शहडोल। आज सावन का पांचवां और अंतिम सोमवार है. वहीं आज रक्षाबंधन भी है. इस दिन एक साथ चार संयोग बन रहे हैं. इस सावन मास में पांच सोमवार हैं और ज्योतिषाचार्यों की मानें तो ये संयोग करीब 12 साल बाद बन रहा है. जिससे यह दिन और विशेष माना जा रहा है. ऐसे में सावन मास के आखरी सोमवार को शिव भक्त पूजा कर विशेष फल की प्राप्ति कर सकते हैं.
ज्योतिषाचार्य सुशील शुक्ला शास्त्री की मानें तो इस बार ये संयोग करीब 12 साल बाद बन रहा है, जो बहुत ही शुभ है, और शिव भक्तों को इसका फायदा उठाना चाहिए. शिवभक्तिों को ये मौका नहीं छोड़ना चाहिए, क्योंकि ऐसे शुभ मुहूर्त बहुत कम आते हैं. सुशील शुक्ला शास्त्री का कहना है कि श्रावण के पांचवें सोमवार का दिन इसलिए भी विशेष है, क्योंकि सोमवार के दिन पूर्णमासी भी है, रक्षाबंधन भी है और संस्कृत दिवस भी है. इसी दिन संस्कृत का प्रादुर्भाव भी हुआ था. मतलब 4 संयोग एक साथ हैं. जिसकी वजह से इसका और असर बढ़ गया है.
ज्योतिषाचार्यों की मानें तो श्रावण मास के इस पांचवें सोमवार के दिन भगवान शिव की विशेष पूजा करने के लिए पहले काली मिट्टी की मूर्ति बनाएं और मूर्ति बनाकर वहां 11 मूर्ति अलग से रखें यानी 12 ज्योतिर्लिंग की स्थापना करके और उसमें दूध, दही, गंगाजल, शहद, शक्कर से स्नान कराएं. वहां सभी 12 मूर्तियों में 12-12 बेल पत्र चढ़ाएं धतूर का फूल, मदार का फूल चढ़ाएं, और वहां पर फल फूल चढ़ाने के बाद चने के दाल का लड्डू चढ़ाएं.
इस विशेष मंत्र का करें जाप
ज्योतिषाचार्यों की मानें तो इस विशेष पूजा में ओम नमः शिवाय का जाप तो करें ही इसके अलावा ओम ज़ूम शह, शह ज़ूम ओम अपना-अपना नाम लेकर इस विशेष मंत्र का 12- 12 बार जाप करें, तो आपके साथ परिवार का भी कल्याण होगा.
कांवड़ियों के लिए भी विशेष श्रावण मास का ये पांचवां सोमवार
पंडितों की मानें जो कावड़िएं सावन में भगवान शिव को जल चढ़ाते हैं. उन्हें बैजनाथ धाम जाकर वहां जल चढ़ाएं या फिर जल लेकर किसी शिवालय में जाएं. या अमरकंटक है या फिर हम गुप्तेश्वर, जलेश्वर धाम जाकर जल चढ़ाएं. वहां फूल बेल पत्री चढ़ाएं तो पूरे सावन के पूजा करने का फल मिलता है और शिव जी प्रसन्न होते हैं और भगवान शिव की विशेष कृपा बनी रहती है.