शहडोल। जिले में इन दिनों मौसम बदल रहा है, बरसात की विदाई के साथ ही अब ठंड अपने पैर पसारना शुरू कर चुका है. सुबह और शाम को हल्की ठंड का अहसास होने लगा है. तो वहीं दोपहर में चटक धूप लोगों को परेशान भी करती है. ऐसे में इस बदलते मौसम का असर बच्चों से लेकर बड़ों तक हो सकता है. इसका असर आपकी सेहत पर भी देखने को मिल सकता है, इसीलिए ईटीबी ने बात की आयुर्वेद और पंचकर्म विशेषज्ञ डॉक्टर तरुण सिंह, जिन्होंने बताया की कैसे इस बदलते मौसम से अपनी सेहत को बचाएं, क्या परहेज़ करें और वो कौन से छोटे छोटे नुस्खे हैं जिन्हें अपनाकर कई मौसमी बीमारियों को ठीक किया जा सकता है।
इस बदलते मौसम में आपके सेहत के लिए है ये खबर, आपकी किचन में ही उपलब्ध हैं सारी दवाएं - कैसे रखे खुद को स्वास्थ्य
बदलते मौसम में कैसे रखे खुद को स्वस्थ्य जाने आयुर्वेद और पंचकर्म विशेषज्ञ डॉक्टर तरुण सिंह से.
शहडोल। जिले में इन दिनों मौसम बदल रहा है, बरसात की विदाई के साथ ही अब ठंड अपने पैर पसारना शुरू कर चुका है. सुबह और शाम को हल्की ठंड का अहसास होने लगा है. तो वहीं दोपहर में चटक धूप लोगों को परेशान भी करती है. ऐसे में इस बदलते मौसम का असर बच्चों से लेकर बड़ों तक हो सकता है. इसका असर आपकी सेहत पर भी देखने को मिल सकता है, इसीलिए ईटीबी ने बात की आयुर्वेद और पंचकर्म विशेषज्ञ डॉक्टर तरुण सिंह, जिन्होंने बताया की कैसे इस बदलते मौसम से अपनी सेहत को बचाएं, क्या परहेज़ करें और वो कौन से छोटे छोटे नुस्खे हैं जिन्हें अपनाकर कई मौसमी बीमारियों को ठीक किया जा सकता है।
इस बदलते मौसम में आपके सेहत के लिए है ये खबर, आपकी किचन में ही उपलब्ध हैं सारी दवाएं
शहडोल- जिले में इन दिनों मौसम बदल रहा है, बरसात की विदाई के साथ ही अब ठंड अपने पैर पसारना शुरू कर चुका है। सुबह और शाम को हल्की ठंड का अहसास होने लगा है तो वहीं दोपहर में चटक धूप लोगों को परेशान भी करती है। ऐसे में इस बदलते मौसम का असर बच्चों से लेकर बड़ों तक हो सकता है इसका असर आपकी सेहत पर भी देखने को मिल सकता है, इसीलिए हमने बात की आयुर्वेद और पंचकर्म विशेषज्ञ डॉक्टर तरुण सिंह, जिन्होंने बताया की कैसे इस बदलते मौसम से अपनी सेहत को बचाएं, क्या परहेज़ करें और वो कौन से छोटे छोटे नुस्खे हैं जिन्हें अपनाकर कई मौसमी बीमारियों को ठीक किया जा सकता है।
Body:आयुर्वेद और पंचकर्म विशेषज्ञ डॉक्टर तरुण सिंह बताते हैं जब मौसम बदलता है तो उसके बीच का जो मौसम होता है उसे ऋतु संधियां कहते हैं, और जब ऋतु संधिया आती हैं तो कहा जाता है कि ऋतु संधियों का पालन करना चाहिए।
जिससे बदलते ऋतु का विपरीत असर आपके शरीर पर नहीं पड़े, इस समय ये कहा जाता है कि भले ही आप ठंड के दिनों में ठंडे पानी से नहा ले, लेकिन इन दिनों में आपको गुनगुने पानी से नहाना चाहिए।
सुबह उठकर जो कुल्ला होता है खासकर ये जो ऋतु संधि है इसमें कार्तिक मास का आना होता है तो इस समय आपको कुल्ला करने ले बाद पहला कुल्ला आपको बाहर फेकना है और फिर दूसरा कुल्ला आप लेते हैं तो लगभग सारी व्याधि आपको नहीं आती है,ऐसा शास्त्रों में लिखा है और ऐसा होता भी है।
सेहत पर मौसम का असर
इस बदलते मौसम का असर सेहत पर जब पड़ता है तो नाक से पानी। निकलना, छींक आना, एक तरह का बुखार हो जाता है अधिकतर लोगों की शिकायत होती है कि दिनभर ठीक लगता है और फिर रात में बुखार आ जाता है। वीकनेस लगती है, दिनभर थकान थकान सा अहसास होता है। वायरल फीवर की समस्या बढ़ जाती है।
ऐसे पाएं निजात
आयुर्वेद और पंचकर्म विशेषज्ञ डॉक्टर तरुण सिंह कहते हैं अगर आदमी ऋतु संधियो का पालन करे जो खाना पीना होता है उसका पालन करे तो बहुत सारी बीमारियो से बच सकता है।
आयुर्वेद और पंचकर्म विशेषज्ञ डॉक्टर तरुण सिंह के मुताबिक अगर किसी के नाक से पानी निकल रहा है तो लौंग का फूला का इस्तेमाल करें, लौंग का फूला बनाने के लिए एक लौंग लें उसे घी में चुपड़ लीजिए, और उसको फ्लेम में जलाएं, और जैसे ही उसे जलाएंगे तो एक दो सेकंड में वो फूल जाएगी, और जैसे ही वो फूले उसे फूंक मारकर बुझा दें, और फिर उसको चबाकर खा जाएं, और उसके बाद थोड़ी हल्दी चाट लीजिए, अगर आप ऐसा करते हैं तो नाक से पानी आना बंद हो जाएगा।
अगर आपको बहुत छींक आती है तो काली मिर्च को मुंह में दबा लें, और लौंग के फूला का प्रयोग करें, तो आपको छींक आनी बंद हो जाएगी।
सूखी खांसी भी इसी समय खूब आती है वो भी काली मिर्च से ठीक हो जाती है, अगर आपको फीवर आ रहा है तो गुरिच का स्वरस आप ले सकते हैं, जिसे गिलोय कहा जाता है, उसका रस खाली पेट सुबह अगर आप एक चम्मच चाट लेते हैं तो आपको बहुत फायदा होगा।
अगर आपको गुरिच नहीं मिलता है तो अदरक का रस जिसे हम लोग अदरक स्वरस कहते हैं लगभग 10 एमएल मतलब 2 चम्मच किसी भी रूप लें।
सुबह गुनगुने पानी में या फिर चाय के साथ ले लें, तो उसका बहुत फायदा होगा। इसे लेने से जैसे हल्के फीवर की शिकायत खाने में अरुचि, भूख न लगने की समस्या जो इस मौसम में अमूमन होता है वो दूर हो जाता है।
अगर आपको रात में इस मौसम में सिरदर्द होता है तो आप हल्दी और शहद को थोड़ा आपस में मिला लें और मिलाकर अपने मस्तक में लगा लें तो उससे आपका सिरदर्द ठीक हो जाएगा इतना ही नहीं इसके साथ ही दो चार महीने आपको सिरदर्द होगा ही नहीं।
Conclusion:इस मौसम में परहेज़
आयुर्वेद और पंचकर्म विशेषज्ञ डॉक्टर तरुण सिंह कहते हैं कि इस मौसम में परहेज बहुत मुख्य है इस मौसम में दही न खाएं।
रात में चावल खाने से बचे, बासा खाने से बचें, करेला जैसी सब्जियों से बचें।
मौसमी सब्जियों का ही इस्तेमाल करें, फल में कार्तिक मास के पहले 15 दिन तक सीताफल का प्रयोग न करें, 16वे दिन से सीताफल का सेवन करना शुरू करें।