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कहीं खुशी कहीं गम की बारिश कर रहे बदरा, सूखे से किसानों के 'सूखे हलक'

मध्यप्रदेश में अधिकतर जगह बारिश आफत बन गई है, लेकिन शहडोल जिले में आदिवासी किसान कम बारिश के चलते परेशान हैं, कृषि वैज्ञानिक ने बारिश नहीं होने पर चिंता जताई है.

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Published : Aug 11, 2019, 11:21 AM IST

शहडोल में आफत बनी बारिश

शहडोल। प्रदेश में इन दिनों ज्यादातर इलाकों में झमाझम बारिश हो रही है, भोपाल का बड़ा तालाब भर चुका है, मंडला में नर्मदा नदी उफान पर है, लेकिन इसी प्रदेश के शहडोल जिले का हाल बारिश नहीं होने से बेहाल है. खेती बर्बाद होने की कगार पर है और किसान परेशान हैं. अधिकतर धान के खेत खाली पड़े हैं साथ ही कुएं सूखे हुए हैं. मौसम विभाग तेज बारिश की संभावना जता रहा है, लेकिन जिले में अब तक हल्की बूंदा बांदी ही हुई है.


शहडोल और आसपास के इलाकों में हल्की बारिश होकर बंद हो रही है. धान की नर्सरी काफी दिनों की हो चुकी है लेकिन खेतों में पानी न होने की वजह से नर्सरी की रोपाई का काम नहीं हो पा रहा है, जिनके पास सिंचाई के साधन है वे मेहनत कर धान रोप तो रहे हैं, लेकिन बारिश नहीं हुई तो उनकी मेहनत पर पानी फिर जाएगा. ईटीवी भारत की टीम शहडोल जिले के सोहागपुर ब्लॉक के कई गांव के खेतों में पहुंची, जहां अधिकतर खेत खाली ही मिले हैं.

शहडोल जिले में आदिवासी किसान कम बारिश के चलते परेशान


जिले में प्रमुखता से होती है धान की खेती
कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह बताते हैं कि शहडोल जिले में प्रमुखता से धान की खेती की जाती है, करीब एक लाख 6 हजार हेक्टेयर में धान की खेती होती है और अभी जो प्रारंभिक आंकड़े सामने आए हैं, उसमें फिलहाल 60 परसेंट के आसपास ही बुवाई हो पाई है, 40 फीसदी बुवाई बाकी है. एक लाख 6 हजार हेक्टेयर में करीब 50 प्रतिशत में ट्रांस्प्लांटिंग होती है, बाकी अन्य विधियों से धान की बुवाई होती है. जिले में कुल 20 प्रतिशत सिंचित रकबा है, इसके अलावा जो 20 प्रतिशत दिखता है वो अधिकतर बाणसागर वाला है, बाकी ट्यूबवेल और कुएं से सिंचाई करते हैं. ऐसे में जब बारिशन नहीं होगी तो जलस्तर गिर जायेगा.

हो रहा नुकसान
डॉ. मृगेंद्र के मुताबिक, ट्रांसप्लांटिंग के हिसाब से जिले में बारिश नहीं हुई है, जिनके पास सिंचाई का साधन है वो ट्रांसप्लांटिंग कर रहे हैं, लेकिन जो रोपा है और किसान तेज बारिश का इंतजार कर रहा है उनकी नर्सरी ज्यादा दिन की हो चुकी हैं और नर्सरी जितनी पुरानी होती जाएगी धान की रोपाई में समय बीतता जाएगा. इसके बावजूद भी धान की रोपाई की जाती है तो फसलों का नुकसान लगभग तय है. कृषि विभाग के मुताबिक अब तक 30 से 40 प्रतिशत कम रोपाई हो पाई है. कृषि वैज्ञानिक का मानना है यदि15 अगस्त तक बारिश अच्छी होती है तो किसानों को कुछ राहत मिल सकती है.


गौरतलब है कि शहडोल जिले में कम बारिश किसानों के लिए मुसीबत तो है ही साथ ही आम लोगों के लिए भी परेशानी का सबब बनने वाली है. कुएं, नदी और नाले खाली हैं, ऐसे में आने वाले समय में यहां पीने के पानी का भी विकराल संकट हो सकता है.

शहडोल। प्रदेश में इन दिनों ज्यादातर इलाकों में झमाझम बारिश हो रही है, भोपाल का बड़ा तालाब भर चुका है, मंडला में नर्मदा नदी उफान पर है, लेकिन इसी प्रदेश के शहडोल जिले का हाल बारिश नहीं होने से बेहाल है. खेती बर्बाद होने की कगार पर है और किसान परेशान हैं. अधिकतर धान के खेत खाली पड़े हैं साथ ही कुएं सूखे हुए हैं. मौसम विभाग तेज बारिश की संभावना जता रहा है, लेकिन जिले में अब तक हल्की बूंदा बांदी ही हुई है.


शहडोल और आसपास के इलाकों में हल्की बारिश होकर बंद हो रही है. धान की नर्सरी काफी दिनों की हो चुकी है लेकिन खेतों में पानी न होने की वजह से नर्सरी की रोपाई का काम नहीं हो पा रहा है, जिनके पास सिंचाई के साधन है वे मेहनत कर धान रोप तो रहे हैं, लेकिन बारिश नहीं हुई तो उनकी मेहनत पर पानी फिर जाएगा. ईटीवी भारत की टीम शहडोल जिले के सोहागपुर ब्लॉक के कई गांव के खेतों में पहुंची, जहां अधिकतर खेत खाली ही मिले हैं.

शहडोल जिले में आदिवासी किसान कम बारिश के चलते परेशान


जिले में प्रमुखता से होती है धान की खेती
कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह बताते हैं कि शहडोल जिले में प्रमुखता से धान की खेती की जाती है, करीब एक लाख 6 हजार हेक्टेयर में धान की खेती होती है और अभी जो प्रारंभिक आंकड़े सामने आए हैं, उसमें फिलहाल 60 परसेंट के आसपास ही बुवाई हो पाई है, 40 फीसदी बुवाई बाकी है. एक लाख 6 हजार हेक्टेयर में करीब 50 प्रतिशत में ट्रांस्प्लांटिंग होती है, बाकी अन्य विधियों से धान की बुवाई होती है. जिले में कुल 20 प्रतिशत सिंचित रकबा है, इसके अलावा जो 20 प्रतिशत दिखता है वो अधिकतर बाणसागर वाला है, बाकी ट्यूबवेल और कुएं से सिंचाई करते हैं. ऐसे में जब बारिशन नहीं होगी तो जलस्तर गिर जायेगा.

हो रहा नुकसान
डॉ. मृगेंद्र के मुताबिक, ट्रांसप्लांटिंग के हिसाब से जिले में बारिश नहीं हुई है, जिनके पास सिंचाई का साधन है वो ट्रांसप्लांटिंग कर रहे हैं, लेकिन जो रोपा है और किसान तेज बारिश का इंतजार कर रहा है उनकी नर्सरी ज्यादा दिन की हो चुकी हैं और नर्सरी जितनी पुरानी होती जाएगी धान की रोपाई में समय बीतता जाएगा. इसके बावजूद भी धान की रोपाई की जाती है तो फसलों का नुकसान लगभग तय है. कृषि विभाग के मुताबिक अब तक 30 से 40 प्रतिशत कम रोपाई हो पाई है. कृषि वैज्ञानिक का मानना है यदि15 अगस्त तक बारिश अच्छी होती है तो किसानों को कुछ राहत मिल सकती है.


गौरतलब है कि शहडोल जिले में कम बारिश किसानों के लिए मुसीबत तो है ही साथ ही आम लोगों के लिए भी परेशानी का सबब बनने वाली है. कुएं, नदी और नाले खाली हैं, ऐसे में आने वाले समय में यहां पीने के पानी का भी विकराल संकट हो सकता है.

Intro:note_ इस खबर में तीन वर्जन हैं शुरुआत में दो वर्जन किसानों के हैं फिर तीसरा और आखिरी वर्जन कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह की है।


एमपी में अधिकतर जगह हो रही आफत की बारिश, लेकिन इस आदिवासी जिले में किसान हैं परेशान

शहडोल- मध्यप्रदेश में इन दिनों अधिकतर जगह झमाझम बारिश हो रही है, भोपाल का बड़ा तालाब भर चुका है मंडला में नर्मदा नदी उफान पर है, लेकिन इसी मध्यप्रदेश के शहडोल जिले का हाल तेज़ बारिश न होने से बेहाल है। किसान परेशान हैं, खेती बर्बाद हो रही है, अधिकतर खेत खाली पड़े हैं कुएं सूखे हुए हैं, तालाबों में पानी उस तरह से अबतक नहीं भरे हैं और इसकी वजह है की शहडोल में अबतक तेज़ बारिश नहीं हुई है, रिमझिम बारिश तो होती है लेकिन धान की खेती के लिए नदी नाले भरने के लिए जिस तरह के पानी की जरूरत होति है उस तरह की झमाझम बारिश नहीं हो रही है भले ही मौसम विभाग लगातार शहडोल में तेज़ बारिश की चेतावनी दे रहा है लेकिन यहां बारिश का हाल ऐसा है कि एक दिन बारिश होती है और दूसरे ही दिन तेज़ धूप में वो पानी सूख जाता है जिससे अब किसान परेशान है।


Body:किसान परेशान, फसल का हो रहा नुकसान

जिस तरह की रिमझिम बारिश होकर बंद हो जा रही उससे किसान परेशान है क्योंकि खेत सूख रहे हैं धान की नर्सरी काफी दिनों की हो चुकी है लेकिन खेतों में पानी न होने की वजह से नर्सरी की रोपाई का काम नहीं हो पा रहा है, जिनके पास सिंचाई के साधन है किसी तरह नर्सरी को ट्रांसप्लांट तो कर रहे हैं, लेकिन अगर बारिश नहीं हुई तो वो कैसे पानी पूरा कर पाएंगे। मतलब उनकी खेती बारिश न होने की दशा में बर्बाद होगी।
शहडोल जिले के सोहागपुर ब्लॉक के कई गांव के खेतों में हमने भ्रमण किया जहां अधिकतर खेत खाली ही मिले। हर जगह बस एक बात पानी नहीं तो क्या करें।

शहडोल में प्रमुखता से होती है धान की खेती

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह बताते हैं कि शहडोल जिले में प्रमुखता से धान की खेती की जाती है, करीब एक लाख 6 हज़ार हेक्टेयर में धान की खेती होती है, और अभी जो प्रारम्भिक आंकड़े आये हैं उसमें अभी साठ परसेंट के आसपास ही बुवाई हो पाई है। 40 परसेंट में अभी बुवाई नहीं हो पाई है, एक लाख 6 हज़ार हेक्टेयर में करीब 50 प्रतिशत में ट्रांस्प्लांटिंग होती है, बाकी अन्य विधियों से धान की बुवाई होती है।

देखा जाए तो हमारे शहडोल जिले में टोटल 20 प्रतिशत कुल सिंचित रकबा है, इसके अलावा जो 20 प्रतिशत दिखता है वो अधिकतर बाणसागर वाला है, बाकी ट्यूबवेल, और कुएं से सिंचाई करते हैं इसमें जब पानी नहीं गिरेगा तो पानी नीचे चला जायेगा जब पानी कम होगा तो सिंचाई कम हो पाती है एक तरह से कह सकते हैं कि शहडोल जिले की जो खेती है वो वर्षा आधारित खेती है।

बारिश न होने से हो रहा नुकसान

वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह बताते हैं कि जहां तक धान के फसल की ट्रांस्प्लांटिंग की बात है तो अभी अपने जिले में इतनी बारिश नहीं हुई है, जिनके पास सिंचाई का साधन है वो ट्रांस प्लांटिंग तो कर रहे हैं लेकिन जो रोपा है और किसान तेज़ बारिश का इंतज़ार कर रहा है उनके नर्सरी ज्यादा दिन के हो चुके हैं, और नर्सरी जितनी पुरानी होती जाएगी धान की रोपाई में समय बीतता जाएगा, फिर धान की रोपाई करते भी हैं तो फसलों का नुकसान तय है उपज में फर्क पड़ेगा। सीधा सीधा 30 से 40 प्रतिशत कम रोपाई हो पाई है जो कृषि विभाग के आंकड़े बताते हैं।
कृषि वैज्ञनिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह बताते हैं कि अगर 15 अगस्त तक बारिश अच्छी होती है तो थोड़ी बहुत किसानों को राहत मिल सकती है।



Conclusion:गौरतलब है की शहडोल जिले में कम बारिश का होना तेज़ बारिश न होना, किसानों के लिए मुसीबत तो है ही साथ ही आम लोगों के लिए भी बड़ी मुसीबत होने वाली है क्योंकि अभी भी कुएं, नदी नाले खाली हैं, ऐसे में आने वाले समय में यहां पीने के पानी का भी विकराल संकट हो सकता है।
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