शहडोल। जिले में बीते तीन दिनों से हो रही लगातार बारिश ने किसानों को बर्बादी के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है. इस साल अतिवृष्टि के चलते किसान पहले ही बर्बाद हो चुके हैं. लेकिन मानसून किसानों को जाते-जाते भी रूला गया. किसानों की सोयाबीन और उड़द की फसल खलिहानों में पड़ी हुई है. जो लगातार हो रही बारिश से पूरी तरह भीग गई है. बारिश के कहर ढाने के पहले किसान को फसल से एक उम्मीद थी. लेकिन वो आखिरी उम्मीद भी खत्म हो चुकी है. अब किसान पूरी तरह बर्बाद हो चुका है और सरकार की तरफ मदद की आस लगाए बैठे हैं.
वहीं धान की खेती जिले में सर्वाधिक की जाती है. इस बार मानसून की देरी के चलते अधिकतर रकबे में देरी से धान की बुआई हुई है. जिससे धान के फसल की ट्रांसप्लांटिंग देरी से हुई. वहीं धान की अधिकतर फसल में अभी बालिया आने को हैं. जिससे धान की फसल को ज्यादा नुकसान नहीं है.
कृषि वैज्ञानिकों की सलाह
कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह ने कहा कि यह जाते हुए मानसून की बारिश है. जो सभी तरह की फसलों के लिए नुकसानदायक है. अभी ह्यूमिडिटी और टेम्परेचर है. ऐसे में कनवा रोग फसल में आ सकता है. जिसे हम फाल्स स्मट कहते हैं. किसानों का मानना है कि इस रोग के होने से पैदावार अच्छी होती है. लेकिन ऐसा नहीं है. ये वास्तव में फफूंद जनित रोग है. इसमें बाली में दाने की जगह पर काला पावडर हो जाता है. इस मौसम में फसल में फसल को इस रोग से अधिक बचाव की जरूरत है. इस मौसम में अगर फसल पक गई है, तो एक दो दिन रुक कर कटाई करें. जब बादल हट जाएं, तभी फसलो की कटाई करें. फसलों का इन दिनों बारीकी से ख्याल रखें कुछ भी दिक्कत हो तो कृषि वैज्ञानिकों से सलाह लें.