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फिर उठी विंध्य प्रदेश की मांग

बीजेपी विधायक नारायण त्रिपाठी के बाद पूर्व बीजेपी विधायक लक्ष्मण तिवारी ने भी विंध्य प्रदेश की मांग की है. उनका कहना है कि विकास के लिए टैक्स हम देते हैं, फिर भी हम पिछड़े हैं.

Vindhya Pradesh demand
विंध्य प्रदेश की मांग
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Published : Feb 10, 2021, 9:02 AM IST

Updated : Feb 10, 2021, 9:45 AM IST

शहडोल। विंध्य प्रदेश की मांग को लेकर बीजेपी के विधायक ही पार्टी के खिलाफ बयानबाजी कर रहे है. बीजेपी विधायक नारायण त्रिपाठी के बाद रीवा के मऊगंज से विधायक रहे लक्ष्मण तिवारी ने भी मांग करते हुए अपनी ही सरकार को घेरने की कोशिश की है. लक्ष्मण तिवारी का कहना है कि एक तिहाई से ज्यादा हिस्सा प्रदेश सरकार के खजाने में जाता है. विकास के लिए टैक्स हम दे रहे है और यह विकास चलता है श्योपुर, मुरैना से होते ग्वालियर पहुंचता है, उसके बाद इंदौर और फिर भोपाल पहुंता है.

विंध्य प्रदेश की मांग

'विंध्य में नहीं है अच्छे एजुकेशन की सुविधा'
पूर्व बीजेपी विधायक लक्ष्मण तिवारी का कहना है कि हमारे विंध्य में अकूत तादात में वन संपदा है, खनिज संपदा है. 56 प्रकार के भोग है, जो देवी-देवताओं पर चढ़ता है. उसका उत्पादन हमारे विंध्य में है. विंध्य की बिजली से मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि दिल्ली का मेट्रो ट्रेन भी चलता है. विंध्य से मध्य प्रदेश का 33 परसेंट रेवेन्यू जा रहा. तब मध्य प्रदेश की सरकार चल रही हैं. हमारे यहां कोयले का अकूत भंडार है. सिंगरौली से लेकर शहडोल और अमरकंटक तक हमारे पास सबकुछ है. यहां औद्योगिक इकाइयां हैं. बावजूद विंध्य विकास में पिछड़ा हैं. हम अपना विन्ध्य इसलिए भी मांग रहे हैं क्योंकि इतना सब होने के बाद भी अच्छे एजुकेशन के लिए जो साधन चाहिये वो यहां नहीं है. अगर पैसे से कोई कैपेबल आदमी है तो अपने बच्चों को इंदौर, कोटा और भोपाल भेजकर अपने बच्चें को पढ़ा रहा है.

'विकास के लिए टैक्स हम देते है'

लक्ष्मण तिवारी का कहना है कि अगर कोई किसी तरह प्राकृतिक आपदा से बीमार हुआ तो नागपुर मंडी बनी हुई है. स्वास्थ्य सेवा के लिए हमारे विंध्य में स्वास्थ्य के लिए कोई अच्छी व्यवस्था उपलब्ध नहीं है. विकास के लिए टैक्स हम लोग देते हैं, लेकिन विकास चलता है श्योपुर, मुरैना, ग्वालियर के रास्ते इंदौर जाता और इंदौर से भोपाल आते आते विकास की इति हो जाती है. सन 1956 में क्या हुआ कुछ लोग लालच में फंसे या यहां के नेताओं के कमी के कारण हमारा विंध्य हमसे चला गया. बना बनाया राज्य हमसे छिन गया. जब झारखंड, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य बने तो देखिये वो विकास की राह पर हैं. राज्य को विकास के रास्ते पर लाने के लिए जो भी आर्थिक संसाधन और जो भी चीजें होती वह हमारे पास सब कुछ है. फिर भी हम पिछड़े हैं.

'पुराना विंध्य प्रदेश हमें वापस लौटा दिया जाए'

राजधानी में कोई काम हो तो 700 किलोमीटर दूर जाकर याचना करनी पड़ती है, उन लोगों के यहां जो वहां बैठे हुए हैं राज कर रहे हैं. लक्ष्मण तिवारी का कहा कि हम तो सिर्फ इतनी मांग कर रहे हैं कि जो हमारा पुराना विंध्य प्रदेश है. वह हमें वापस लौटा दिया जाए, क्योंकि इतने सालों के बाद भी विंध्य प्रदेश कहीं न कहीं विकास की राह में पिछड़ चुका है और अब जरूरत है कि अब हमारा पुराना विंध्य हमें वापस दे दिया जाए.

शहडोल। विंध्य प्रदेश की मांग को लेकर बीजेपी के विधायक ही पार्टी के खिलाफ बयानबाजी कर रहे है. बीजेपी विधायक नारायण त्रिपाठी के बाद रीवा के मऊगंज से विधायक रहे लक्ष्मण तिवारी ने भी मांग करते हुए अपनी ही सरकार को घेरने की कोशिश की है. लक्ष्मण तिवारी का कहना है कि एक तिहाई से ज्यादा हिस्सा प्रदेश सरकार के खजाने में जाता है. विकास के लिए टैक्स हम दे रहे है और यह विकास चलता है श्योपुर, मुरैना से होते ग्वालियर पहुंचता है, उसके बाद इंदौर और फिर भोपाल पहुंता है.

विंध्य प्रदेश की मांग

'विंध्य में नहीं है अच्छे एजुकेशन की सुविधा'
पूर्व बीजेपी विधायक लक्ष्मण तिवारी का कहना है कि हमारे विंध्य में अकूत तादात में वन संपदा है, खनिज संपदा है. 56 प्रकार के भोग है, जो देवी-देवताओं पर चढ़ता है. उसका उत्पादन हमारे विंध्य में है. विंध्य की बिजली से मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि दिल्ली का मेट्रो ट्रेन भी चलता है. विंध्य से मध्य प्रदेश का 33 परसेंट रेवेन्यू जा रहा. तब मध्य प्रदेश की सरकार चल रही हैं. हमारे यहां कोयले का अकूत भंडार है. सिंगरौली से लेकर शहडोल और अमरकंटक तक हमारे पास सबकुछ है. यहां औद्योगिक इकाइयां हैं. बावजूद विंध्य विकास में पिछड़ा हैं. हम अपना विन्ध्य इसलिए भी मांग रहे हैं क्योंकि इतना सब होने के बाद भी अच्छे एजुकेशन के लिए जो साधन चाहिये वो यहां नहीं है. अगर पैसे से कोई कैपेबल आदमी है तो अपने बच्चों को इंदौर, कोटा और भोपाल भेजकर अपने बच्चें को पढ़ा रहा है.

'विकास के लिए टैक्स हम देते है'

लक्ष्मण तिवारी का कहना है कि अगर कोई किसी तरह प्राकृतिक आपदा से बीमार हुआ तो नागपुर मंडी बनी हुई है. स्वास्थ्य सेवा के लिए हमारे विंध्य में स्वास्थ्य के लिए कोई अच्छी व्यवस्था उपलब्ध नहीं है. विकास के लिए टैक्स हम लोग देते हैं, लेकिन विकास चलता है श्योपुर, मुरैना, ग्वालियर के रास्ते इंदौर जाता और इंदौर से भोपाल आते आते विकास की इति हो जाती है. सन 1956 में क्या हुआ कुछ लोग लालच में फंसे या यहां के नेताओं के कमी के कारण हमारा विंध्य हमसे चला गया. बना बनाया राज्य हमसे छिन गया. जब झारखंड, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य बने तो देखिये वो विकास की राह पर हैं. राज्य को विकास के रास्ते पर लाने के लिए जो भी आर्थिक संसाधन और जो भी चीजें होती वह हमारे पास सब कुछ है. फिर भी हम पिछड़े हैं.

'पुराना विंध्य प्रदेश हमें वापस लौटा दिया जाए'

राजधानी में कोई काम हो तो 700 किलोमीटर दूर जाकर याचना करनी पड़ती है, उन लोगों के यहां जो वहां बैठे हुए हैं राज कर रहे हैं. लक्ष्मण तिवारी का कहा कि हम तो सिर्फ इतनी मांग कर रहे हैं कि जो हमारा पुराना विंध्य प्रदेश है. वह हमें वापस लौटा दिया जाए, क्योंकि इतने सालों के बाद भी विंध्य प्रदेश कहीं न कहीं विकास की राह में पिछड़ चुका है और अब जरूरत है कि अब हमारा पुराना विंध्य हमें वापस दे दिया जाए.

Last Updated : Feb 10, 2021, 9:45 AM IST
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