शहडोल। जल है तो कल है. ये बात हर जगह सुनने को मिल जाती है. सरकार भी जोर शोर से पानी बचाने की अपील करती है. जल संरक्षण के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं. ताकि जमीन में वाटर लेवल कम ना हो जाए. शहडोल जिले के एक आदिवासी किसान ने वाटर हार्वेस्टिंग का गजब का जुगाड़ बनाया है. जिसमें किसान ने बरसात के पानी को सहेजने की तरकीब निकाली है. थोड़ी सी पूंजी लगाकर खेती के लिए दो सीजन के लिए पानी की व्यवस्था भी कर लेता है.
राजू सिंह का जुगाड़, हो रहे मालामाल
किसान राजू सिंह मार्को शहडोल जिले के श्याम डी कला गांव के रहने वाले हैं. मार्को ने बरसात के पानी को सहेजने का नायाब तरीका निकाला है. आदिवासी युवा किसान राजू सिंह मार्को बताते हैं कि जब उनका घर बन रहा था, तब उन्होंने इस बारे में सोचा. उन्होंने ऐसी जुगत लगाई कि कैसे छत पर बरसे पानी को कुएं तक लाया जाए. राजू के पास ज्यादा पैसे नहीं थे. उन्होंने सबसे पहले कुएं से घर की दूरी को नापा. पाइप और उसमें लगने वाले सामान का खर्चा पता किया. कुछ पैसों का इंतजाम किया. उन्होंने छत के पूरे पानी को पाइप के जरिए कुएं तक ले जाने का जुगाड़ बनाया. छत पर जो पानी बरसता है. वहां से पाइप लाइन डालकर पूरी छत का पानी कुएं में जा रहा है. जिससे उनके कुएं में फिर से पानी आ रही है. इस जुगाड़ के बाद अब उन्हें खेती के लिए पानी की कमी नहीं होती. साथ ही आसपास सफाई भी रहती है.
पानी भी बचा रहे, पैसे भी कमा रहे
आदिवासी युवा किसान राजू सिंह मार्को कहते हैं कि पहले वो एक ही सीजन की खेती कर पाते थे. क्योंकि पानी की कमी होती थी. कुआं उनका जल्दी सूख जाता था .घर के इस्तेमाल के लिए भी पानी नहीं बचता था. लेकिन जब से छत के पानी को बचाना शुरु किया है पानी की कमी दूर हो गई. उनके वाटर हार्वेस्टिंग के इस तरीके से बरसात के सीजन में तुरंत उनका कुआं रिचार्ज हो जाता है. अब वह दोनों सीजन में फसलों की खेती करते हैं . किसान राजूको ये सेटअप बनाने में 1500 रुपए का खर्च आया है. हालांकि इसे उन्होंने खुद से ही बनाया है . खुद ही मजदूरी भी की.
गावों के लिए नायाब है ये तरीका
पूर्व कृषि विस्तार अधिकारी अखिलेश नामदेव इस आदिवासी किसान के प्रयोग से काफी खुश हैं. अखिलेश नामदेव कहते हैं कि गांव के लिए बरसात के पानी को बचाने का यह नायाब तरीका है. इससे वाटर लेवल भी मेंटेन रहेगा. अखिलेश नामदेव कहते हैं कि गांव में ज्यादातर लोगों के घरों में कुएं होते हैं .जो या कि सूख के खंडहर बन गए हैं या बिना पानी के रहते हैं. ऐसे में अगर ग्रामीण अपने सूखे हुए कुओं को इस तरह से पानी से रिचार्ज कर लें, तो पानी की कमी नहीं रहेगी. अखिलेश नामदेव कहते हैं कि वैसे ही पिछले कुछ साल से बरसात भी कम हो रही है. बरसात का पानी भी व्यर्थ बह जाता है. ऐसे में अगर इस तरीके से बरसात के पानी को बचाया जा सकता है तो ऐसा जरूर करना चाहिए.
...तो पानी को तरसेंगे हमारे बच्चे ! MP में जल संरक्षण के दावे ज्यादा, काम कम
आदिवासी युवा किसान राजू सिंह ने बरसात के पानी को बचाने के लिए जो सेटअप तैयार किया है वो सराहनीय है. उन्हे व्यक्तिगत फायदा तो हो ही रहा है. साथ ही वे दूसरे लिए भी उदाहरण बने हैं.