Hartalika Teej 2023। हरतालिका तीज एक ऐसा व्रत होता है. जिसमें माताएं बहने निर्जला व्रत रहती हैं. मतलब ना पानी पीते हैं और ना खाना खाते हैं न फलाहार करते हैं. पूरे दिन महिलाएं व्रत और पूजा करती हैं. बड़े ही उत्साह के साथ इस व्रत को महिलाएं बहने मनाती हैं. हरितालिका तीज का शुभ मुहूर्त आखिर कब है. किस दिन से हरतालिका तीज का व्रत होगा. चार प्रहर की पूजा किन-किन समय में की जाती है, जानिए ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री से.
हरितालिका तीज कब ?: ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि "हरतालिका तीज का व्रत भाद्रपद शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि को किया जाता है. इस बार हरतालिका तीज यानी तृतीया का जो व्रत है, वह 18 तारीख को है. तृतीया तिथि तो 17 तारीख को ही लग जाएगी, मतलब 17 सितंबर को 9:57 से प्रारंभ हो जाएगा, जो 18 तारीख को 10:49 तक तृतीय तिथि रहेगी. ज्योतिषाचार्य कहते हैं कि "शास्त्रों में लिखा हुआ है कि उदया तिथि ही मान्य होती है. सूर्य जब उदय होता है, उस समय जो तिथि रहती है. वह संपूर्ण तिथि मानी जाती है. मतलब इस बार तृतीया तिथि का व्रत 18 सितंबर को किया जायेगा.
ज्योतिषाचार्य कहते हैं कि द्वितीय में तृतीया व्रत नहीं करना होता है. तृतीय में चतुर्थी हो जाती है, ऐसा व्रत मान्य होता है. 18 सितंबर को सूर्योदय के समय से ही तृतीया तिथि होने के कारण उस दिन हरतालिका तीज का व्रत मान्य होगा. सभी माताएं जो सौभाग्यवती, लड़कियां, और बहनें हैं, वो 18 तारीख को ही व्रत पूजन करें.
ऐसे करें व्रत: ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि हरतालिका तीज के दिन जो भी महिलाएं व्रत करती हैं. वह प्रातः कालीन ब्रह्म मुहूर्त में सूर्योदय के समय उठें और स्नान करें. इसके बाद किसी नदी तालाब झरना या गंगा जी में जाकर स्नान करें. वहां से सभी सहेलियों गीत गाते भजन गाते अपने घर आएं. दिनभर व्रत करें और पकवान बनाए. शाम के समय एक चंदोवा यानी विभिन्न प्रकार के फूलों से झांकी सजाएं. अनेकों प्रकार के कपड़ों से झांकी को सजा दें. जिसे चंदोवा कहा जाता है. उसी के नीचे शिव पार्वती की मूर्ति को स्थापित करें और फिर चार प्रहर की पूजा करें.
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चार प्रहर का समय: प्रथम प्रहर माना जाता है शाम 6 से 9 बजे तक, द्वितीय प्रहर रात में 9 से 12 बजे तक, तृतीय प्रहर देर रात 12 से 3 तक, चौथा प्रहर तड़के सुबह 3 से 6 तक. इस दौरान सभी माताएं बहने चंदोवा के चारों ओर बैठकर के शिव पार्वती जी की विधि विधान से पूजा करें और वहां कथा करें. कथा का श्रवण करें और पूजन करें. जो चार पहर की महिलाएं पूजा करना चाहती है. उसके लिए अलग-अलग समय बताया गया है. उस समय के मुताबिक अलग-अलग प्रहर में पूजन करें. विभिन्न प्रकार के पकवान चढ़ाएं. मौसमी जितने फल होते हैं वो चढ़ाएं.
तीज का व्रत करने से मिलता है सौभाग्य: भगवान का श्रृंगार करें और शिव पार्वती जी के चार प्रहर की पूजा करने के बाद प्रातः दूसरे दिन यानी 19 तारीख को किसी नदी तालाब में शिव-पार्वती, चंदोवा और फूल बेलपत्र को विसर्जित करें. वहां स्नान करें और अपने घर आवें. इसके बाद ताजा भोजन बनाकर, भोजन करें, इसे पारन बोलते हैं. जो वृति हैं, वो ईश्वर से प्रार्थना कर मन्नत मांगे. अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए भगवान के पास अर्जी लगावें, वो जल्द ही प्रभु पूर्ण करते हैं. हरितालिका तीज के दिन व्रत करने और चार प्रहर की विधि विधान से पूजा पाठ करने से सौभाग्य बना रहता है. जिन लड़कियों का विवाह नहीं हो रहा था. उन लड़कियों के विवाह के योग बनते हैं. मनचाहा वर मिलता है और उनका सुख सौभाग्य बना रहता है, ये लाभ होता है.