शहडोल : इन दिनों शादी ब्याह का सीजन चल रहा है और कोरोना काल के बाद तो मौजूदा सीजन में काफी तादात में शादियां हो रही हैं. पिछले 2 साल से जो शादियां रुकी हुई थी वह भी हो रही हैं और मौजूदा साल की भी शादी हो रही हैं. शादी में मंडप पूजा का बहुत बड़ा महत्व होता है. ऐसे में यह मंडप होता क्या है, मंडप को किस तरह से तैयार किया जाता है, किस विधि विधान से इसकी पूजा की जाती है और मंडप का इतना महत्व क्यों होता है, मंडप तैयार करते समय किन बातों को बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, आइए जानते हैं ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री से.
मंडप का विशेष महत्व इसलिए होता (importance of marriage mandap) है क्योंकि सभी देवता, पंच लोकपाल देवता, दस दिकपाल देवता, इन्द्रादि देवता, अपने पूर्वज पितृ देवता सभी आकर मंडप में ही स्थापित होते हैं, और आशीर्वाद देने के लिए उनको बुलाया जाता है. मंडप बन जाने के बाद वहां पर मिट्टी से 4×4 हाथ का लंबी चौड़ी एक बेदी बनाई जाती है. पूजन की सामग्री रखकर यजमान के द्वारा सर्वप्रथम गणेश जी, वरुण देव की पूजा, और सभी देवताओं की पूजा करने के बाद उसी स्थान पर मंडप के नीचे पितरों को बुलाकर विधिवत उनका पूजन होता है. अलग-अलग प्रथाओं के अनुसार वहां पर भोग पदार्थ रखा जाता है, इसके बाद कुछ देवताओं को घर के अंदर कोहवर में ले जाकर वहां भी स्थापना होती है. ज्योतिषाचार्य सुशील शुक्ला शास्त्री की मानें तो बिना मंडप के शादी-विवाह तो मुमकिन ही नहीं हैं.
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मंडप बनाते समय इन लकड़ियों का विशेष महत्व
ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री ने बताया कि मंडप बनाते समय सरई, बांस,जामुन, उमर और आम की लकड़ी ये पांच की लकड़ी होती हैं. इन पांचों का महत्व इसलिए है कि किसी कार्य में 5 देवता रक्षा करते हैं. सरई, बांस, जामुन, उमर और आम के पत्ते का महत्व होता है। बांस इसलिए लगता है कि वहां पर वंश वृद्धि हो, जामुन का पत्ता इसलिए लगता है कि दोनों परिवार हरे-भरे रहें। उमर की पत्ती या लकड़ी इसलिए लगाई जाती है कि दोनों पक्ष की आय बढ़े. किसी तरह का कोई व्याधि, रोग ना हो. आम का पत्ता इसलिए लगाया जाता है कि सभी देवता उसे देख कर प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद की वर्षा करते हैं इसलिए यह पांचो लकड़िया मंडप में लगाई जाती हैं.
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ऐसे तैयार करें मंडप
ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री अनुसार विवाह हो या व्रतबंध (उपनयन संस्कार), इसमें मंडप का विशेष महत्व होता है मंडप में बांस की या सरई की लकड़ी गाड़ा जाता है और इसे आंगन में या घर के बाहर इसको नाप करके 5 हाथ या 8 हाथ लंबा चौड़ा बनाया जाता है। मंडप बनाते समय बांस की लकड़ी, सरई की लकड़ी लगती है, क्योंकि उसमें देवताओं का निवास होता है. ईशान दिशा में शिव जी की स्थापना होती है, पूर्व दिशा में गणेश जी की होती है, दक्षिण दिशा में ब्रह्मा जी की होती है, आग्नेय कोण में योगिनी की स्थापना होती है, पश्चिम दिशा में क्षेत्रपाल की होती है, उत्तर दिशा में गंगा यमुना सरस्वती सभी नदियों की स्थापना होती है. बीच में गणेश जी और विष्णु जी की स्थापना करके, इनको साक्षी मानकर विवाह और व्रतबंध कार्य कराए जाते हैं. इस प्रकार से हमेशा सुख-समृद्धि, सौभाग्यता बनी रहती है.
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इस तरह से मंडप के नीचे सभी देवताओं को विराजमान करके पूजा करने से सभी देवता प्रसन्न होते हैं और वह कार्य शुभ माना जाता है. मंडप के बिना शादी संभव नहीं है क्योंकि मंडप ना हो तो विवाह ब्रह्म विवाह के अंतर्गत नहीं आता है इसलिए मंडप बहुत (importance of marriage mandap) जरूरी होता है.