शहडोल। शहडोल जिला आदिवासी बाहुल्य ग्रामीण प्रधान जिला है. ऐसे में आसमान छू रहे एलपीजी सिलेंडर के दामों से लोगों का हाल बेहाल है. घरेलू रसोई गैस के दाम में एक बार फिर से 50 रुपये की बढ़ोत्तरी हो गई है, जिसके बाद अब घरेलू रसोई गैस के दाम की कीमत 1023.50 रुपए हो गया है. ऐसे में इस महंगाई के दौर में लोगों के लिए इसे रिफिल कराना इतना आसान भी नहीं रहा. उज्जवला योजना जब शुरुआत हुई थी तो लोगों में काफी खुशी थी. वजह थी कि गरीब तबका भी अब सोचने लगा था कि उन्हें भी धुएं से मुक्ति मिल गई. लेकिन जब उज्जवला योजना की शुरुआत हुई थी तो गैस के दाम कम थे और अब पिछले कुछ सालों से लगातार गैस के दाम बढ़ रहे हैं.
गैस सिलेंडर रखे एक तरफ, फिर चूल्हों में लकड़ियां : ETV भारत ने ग्रामीण अंचल के कई आदिवासी वर्ग के लोगों से बात की, जिन्हें उज्जवला योजना के तहत गैस सिलेंडर तो मिल गया, लेकिन पिछले कुछ समय से वो उसे रिफिल नहीं करा पा रहे हैं. उनका कहना है कि अगर ₹1000 में वह एक गैस सिलेंडर कैसे भरवाएंगे. कई घरों में तो अब खाली एलपीजी गैस सिलेंडर को सुरक्षित रख दिया गया है. एक बार फिर से लकड़ी या फिर दूसरे ऑप्शन से खाना पकाते नजर आ रहे हैं.
इन्होंने किसानों को प्रेरित किया : गोबर गैस या फिर बायोगैस ग्रामीण अंचलों के लिए वरदान साबित हो सकती है. बस, जरूरत है कि ग्रामीण अंचलों में एक बार फिर से एक व्यवस्थित तरीके से इसकी शुरुआत कराने की. लोगों को इसके प्रति जागरूक किया जाए और उसके बारे में जन-जन तक जानकारी पहुंचाई जाए. पूर्व कृषि विस्तार अधिकारी और कृषि एक्सपर्ट अखिलेश नामदेव अपनी पूरे सर्विस के दौरान ग्रामीण अंचलों में किसानों के बीच काम करते रहे. वह बताते हैं कि उन्होंने अपनी सर्विस के दौरान कई ऐसे गांव में गोबर गैस या फिर बायोगैस के प्लांट लगाने के लिए किसानों को प्रेरित किया था और आज भी वहां के ग्रामीण ये प्लांट लगाकर खुश हैं.

गोबर गैस बन सकती है गांवों में वरदान : नामदेव बताते हैं कि कुछ ग्रामीणों को उज्जवला के गैस सिलेंडर भरवाने से अच्छा गोबर गैस के माध्यम से मिल रहे रसोई गैस से खाना बनाने में सहूलियत हो रही है. ज्यादातर परिवार आज भी गोबर गैस इस्तेमाल कर रहे हैं. अखिलेश नामदेव बताते हैं कि गोबर गैस ग्रामीण अंचलों के लिए एक वरदान साबित हो सकता है. इसकी वजह यह है कि पहला तो ग्रामीण अंचलों में गोबर गैस बनाने के लिए जिन चीजों का इस्तेमाल होता है, वह आसानी से मिल जाती हैं. लगभग हर घर में गाय का गोबर अवेलेबल है. वहीं इसे लगाना भी बहुत आसान है.
सीहोर में आयोजित हुआ सामूहिक विवाह समारोह, सीएम शिवराज ने पुष्प वर्षा कर किया वर-वधु का स्वागत
गोबर गैस के कई लाभ : अखिलेश नामदेव की मानें तो गोबर गैस या बायोगैस को अगर ग्रामीण अंचलों में काफी प्रभावी तरीके से लगाने के लिए लोगों को प्रेरित किया जाना चाहिए. इससे कई तरह के फायदे हो सकते हैं. पहला तो लोगों को रसोई गैस की महंगाई से छुटकारा मिलेगा. दूसरा लोगों को जब खाना बनाने के लिए गैस मिलने लगेगी तो लोग लकड़ी काटने के लिए जंगलों में नहीं जाएंगे. तीसरा पर्यावरण प्रदूषित नहीं होगा. चौथा सरकार की जो मंशा है वह पूरी हो जाएगी. (Inflation on LPG strong) (Dung and bio gas is option of LPG)