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रबी सीजन की खेती करने वाले किसान इन बातों का रखें विशेष ध्यान, जानें कृषि वैज्ञानिक की राय

रबी सीजन की खेती को लेकर कई किसान कन्फ्यूजन में रहते हैं कि वह किस तरह की फसलों का चयन करें, किस तरह के खेत में किस तरह की फसल लगाएं. इन तमाम सवालों को हमने सुलझाने की कोशिश की है. इन्हीं सभी सवालों को लेकर हमने कृषि वैज्ञानिक डॉ मृगेंद्र सिंह से बातचीत की है. आइए जानते हैं उनसे आखिर रबी सीजन की खेती करते हुए किन बातों का ध्यान रखें ताकि पैदावार अच्छी हो और लागत भी कम लगे... देखिये ये खास रिपोर्ट...

Sowing of Rabi crops
रबी फसलों की बुवाई
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Published : Nov 24, 2020, 7:42 PM IST

Updated : Nov 24, 2020, 8:10 PM IST

शहडोल। ये समय रबी की फसलों की बुवाई का है. किसान धान की फसल के बाद खेती करने की तैयारी में हैं. ऐसे में कई बार देखा जाता है कि रबी सीजन की खेती को लेकर कई किसान कन्फ्यूजन में रहते हैं कि वह किस तरह की फसलों का चयन करें, किस तरह के खेत में किस तरह की फसल लगाएं. इसके अलावा अगर फसल लगाने में देरी हो गई है तो फिर किस तरह के बीज का चुनाव करें. ऐसे तमाम सवाल किसान के जहन में आते हैं. इन तमाम सवालों को हमने सुलझाने की कोशिश की है. इन्ही सभी सवालों को लेकर हमने कृषि वैज्ञानिक डॉ मृगेंद्र सिंह से बातचीत की है. आइए जानते हैं उनसे आखिर रबी सीजन की खेती करते हुए किन बातों का ध्यान रखें ताकि पैदावार अच्छी हो और लागत भी कम लगे...


किस्मों का रखें विशेष ख्याल

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद सिंह बताते हैं की रबी सीजन की फसल के लिए किसान पानी की उपलब्धता के हिसाब से किस्मों का चयन करें. अगर गेहूं की फसल अपने खेतों पर लगाना चाहते हैं और आपके पास पर्याप्त मात्रा में पानी है. तो कितनी भी सिंचाई कर सकते हैं. पांच सिंचाई वाली जैसे तेजस 3382 है. एचआई 1544 है. जेडब्ल्यू 273 है. इनका चयन करें. वहीं जहां कम पानी है दो या तीन सिंचाई की व्यवस्था वहां पर 3173 वाली किस्म है. आजकल एक सुविधा जरूर है कि रिसर्च की वजह से कम ज्यादा पानी वाली फसलों के किस्में भी बाजार में उपलब्ध हैं. इनसे उत्पादन भी अच्छा मिलेगा.

रबी फसल की बुवाई करते वक्त इन बातों का रखें ध्यान


ये गलती बिल्कुल न करें

कृषि वैज्ञानिक डॉ मृगेंद्र सिंह कहते हैं कि शहडोल जिले में किसान छोटी-छोटी गलतियां भी करते हैं. जैसे डीएपी का छिड़काव गेहूं में यहां के किसान बाद में करते हैं, लेकिन कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि फास्फोरस और पोटेशियम अगर खेत में सीड ड्रिल से बुवाई करा रहे हैं, तो बहुत अच्छा है. उसी समय थोड़ी मात्रा फास्फोरस और पोटेशियम की डीएपी और पोटाश की डाल दें. जैसे खेत की आवश्यकता हो जो आपकी साइल टेस्टिंग रिपोर्ट बता रही हो उसके हिसाब से. साथ ही नत्रजन की जहां तक बात है तो नत्रजन की आधी मात्रा डालें और आधी बाद में टॉप ड्रेसिंग या फिर दूसरे तरीकों से उसको दे सकते हैं. कई बार गलतियां करते हैं कि डीएपी का बाद में टॉप ड्रेसिंग करते हैं तो यह सबसे अधिक ध्यान देने वाली बात है.

Rabi season farming
रबी सीजन की खेती

कम पानी है और फसल लगाना है... तो निराश न हों
कृषि वैज्ञानिक डॉ मृगेंद सिंह बताते हैं कि अगर किसी के खेत में पानी की बहुत कम उपलब्धता है. एक ही सिंचाई हो सकती है या दो सिंचाई कर सकते हैं तो वहां दूसरी फसलों में खासतौर से दूसरी फसलों का चयन कर सकते हैं. खासतौर से अलसी अपने क्षेत्र में बहुत अच्छी होती है. तो अलसी को लगाएं. कीनोवा भी कम पानी में बहुत अच्छा उत्पादन देता है. उसमें भी जा सकते हैं. कीमत भी अच्छी मिलती है. इसके अलावा जौ की बहुत अच्छी कीमत मिलती है. इस समय तो गेहूं से भी महंगा है, जौ वह भी बहुत कम पानी में एक-दो पानी में हो जाता है.

Grain
धान

खेती में देरी हो रही, तो न हों परेशान
कई किसान खरीफ सीजन में ही अपने खेतों में ज्यादा दिन की फसलें लगा देते हैं. जिसकी वजह से रबी सीजन की खेती करने में देरी हो जाती है, तो ऐसे किसान भी परेशान ना हो. अगर खेती करने में देरी हो जाए तो देर से बोई जाने वाली कई किस्में आती हैं. उनका चुनाव करें. जैसे चना, जेजी 14 बहुत अच्छी वैरायटी में मिल जाते हैं. आप चाहे जितना भी लेट हो जाएं दिसंबर जनवरी तक भी आप जाकर इसकी बुवाई कर सकते हैं. अगर आपके पास साधन हैं तो उसे बो सकते हैं और बंपर उत्पादन ले सकते हैं. किस्मों का चुनाव सबसे महत्वपूर्ण है.


खेतों को खाली न छोड़ें
कृषि वैज्ञानिक डॉ मृगेंद्र सिंह कहते हैं कि किसान अपने खेतों को किसी भी कीमत पर खाली ना छोड़े. कोई ना कोई फसल जरूर लगाएं ,क्योंकि आजकल इतनी वैरायटी आती है. इतनी किस्में आ रही है रबी सीजन के लिए आप कम पानी वाली फसल ले सकते हैं, इसलिए किसान अपने खेतों को ऐसे ना छोड़ें अपने खेतों पर फसल जरूर लगाएं और खेतों से दो फसल तो जरूर लें.

Rabi crop sowing
रबी फसल की बुवाई


किसान के लिये ये जरूरी
कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि पानी की उपलब्धता के हिसाब से सोहागपुर विकासखंड को छोड़कर बाकी की जगह तो गेहूं की फसल ही रबी सीजन में सबसे ज्यादा ली जाती है. यहां पर गेहूं रबी सीजन में गेहूं का रकबा सबसे ज्यादा है. गेहूं के अलावा यहां चने की फसल भी लेते हैं. चना अपने सोहागपुर में ही चने की फसल ली जाती है. 5 से 6 हेक्टेयर में चना होता है, अलसी में भी किसानों में जागरूकता आई है. जहां पानी कम है वहां अलसी भी लेते हैं. करीब 2 से 3 हजार हेक्टेयर में अलसी भी लेते हैं. अगर हमे जौ और सरसों में जाना है तो तिलहनी फसलें हैं तो कम पानी में होती अच्छा उत्पादन है. सरकार भी इसके लिए प्रयासरत है. जो आसानी से कम पानी में बंपर उत्पादन देती हैं.

शहडोल। ये समय रबी की फसलों की बुवाई का है. किसान धान की फसल के बाद खेती करने की तैयारी में हैं. ऐसे में कई बार देखा जाता है कि रबी सीजन की खेती को लेकर कई किसान कन्फ्यूजन में रहते हैं कि वह किस तरह की फसलों का चयन करें, किस तरह के खेत में किस तरह की फसल लगाएं. इसके अलावा अगर फसल लगाने में देरी हो गई है तो फिर किस तरह के बीज का चुनाव करें. ऐसे तमाम सवाल किसान के जहन में आते हैं. इन तमाम सवालों को हमने सुलझाने की कोशिश की है. इन्ही सभी सवालों को लेकर हमने कृषि वैज्ञानिक डॉ मृगेंद्र सिंह से बातचीत की है. आइए जानते हैं उनसे आखिर रबी सीजन की खेती करते हुए किन बातों का ध्यान रखें ताकि पैदावार अच्छी हो और लागत भी कम लगे...


किस्मों का रखें विशेष ख्याल

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद सिंह बताते हैं की रबी सीजन की फसल के लिए किसान पानी की उपलब्धता के हिसाब से किस्मों का चयन करें. अगर गेहूं की फसल अपने खेतों पर लगाना चाहते हैं और आपके पास पर्याप्त मात्रा में पानी है. तो कितनी भी सिंचाई कर सकते हैं. पांच सिंचाई वाली जैसे तेजस 3382 है. एचआई 1544 है. जेडब्ल्यू 273 है. इनका चयन करें. वहीं जहां कम पानी है दो या तीन सिंचाई की व्यवस्था वहां पर 3173 वाली किस्म है. आजकल एक सुविधा जरूर है कि रिसर्च की वजह से कम ज्यादा पानी वाली फसलों के किस्में भी बाजार में उपलब्ध हैं. इनसे उत्पादन भी अच्छा मिलेगा.

रबी फसल की बुवाई करते वक्त इन बातों का रखें ध्यान


ये गलती बिल्कुल न करें

कृषि वैज्ञानिक डॉ मृगेंद्र सिंह कहते हैं कि शहडोल जिले में किसान छोटी-छोटी गलतियां भी करते हैं. जैसे डीएपी का छिड़काव गेहूं में यहां के किसान बाद में करते हैं, लेकिन कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि फास्फोरस और पोटेशियम अगर खेत में सीड ड्रिल से बुवाई करा रहे हैं, तो बहुत अच्छा है. उसी समय थोड़ी मात्रा फास्फोरस और पोटेशियम की डीएपी और पोटाश की डाल दें. जैसे खेत की आवश्यकता हो जो आपकी साइल टेस्टिंग रिपोर्ट बता रही हो उसके हिसाब से. साथ ही नत्रजन की जहां तक बात है तो नत्रजन की आधी मात्रा डालें और आधी बाद में टॉप ड्रेसिंग या फिर दूसरे तरीकों से उसको दे सकते हैं. कई बार गलतियां करते हैं कि डीएपी का बाद में टॉप ड्रेसिंग करते हैं तो यह सबसे अधिक ध्यान देने वाली बात है.

Rabi season farming
रबी सीजन की खेती

कम पानी है और फसल लगाना है... तो निराश न हों
कृषि वैज्ञानिक डॉ मृगेंद सिंह बताते हैं कि अगर किसी के खेत में पानी की बहुत कम उपलब्धता है. एक ही सिंचाई हो सकती है या दो सिंचाई कर सकते हैं तो वहां दूसरी फसलों में खासतौर से दूसरी फसलों का चयन कर सकते हैं. खासतौर से अलसी अपने क्षेत्र में बहुत अच्छी होती है. तो अलसी को लगाएं. कीनोवा भी कम पानी में बहुत अच्छा उत्पादन देता है. उसमें भी जा सकते हैं. कीमत भी अच्छी मिलती है. इसके अलावा जौ की बहुत अच्छी कीमत मिलती है. इस समय तो गेहूं से भी महंगा है, जौ वह भी बहुत कम पानी में एक-दो पानी में हो जाता है.

Grain
धान

खेती में देरी हो रही, तो न हों परेशान
कई किसान खरीफ सीजन में ही अपने खेतों में ज्यादा दिन की फसलें लगा देते हैं. जिसकी वजह से रबी सीजन की खेती करने में देरी हो जाती है, तो ऐसे किसान भी परेशान ना हो. अगर खेती करने में देरी हो जाए तो देर से बोई जाने वाली कई किस्में आती हैं. उनका चुनाव करें. जैसे चना, जेजी 14 बहुत अच्छी वैरायटी में मिल जाते हैं. आप चाहे जितना भी लेट हो जाएं दिसंबर जनवरी तक भी आप जाकर इसकी बुवाई कर सकते हैं. अगर आपके पास साधन हैं तो उसे बो सकते हैं और बंपर उत्पादन ले सकते हैं. किस्मों का चुनाव सबसे महत्वपूर्ण है.


खेतों को खाली न छोड़ें
कृषि वैज्ञानिक डॉ मृगेंद्र सिंह कहते हैं कि किसान अपने खेतों को किसी भी कीमत पर खाली ना छोड़े. कोई ना कोई फसल जरूर लगाएं ,क्योंकि आजकल इतनी वैरायटी आती है. इतनी किस्में आ रही है रबी सीजन के लिए आप कम पानी वाली फसल ले सकते हैं, इसलिए किसान अपने खेतों को ऐसे ना छोड़ें अपने खेतों पर फसल जरूर लगाएं और खेतों से दो फसल तो जरूर लें.

Rabi crop sowing
रबी फसल की बुवाई


किसान के लिये ये जरूरी
कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि पानी की उपलब्धता के हिसाब से सोहागपुर विकासखंड को छोड़कर बाकी की जगह तो गेहूं की फसल ही रबी सीजन में सबसे ज्यादा ली जाती है. यहां पर गेहूं रबी सीजन में गेहूं का रकबा सबसे ज्यादा है. गेहूं के अलावा यहां चने की फसल भी लेते हैं. चना अपने सोहागपुर में ही चने की फसल ली जाती है. 5 से 6 हेक्टेयर में चना होता है, अलसी में भी किसानों में जागरूकता आई है. जहां पानी कम है वहां अलसी भी लेते हैं. करीब 2 से 3 हजार हेक्टेयर में अलसी भी लेते हैं. अगर हमे जौ और सरसों में जाना है तो तिलहनी फसलें हैं तो कम पानी में होती अच्छा उत्पादन है. सरकार भी इसके लिए प्रयासरत है. जो आसानी से कम पानी में बंपर उत्पादन देती हैं.

Last Updated : Nov 24, 2020, 8:10 PM IST
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