Hartalika Teej 2023। आज हरतालिका तीज है. इन दिन सुबह से ही महिलाएं नदियों में तालाबों में स्नान कर पूजा-पाठ करके सबसे कठिन व्रत निर्जला व्रत कर रही हैं. आज के दिन को बहुत विशेष माना जाता है. इस दिन कठिन व्रत को करके विशेष फल की प्राप्ति होती है. ऐसे में सुखद वैवाहिक जीवन पाने के लिए किस तरह से चार प्रहर की पूजा करनी चाहिए, चार प्रहर में कब-कब पूजा किस तरह से करें, जानिए ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री से.
चार प्रहर की पूजा का महत्व: ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि "हरतालिका तीज के दिन चार प्रहर की पूजा का विशेष महत्व है. सुखद वैवाहिक जीवन के लिए चार प्रहर की विधिवत पूजा पाठ करना बहुत ही लाभकारी साबित होता है. जिन लड़कियों की शादी नहीं हो रही है. चार प्रहर की पूजा करने से उनके शादी के योग बनते हैं. जिन महिलाओं के वैवाहिक जीवन में खटपट चल रही है. हरतालिका तीज के दिन इस कठिन व्रत को करके चार प्रहर की जो पूजा करती हैं. उनके घर में शांति आती है और सौभाग्यता मिलता है. चार प्रहर की पूजा से घर में सुख संपन्नता तो आती ही है. साथ ही उत्तम फल की प्राप्ति होती है.
ऐसे करें चार प्रहर की पूजा: ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि "आज हरितालिका तीज है और महिलाएं आज के दिन इस कठिन व्रत को करती हैं. इस दौरान आज शाम से चार प्रहर के पूजा की भी शुरुआत होगी.
- पहला प्रहर शाम 6:00 बजे से रात 9:00 बजे के बीच में होता है. इसमें विधिवत शिव-पार्वती की पूजा करें, हर तरह के फल चढ़ाएं. कथा का श्रवण करें और पूजा को कंप्लीट करें.
- दूसरे प्रहर की जो पूजा होती है, वह रात 9:00 बजे से 12:00 बजे के बीच में होती है. इस दौरान हर तरह के पकवान बनाएं. उस पकवान को शिव पार्वती पर भोग लगाएं. कथा का श्रवण करें हवन पूजन करें, तब दूसरे प्रहर की पूजा कंप्लीट होती है.
- ऐसा करने से उनके घर में अन्न की कमी कभी नहीं होती है. भोजन स्वादिष्ट बनता है और उस भोजन को जो भी खाता है, वह हमेशा निरोगी रहता है. उसमें सौभाग्यता आती है और उत्तम फल की प्राप्ति होती है.
- तीसरे प्रहर की पूजा रात आधी 12:00 बजे से 3:00 बजे तड़के के बीच में होती है. तीसरे प्रहर की पूजा में जितनी भी तरह की मिठाइयां होती हैं. उसका भोग लगाएं, पूजा अर्जन करें और आरती करें. इससे पूरे घर का कल्याण होता है. ऐसा करने से संतान पक्ष को सुख मिलता है. उस घर में धन ऐश्वर्य की कमी नहीं होती.
- चौथे प्रहर की पूजा सुबह तड़के 3:00 बजे से 6:00 बजे तक होती है. 19 तारीख के सुबह तक मान्य होगा. इसमें दूध, गंगाजल, शहद, शक्कर, मिश्री, और अनेकों प्रकार के फल कट करके एक थाली में सजा करके पूजा शुरू करें. भोग लगाकर हवन करें. उसके बाद जो भी वहां फल भोग चढ़ाते हैं, महिलाएं उस प्रसाद को बांटकर ग्रहण करें. ऐसा करने से सुख समृद्धि मिलती है, समय उत्तम होता है. आपस में प्यार बढ़ता है और एकता बढ़ती है. मनचाहे फल की प्राप्ति होती है.
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पूजा के बाद करें विसर्जन: सुबह 6:00 बजे के बाद पूजा के बाद जो भी फल फूल भोग के अलावा सामान बचा रहता है. फूल बेलपत्र चावल आदि उसे उठा करके नदी या तालाब में प्रवाहित करें. वहीं स्नान करें, स्नान करके आएं तो ताजा भोजन बनाएं और भोजन प्राप्त करें और फिर कोई भी ब्राह्मण पुरोहित कोई भी अगर आपके घर में आता है, तो उसे बांस के पात्र में सभी सामान रखकर दान करें. तो इससे ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. सौभाग्वता मिलती है. उत्तम फल की प्राप्ति होती है. पूजा व्रत कंप्लीट मानीा जाता है.