शहडोल। प्रदेश में इन दिनों ज्यादातर इलाकों में झमाझम बारिश हो रही है, भोपाल का बड़ा तालाब भर चुका है, मंडला में नर्मदा नदी उफान पर है, लेकिन इसी प्रदेश के शहडोल जिले का हाल बारिश नहीं होने से बेहाल है. खेती बर्बाद होने की कगार पर है और किसान परेशान हैं. अधिकतर धान के खेत खाली पड़े हैं साथ ही कुएं सूखे हुए हैं. मौसम विभाग तेज बारिश की संभावना जता रहा है, लेकिन जिले में अब तक हल्की बूंदा बांदी ही हुई है.
शहडोल और आसपास के इलाकों में हल्की बारिश होकर बंद हो रही है. धान की नर्सरी काफी दिनों की हो चुकी है लेकिन खेतों में पानी न होने की वजह से नर्सरी की रोपाई का काम नहीं हो पा रहा है, जिनके पास सिंचाई के साधन है वे मेहनत कर धान रोप तो रहे हैं, लेकिन बारिश नहीं हुई तो उनकी मेहनत पर पानी फिर जाएगा. ईटीवी भारत की टीम शहडोल जिले के सोहागपुर ब्लॉक के कई गांव के खेतों में पहुंची, जहां अधिकतर खेत खाली ही मिले हैं.
जिले में प्रमुखता से होती है धान की खेती
कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह बताते हैं कि शहडोल जिले में प्रमुखता से धान की खेती की जाती है, करीब एक लाख 6 हजार हेक्टेयर में धान की खेती होती है और अभी जो प्रारंभिक आंकड़े सामने आए हैं, उसमें फिलहाल 60 परसेंट के आसपास ही बुवाई हो पाई है, 40 फीसदी बुवाई बाकी है. एक लाख 6 हजार हेक्टेयर में करीब 50 प्रतिशत में ट्रांस्प्लांटिंग होती है, बाकी अन्य विधियों से धान की बुवाई होती है. जिले में कुल 20 प्रतिशत सिंचित रकबा है, इसके अलावा जो 20 प्रतिशत दिखता है वो अधिकतर बाणसागर वाला है, बाकी ट्यूबवेल और कुएं से सिंचाई करते हैं. ऐसे में जब बारिशन नहीं होगी तो जलस्तर गिर जायेगा.
हो रहा नुकसान
डॉ. मृगेंद्र के मुताबिक, ट्रांसप्लांटिंग के हिसाब से जिले में बारिश नहीं हुई है, जिनके पास सिंचाई का साधन है वो ट्रांसप्लांटिंग कर रहे हैं, लेकिन जो रोपा है और किसान तेज बारिश का इंतजार कर रहा है उनकी नर्सरी ज्यादा दिन की हो चुकी हैं और नर्सरी जितनी पुरानी होती जाएगी धान की रोपाई में समय बीतता जाएगा. इसके बावजूद भी धान की रोपाई की जाती है तो फसलों का नुकसान लगभग तय है. कृषि विभाग के मुताबिक अब तक 30 से 40 प्रतिशत कम रोपाई हो पाई है. कृषि वैज्ञानिक का मानना है यदि15 अगस्त तक बारिश अच्छी होती है तो किसानों को कुछ राहत मिल सकती है.
गौरतलब है कि शहडोल जिले में कम बारिश किसानों के लिए मुसीबत तो है ही साथ ही आम लोगों के लिए भी परेशानी का सबब बनने वाली है. कुएं, नदी और नाले खाली हैं, ऐसे में आने वाले समय में यहां पीने के पानी का भी विकराल संकट हो सकता है.