीक ने बदली आदिवासी किसानों की तकदीर
यहां के किसान पहले से ही मेहनती थे और जब इन्हें आधुनिक खेती के तरीके सिखाए गए, तो इनके जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव सामने आए. किसानों ने सबसे पहले धान की खेती को श्री पद्धति से करना शुरू किया, जिसका किसानों को भरपूर फायदा मिला. इसके बाद इन्होंने दूसरी फसलों में नई तकनीक का उपयोग करना शुरु किया. जिससे आज इस गांव के लगभग सभी किसान समृद्ध हैं.


महिला किसान सुरजी सिंह कहती हैं कि अब वह दोनों सीजन की फसल लेती हैं. अनाज वाली फसलों के साथ सब्जी की भी खेती की जा रही है, जिससे उनको घर चलाने के लिए किसी के आगे हाथ नहीं फैलाना पड़ता.


गांव के ही एक और किसान कहते हैं, कि पहले खेती उनके लिए घाटे का सौदा हुआ करती थी, लेकिन इस गांव के किसानों अपने मेहनत और सीखने की ललक से आधुनिक खेती अपनाकर खुशहाल जीवन जी रहे हैं.


कृषि विज्ञान केंद्र के मार्गदर्शन मिल जाने से यह किसान खेती में बुलंदियों को छू रहे हैं. ददरा टोला के किसान आज आधुनिक तरीके से खेती करने में महारत रखते हैं. जिससे वह लगातार समृद्धि की ओर बढ़ रहे हैं.

Intro:Note_ शुरुआत के दो वर्जन किसानों के हैं, और तीसरा और आखिरी वर्जन कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह की है।

जानिए कैसे खेती किसानी ने बदल दी इन किसानों की तकदीर, काम कोई भी हो मन से करिए सफलता जरूर मिलेगी

शहडोल- शहडोल आदिवासी जिले के अंतर्गत आता है क्योंकि यहां आदिवासियों की बहुलता है। और जब आदिवासी किसान बदलते वक़्त के साथ खुद को बदलता है तो उसकी तकदीर कैसे बदल जाती है इस रिपोर्ट को देखकर आप समझ जाएंगे।


Body:शहडोल जिला मुख्यालय से करीब 10 से 12 किलोमीटर दूर है पचड़ी ग्राम पंचायत और इस ग्राम पंचायत के अन्तर्गत ही आता है ददरा टोला जहां करीब 300 से 400 आदिवासी किसानों की बस्ती है।

पहले इन किसानों की हालत बहुत सही नहीं थी, यहां के किसान खेती तो करते थे लेकिन साथ में घर का खर्च चलाने के लिए मज़दूरी भी करते थे, क्योंकि खेती से इतना ज्यादा मुनाफा नहीं होता था,जिससे ये पूरे साल भर का खर्च अपना चला सकें, वजह थी पुराने पद्धति से खेती करना।

लेकिन कहते हैं न कि हर शाम की एक सुबह होती है इन किसानों के जिंदगी में भी एक सुबह आई, यहां के किसान पहले से ही मेहनती थे, और जब इन्हें अत्याधुनिक तरीके से खेती किसानी करने की बारीकियां सिखाई गईं तो इन्होंने इसे हाथों हाथ लिया।

कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञनिकों ने इस गांव के किसानों को पुरानी पद्धति को छोड़कर नए पद्धति से खेती करना सिखाया और बड़े ही तेज़ी के साथ इस गांव के किसानों ने इसे सीखा भी।

पहले धान की खेती को श्री पद्धति से करना शुरू किया फायदा मिला तो साल में दूसरे सीजन की फसल भी लेनी शुरू कर दी। और अब इन किसानों का जुनून और कुछ कर गुजरने की ताकत का ही असर है की इस ददरा टोला के ज्यादातर किसान अब समृद्ध हैं। अब यहां का किसान सिर्फ अपने खेतों में काम करता है मज़दूरी नहीं करता है।
महिला किसान सुरजी सिंह अपने खेत के फसल की निंदाई करवा रहीं थी, कहती हैं कि अब तो वो दो सीजन की फसल लेती हैं, धान, गेंहू, मटर, चना, अरहर, सब्जी हर कुछ की खेती करती हैं और उनका घर अब धड़ल्ले से चल रहा है उन्हें किसी के यहां अब काम करने नहीं जाना पड़ता है। महिला किसान कहती हैं कि पहले बहुत कष्ट था लेकिन अब तो सबकुछ ठीक हो गया है।

एक और किसान कहते हैं की पहले खेती उनके लिए घाटे का सौदा हुआ करता था उनके घर की स्थिति अच्छी नहीं थी लेकिन इस गांव के किसानों ने अपने मेहनत और सीखने की ललक से अपने खेती को पहले आधुनिक खेती में तब्दील किया और अब इसी खेती से अपना खुशहाल जीवन जी रहे हैं। ददरा टोला के अब अधिकतर किसान अपने इसी खेती से समृद्ध हो रहे हैं।


Conclusion:वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह बताते हैं कि पहले ददरा टोला के किसानों की स्थिति अच्छी नहीं थी, पुरानी पद्धति से खेती करते थे लेकिन उन किसानों में एक बात बहुत अच्छी है कि वो किसान बहुत मेहनती हैं, लगनशील हैं, और किसी भी नई चीज को सीखने की ललक है। और यही ददरा टोला के इन किसानों के समृद्धि की मुख्य वजह बनी, उन्हें कृषि विज्ञान केंद्र ने थोड़ी सहारा दिया और आज वो इस खेती की वजह से ही बुलंदियों को छू रहे हैं ददरा टोला के किसान आज आधुनिक तरीके से खेती करने में महारत रखते हैं, और लगातार समृद्धि की ओर बढ़ रहे हैं।

गौरतलब है कि जिस तरह से ददरा टोला के किसानों ने अपनी इस खेती को ही अपने समृद्धि का रास्ता बनाया उससे एक बात तो साफ है की काम कोई भी हो अगर लगन से मेहनत किया जाए तो सफलता जरूर मिलती है।
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