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कृषि मंत्री का आश्वासन कब बनेगा अन्नदाता का मरहम, सरकार की राह देख रहे किसान

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Published : Nov 20, 2019, 11:42 AM IST

'आश्वासन की रोटी से कब तक भरेगा पेट, मौसमी जख्मों का मरहम मांग रहा किसान'. मध्यप्रदेश के किसानों को मुआवजे का इंतजार है क्योंकि किसानों को रबी सीजन की फसल की बुवाई के लिए बजट नहीं है. इसके लिए किसानों ने कमलनाथ सरकार के जल्द ही मुआवजे की मांग की है.

शहडोल में किसान परेशान

शहडोल। चुनाव क्या बीता, किसानों के जख्मों पर मरहम लगाने का दावा करने वाले हुक्मरान ऐसे गायब हो गए, जैसे गधे के सिर से सींग. अब अन्नदाता खोज रहा है सियासतदानों को, पूछ रहा है कहां तुम चले गए, नेताओं के कोरे कागज पर वोट की मुहर लगाकर किसान पछता रहे हैं. आसमानी आफत ने पहले किसानों को बर्बादी का जख्म दिया, फिर सियासतदानों ने उस पर अनदेखी का नमक छिड़का, दर्द से तड़पता किसान अब सरकारी मरहम की राह देख रहा है, लेकिन न पटवारी आता है न कोई सरकारी नुमाइंदा, खरीफ की फसल पहले ही बर्बाद हो चुकी है और रबी की बोवनी साहूकारों के रहमों करम पर निर्भर है.

सरकार की राह देख रहे किसान

ये फसलें हो गईं बर्बाद
शहडोल में मानसून ने देरी से दस्तक दी थी, पर जब आई तो आफत के साथ. जिसने खेत-खलिहान को तालाब बना दिया. सोयाबीन, उड़द और तिल जैसी फसलों का एक भी दाना किसानों की दहलीज के अंदर दाखिल न हो सका. ईटीवी भारत ने एक दर्जन से ज्यादा गांवों की पड़ताल की, जहां अन्नदाता बेहाल और कुदरत के कहर के सामने बेबस ही दिखा.

Filled water in farmers' fields
फसल के नाम पर नहीं बचा कुछ भी
भारतीय किसान संघ करेगा हड़तालभारतीय किसान संघ सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी कर रहा है क्योंकि सर्वे और मुआवजे की मांग को लेकर किसानों का सब्र जवाब देने लगा है.
Filled water in farmers' fields
बारिश से चौपट हो गई फसल

ईटीवी भारत की मुहिम का असर
ईटीवी भारत 'मिट्टी का लाल' मुहिम के जरिए किसानों की आवाज बना और सरकार को नींद से जगाया, जिसके बाद कृषि मंत्री सचिन यादव ने ईटीवी भारत को भरोसा दिलाया कि जल्द ही प्रदेश के किसानों को मुआवजा दिया जाएगा.

Filled water in farmers' fields
किसानों के खेतों में भरा पानी

आश्वासन की रोटी खिला रही कमलनाथ सरकार
देश की आत्मा जिन गांवों में बसती है, उन गांवों के विकास की धुरी है किसान, वही किसान जिसके उगाए अनाज से राजा से रंक तक का पेट भरता है. पर मौसम की मार ने उन्हीं किसानों को भूख से बेहाल कर दिया है, जिसके चलते किसान अब आस भरी नजरों से सरकार की ओर देख रहा है. पर सरकार है कि आश्वासन की रोटी दिखाकर किसानों का पेट भर रही है. ईटीवी भारत मध्यप्रदेश.

शहडोल। चुनाव क्या बीता, किसानों के जख्मों पर मरहम लगाने का दावा करने वाले हुक्मरान ऐसे गायब हो गए, जैसे गधे के सिर से सींग. अब अन्नदाता खोज रहा है सियासतदानों को, पूछ रहा है कहां तुम चले गए, नेताओं के कोरे कागज पर वोट की मुहर लगाकर किसान पछता रहे हैं. आसमानी आफत ने पहले किसानों को बर्बादी का जख्म दिया, फिर सियासतदानों ने उस पर अनदेखी का नमक छिड़का, दर्द से तड़पता किसान अब सरकारी मरहम की राह देख रहा है, लेकिन न पटवारी आता है न कोई सरकारी नुमाइंदा, खरीफ की फसल पहले ही बर्बाद हो चुकी है और रबी की बोवनी साहूकारों के रहमों करम पर निर्भर है.

सरकार की राह देख रहे किसान

ये फसलें हो गईं बर्बाद
शहडोल में मानसून ने देरी से दस्तक दी थी, पर जब आई तो आफत के साथ. जिसने खेत-खलिहान को तालाब बना दिया. सोयाबीन, उड़द और तिल जैसी फसलों का एक भी दाना किसानों की दहलीज के अंदर दाखिल न हो सका. ईटीवी भारत ने एक दर्जन से ज्यादा गांवों की पड़ताल की, जहां अन्नदाता बेहाल और कुदरत के कहर के सामने बेबस ही दिखा.

Filled water in farmers' fields
फसल के नाम पर नहीं बचा कुछ भी
भारतीय किसान संघ करेगा हड़तालभारतीय किसान संघ सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी कर रहा है क्योंकि सर्वे और मुआवजे की मांग को लेकर किसानों का सब्र जवाब देने लगा है.
Filled water in farmers' fields
बारिश से चौपट हो गई फसल

ईटीवी भारत की मुहिम का असर
ईटीवी भारत 'मिट्टी का लाल' मुहिम के जरिए किसानों की आवाज बना और सरकार को नींद से जगाया, जिसके बाद कृषि मंत्री सचिन यादव ने ईटीवी भारत को भरोसा दिलाया कि जल्द ही प्रदेश के किसानों को मुआवजा दिया जाएगा.

Filled water in farmers' fields
किसानों के खेतों में भरा पानी

आश्वासन की रोटी खिला रही कमलनाथ सरकार
देश की आत्मा जिन गांवों में बसती है, उन गांवों के विकास की धुरी है किसान, वही किसान जिसके उगाए अनाज से राजा से रंक तक का पेट भरता है. पर मौसम की मार ने उन्हीं किसानों को भूख से बेहाल कर दिया है, जिसके चलते किसान अब आस भरी नजरों से सरकार की ओर देख रहा है. पर सरकार है कि आश्वासन की रोटी दिखाकर किसानों का पेट भर रही है. ईटीवी भारत मध्यप्रदेश.

Intro:नोट-
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इस स्लग में शुरुआत में तीन वर्जन किसानों के हैं फिर तीसरा और आखिरी वर्जन भारतीय किसान संघ के जिलाध्यक्ष भानुप्रताप सिंह का है।

अतिवृष्टि से खराब हुई फसलों का अबतक नहीं हुआ सर्वे, किसान परेशान, कैसे होगी नुकसान की भरपाई, किसान संघ ने धरना प्रदर्शन की दी चेतावनी

शहडोल- शहडोल जिले में किसान परेशान है वजह है अतिवृष्टि से खरीफ के सीजन में जिन फसलों का नुकसान हुआ उसके लिये अबतक शासन की ओर से न कोई सर्वे हुआ न मुआवजा मिला है, किसान अब रबी सीजन की खेती भी शुरू कर चुका है ऐसे में किसान की फिक्र बढ़ती ही जा रही है वो करे तो क्या करे। भारतीय किसान संघ ने तो प्रशासन को अब चेतावनी भी दे डाली है अगर किसानो के नुकसान की नहीं हुई भरपाई तो किया जाएगा प्रदर्शन।


Body:फसल बर्बाद, नहीं हुआ सर्वे

शहडोल जिले में भले ही मानसून देरी से आया लेकिन जब बारिश शुरू हुई तो अतिवृष्टि में तब्दील हो गई, खरीफ सीजन में शहडोल जिले के सोयाबीन, उड़द, तिल के फसलों की खेती करने वालों का नुकसान हुआ, उड़द जब खेत में पककर तैयार हुआ तो बारिश शुरू हो गई आलम ये रहा उड़द खेतों में ही फिर से जम गया था तिल और सोयाबीन की फसल का भी नुकसान हुआ, आलम ये रहा की किसानों की लागत भी नहीं निकल पाई, ऐसे में किसान को उम्मीद थी शासन से , की उसे मुआवजे के तौर पर कुछ राहत जरूर दी जाएगी, लेकिन वो भी किसान को नहीं मिल सका है, हमने करीब 10 से 12 गांव के किसानों से जाना जिधर सोयाबीन , उड़द, तिल जैसे फसलों की खेती होती है और उनका कहना था अब तक तो सर्वे को कोई नहीं आया तो फिर मुआवजा की क्या उम्मीद करें।

धान की फसल में भी रोग की मार

इस बार मानसून देरी से आया, जब आया तो अतिवृष्टि हुई देर तक बारिश हुई, खेतों में नमी रही धान की खेती भी देरी से शुरू हो सकी जिसके चलते धान की फसल में भी कई रोग आये, जिससे किसान परेशान रहा, कंडवा रोग तो किसानों के धान को बहुत नुकसान पहुंचाया, लेकिन शासन प्रशासन किसी ने भी सुध नहीं ली।

अब कैसे होगा सर्वे ?

भारतीय किसान संघ के जिला अध्यक्ष भानुप्रताप सिंह चिंतित हैं उनका कहना है जिन फसलों का नुकसान हुआ, खेतों को साफ करके किसान गेंहू और चने की बुवाई कर चुके हैं ऐसे में अब शासन कैसे नुकसान का आंकलन करेगा। क्योंकि अब तो सर्वे भी पॉसिबल नहीं है।

किसान संघ ने दी चेतावनी

भारतीय किसान संघ के जिलाध्यक्ष भानुप्रताप सिंह कहते हैं कि ये तो शासन प्रशासन की ज़िम्मेदारी है कि जब भी प्राकृतिक आपदा के चलते किसानों का नुकसान होता है वो उसका आकंलन करवाएं सर्वे करवाएं, लेकिन ये इस क्षेत्र का दुर्भाग्य है कि अबतक यहां सर्वे नहीं हुआ और किसान अभी भी उम्मीद लगाए इंतज़ार कर रहा है कि शायद कोई प्रशांसन का नुमाइंदा पहुंचे और उनके नुकसान की भरपाई हो सके।




Conclusion:भारतीय किसान संघ के जिला अध्यक्ष भानुप्रताप सिंह ने चेतावनी देते हुए कहा है कि अब इंतज़ार का वक्त भी खत्म हो चुका है और अब भारतीय किसान संघ किसानों के नुकसान की भरपायी के लिए सड़कों पर उतरेगा, धरना प्रदर्शन करेगा, इतना ही नहीं किसान संघ के जिलाध्यक्ष ने तो पिछली बार के प्रदर्शन को याद दिलाते हुए कहा पिछली बार तो हमने कलट्रेट का ताला खोल दिया था लेकिन इस बार नहीं खोलेंगे। भारतीय किसान संघ के जिलाध्यक्ष ने तो साफ तौर पर घोषणा कर दी है कि 27 नवम्बर से किसान अब धरना प्रदर्शन करेगा।



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