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आसमान से आफत की बारिश, किसानों की फसल हुई बर्बाद

शहडोल में किसानों के लिए बारिश आफत बनी हुई है, बीते 3 दिनों से हो रही लगातार बारिश ने किसानों को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है. ऐसे में किसानों को कृषि वैज्ञानिकों से सलाह लेकर ही कोई कदम उठाना चाहिए.

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Published : Oct 22, 2019, 6:26 AM IST

Updated : Oct 22, 2019, 3:12 PM IST

मानसून की मार

शहडोल। जिले में बीते तीन दिनों से हो रही लगातार बारिश ने किसानों को बर्बादी के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है. इस साल अतिवृष्टि के चलते किसान पहले ही बर्बाद हो चुके हैं. लेकिन मानसून किसानों को जाते-जाते भी रूला गया. किसानों की सोयाबीन और उड़द की फसल खलिहानों में पड़ी हुई है. जो लगातार हो रही बारिश से पूरी तरह भीग गई है. बारिश के कहर ढाने के पहले किसान को फसल से एक उम्मीद थी. लेकिन वो आखिरी उम्मीद भी खत्म हो चुकी है. अब किसान पूरी तरह बर्बाद हो चुका है और सरकार की तरफ मदद की आस लगाए बैठे हैं.

मानसून की मार

वहीं धान की खेती जिले में सर्वाधिक की जाती है. इस बार मानसून की देरी के चलते अधिकतर रकबे में देरी से धान की बुआई हुई है. जिससे धान के फसल की ट्रांसप्लांटिंग देरी से हुई. वहीं धान की अधिकतर फसल में अभी बालिया आने को हैं. जिससे धान की फसल को ज्यादा नुकसान नहीं है.

कृषि वैज्ञानिकों की सलाह

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह ने कहा कि यह जाते हुए मानसून की बारिश है. जो सभी तरह की फसलों के लिए नुकसानदायक है. अभी ह्यूमिडिटी और टेम्परेचर है. ऐसे में कनवा रोग फसल में आ सकता है. जिसे हम फाल्स स्मट कहते हैं. किसानों का मानना है कि इस रोग के होने से पैदावार अच्छी होती है. लेकिन ऐसा नहीं है. ये वास्तव में फफूंद जनित रोग है. इसमें बाली में दाने की जगह पर काला पावडर हो जाता है. इस मौसम में फसल में फसल को इस रोग से अधिक बचाव की जरूरत है. इस मौसम में अगर फसल पक गई है, तो एक दो दिन रुक कर कटाई करें. जब बादल हट जाएं, तभी फसलो की कटाई करें. फसलों का इन दिनों बारीकी से ख्याल रखें कुछ भी दिक्कत हो तो कृषि वैज्ञानिकों से सलाह लें.

शहडोल। जिले में बीते तीन दिनों से हो रही लगातार बारिश ने किसानों को बर्बादी के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है. इस साल अतिवृष्टि के चलते किसान पहले ही बर्बाद हो चुके हैं. लेकिन मानसून किसानों को जाते-जाते भी रूला गया. किसानों की सोयाबीन और उड़द की फसल खलिहानों में पड़ी हुई है. जो लगातार हो रही बारिश से पूरी तरह भीग गई है. बारिश के कहर ढाने के पहले किसान को फसल से एक उम्मीद थी. लेकिन वो आखिरी उम्मीद भी खत्म हो चुकी है. अब किसान पूरी तरह बर्बाद हो चुका है और सरकार की तरफ मदद की आस लगाए बैठे हैं.

मानसून की मार

वहीं धान की खेती जिले में सर्वाधिक की जाती है. इस बार मानसून की देरी के चलते अधिकतर रकबे में देरी से धान की बुआई हुई है. जिससे धान के फसल की ट्रांसप्लांटिंग देरी से हुई. वहीं धान की अधिकतर फसल में अभी बालिया आने को हैं. जिससे धान की फसल को ज्यादा नुकसान नहीं है.

कृषि वैज्ञानिकों की सलाह

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह ने कहा कि यह जाते हुए मानसून की बारिश है. जो सभी तरह की फसलों के लिए नुकसानदायक है. अभी ह्यूमिडिटी और टेम्परेचर है. ऐसे में कनवा रोग फसल में आ सकता है. जिसे हम फाल्स स्मट कहते हैं. किसानों का मानना है कि इस रोग के होने से पैदावार अच्छी होती है. लेकिन ऐसा नहीं है. ये वास्तव में फफूंद जनित रोग है. इसमें बाली में दाने की जगह पर काला पावडर हो जाता है. इस मौसम में फसल में फसल को इस रोग से अधिक बचाव की जरूरत है. इस मौसम में अगर फसल पक गई है, तो एक दो दिन रुक कर कटाई करें. जब बादल हट जाएं, तभी फसलो की कटाई करें. फसलों का इन दिनों बारीकी से ख्याल रखें कुछ भी दिक्कत हो तो कृषि वैज्ञानिकों से सलाह लें.

Intro:नोट- वर्ज़न में पहले दो किसानों के हैं फिर तीसरा और आखिरी वर्ज़न कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह का है।


यहां फिर बदल गया है मौसम का मिज़ाज, बारिश ने किसानों की फिर बढ़ाई परेशानी, देखिये किसानों के काम की खबर

शहडोल- शहडोल जिले में इन दिनों मौसम का मिज़ाज़ बदला बदला सा नज़र आ रहा है, पिछले तीन दिन से हो रही बारिश ने किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं। पिछले तीन दिन से हर दिन बारिश हो रही है और आज सुबह से बारिश तो नहीं हुई है लेकिन बारिश के बादल नज़र जरूर आ रहे हैं।
सोयाबीन और उड़द के फसल वाले किसान जिनके फसल खलिहान में हैं वो तो परेशान हैं ही साथ ही जिन किसानों के धान की फसल पक गई है कट रही है वो भी परेशान हैं।


Body:बारिश ने बढ़ाई किसानों की परेशानी

मौसम के बदल जाने और हर दिन हो रही बारिश ने किसानों की चिंता बढ़ा रखी है, सोयाबीन और उड़द की फसल को पहले ही बारिश ने बर्बाद किया है और अब जो फसल थोडी बहुत बची भी है तो उसे किसानों ने ख़लिहाल तक तो पहुंचाया है लेकिन फिर लौटी इस बारिश ने चिंता बढ़ा दी है। जिन लोगों ने धान की फसल पहले लगाई वो फसल पक गई है खेतों में कटाई चल रही है ऐसे किसानों के फसलों को नुकसान है, और अगर जल्द ही ये बारिश फिर से वापस नहीं लौटी तो किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

कृषि वैज्ञानिकों की सलाह

इस बदले हुए मौसम को लेकर कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह कहते हैं ये जाते हुए मानसून की बारिश है जिनकी फसल कट गई है या पक गई है उनके लिए नुकसानदायक है। कृषि वैज्ञनिक कहते हैं कि सोयाबीन, उड़द, मूंग, किसान काटकर रखे हुए हैं उनके लिए नुकसानदायक है।

धान की खेती जिले में सर्वाधिक की जाती है, धान की फसल इस बार अधिकतर रकबे में देरी से लगाई गई है क्योंकि यहां मानसून देरी से आया जिसकी वजह से धान के फसल की ट्रांस्प्लांटिंग देरी से हुई। धान की अधिकतर फसल में अभी बालिया आने को हैं।

इन रोगों से रहें सावधान

कृषि वैज्ञनिक डाक्टर मृगेंद्र सिंह कहते हैं कि अभी ह्यूमिडिटी है टेम्परेचर है ऐसे में कनवा रोग फसल में आ सकता है जिसे हम फाल्स स्मट कहते हैं। कृषि वैज्ञनिक कहते हैं कि किसानों के बीच ये मान्यता है की ये रोग जब बहुत अच्छी पैदावार होती है तब होता है लेकिन ऐसा नहीं है। ये वास्तव में फफूंद जनित रोग है। और इसमें बाली में दाने की जगह पर काला पावडर हो जाता है। इस मौसम में फसल में इससे सबसे अधिक बचाव की जरूरत है। अगर फसल में कुछ ऐसे संकेत मिलते हैं तो कृषि वैज्ञनिकों की सलाह से रासायनिक दवाइयों का इस्तेमाल करें।

और जहां भी काली बालियां दिखती हैं उसे सावधानी से काटकर और किसी चीज में इकट्ठा कर लें, जिससे पाउडर फैलने न पाए। नहीं ये रोग बहुत तेज़ी से फैलता है। इसके अलावा गंधी बग रोग भी धान के फसल में आ सकता है।

कृषि वैज्ञनिक कहते हैं कि जो फसल कट गई है पक गई है उसके लिए ये बारिश नुकसान दायक है।

सब्जियों के लिए

इस बारिश से सब्जी की खेती करने वाले किसान भी थोड़ी सावधान रहें क्योंकी इस मौसम में कीड़ों का प्रकोप बढ़ सकता है।

किसानों को सलाह

इस मौसम में अगर फसल पक गई है तो एक दो दिन तक कटाई न करें, रुक ले जब बारिश के बादल छट जाएं तभी फसलो की कटाई करें। फसलों का इन दिनों बारीकी से ख्याल रखें कुछ भी दिक्कत हो तो कृषि वैज्ञानिकों से सलाह लें।


Conclusion:रबी के लिए बारिश अच्छी

कृषि वैज्ञनिक कहते हैं कि रबी की फसलों के लिए ये बारिश अच्छी है क्योंकि खेतों में नमी आ जायेगी।
Last Updated : Oct 22, 2019, 3:12 PM IST
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