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लॉकडाउन ने बदल दी जिंदगी, धंधा बदलकर भर रहे पेट - Lockdown changed life

कोरोना संकट के लॉकडाउन में शहडोल में तो लोगों ने अपनी रोजी का साधन बदल दिया है. चाट फुल्की, गन्ना का व्यापार करने वाले फल का व्यापार करने लगे तो लकड़ी से करीगरी करने वाले घूम-घूम कर सब्जी बेचने लगे.

Lockdown changed life
लॉकडाउन ने बदल दी जिंदगी
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Published : May 14, 2020, 8:26 PM IST

शहडोल। देश में लगातार कोरोना का कहर जारी है और इससे बचाव के लिए लॉकडाउन लगाया गया है. वहीं लॉकडाउन के कारण जहां बड़े कारोबार में मंदी आई है तो कई छोटे मोटे धंधे तो बंद हा पड़ गए है. जिससे चाट फुल्की, कारपेंटिंग, वर्फ गोला जैसे चीजों से रोजी कमाने वालों के सामने पेट के लिए संकट आ खड़ा हुआ है. इसी कारण कोरोना काल में बहुत कुछ बदलता नजर आ रहा है. शहडोल में तो लोगों ने अपनी रोजी का साधन बदल दिया. चाट फुल्की, गन्ना का व्यापार करने वाले फल का व्यापार करने लगे तो लकड़ी से करीगरी करने वाले घूम-घूम कर सब्जी बेचने लगा. सभी ने यही कहा क्या करें साहब इतने दिन बैठ लिए अब रोटी का सवाल है.

लॉकडाउन ने बदल दी जिंदगी

लॉकडाउन में बदल गया काम
कोई फल बेंच रहा, कोई सब्जी बेच रहा, कोई साइकिल में रखकर किराने का सामान बेचने लगा, और सभी का बस एक ही कहना क्या करें साहब रोटी का सवाल है. खर्चा कैसे चलाएं, हम रोज कमाने खाने वाले हैं. घर कैसे चले. इस कोरोना काल में बहुत कुछ बदलाव देखने को मिला, लॉकडाउन हुआ तो प्रदूषण का स्तर कम हो गया, प्रकृति फिर से खिलखिला उठी, तो दूसरी ओर इस लॉकडाउन ने कई लोगों के जिदगी जीने का तरीका बदल दिया, तो किसी के काम करने का स्टाइल ही बदल गया, कोई अपना प्रोफेशन ही बदल लिया तो कोई व्यापार ही बदल लिया.

During Corona crisis  people changed means of livelihood
लॉकडाउन ने बदल दी जिंदगी

मजबूरी का है सौदा
ईटीवी भारत ने कुछ ऐसे ही लोगों से बात की जो पहले दूसरे काम करते थे और अब रोजी रोटी के चलाने के लिए कोई फल तो कोई सब्जी बेचने लगा. जिला मुख्यालय के पास कभी चाट,फुल्की की दुकान लगाने वाले कई व्यापारी जो अपने इस काम से ही भरपूर पैसा कमा लेते थे, रोजी-रोटी बढ़िया चल रही थी. लेकिन लॉकडाउन में काम बंद हो गया. कुछ दिन इंतज़ार भी किये और अब वहीं बताते हैं कि इतंजार तो कर लिए लेकिन अब रोटी का संकट हो रहा है. अब ठेले पर जो मिलेगा वहीं रखकर बेचेंगे. वहीं कई लोग लकड़ियों की कारीगरी करते थे, लेकिन अब साइकिल में सब्जी रखकर बेचने को मजबूर हैं.

During Corona crisis  people changed means of livelihood
धंधा बदलकर भर रहे पेट
During Corona crisis  people changed means of livelihood
कोरोना संकट का लॉकडाउन

लोगों की रोजी-रोटी का सवाल
गावों में तो अलग ही ट्रेंड शुरू हो गया है. अलग-अलग काम करने वाले अब घर-घर सब्जी बेच रहे, बाहर से लोग अपनी बाइक या दूसरी गाड़ियों में रखकर किराना समान घर-घर बेच रहे. हर कोई परेशान है इस कोरोना काल ने बहुत कुछ बदल दिया है, और बस सब का यही कहना है क्या करें साहब रोटी का सवाल है.

शहडोल। देश में लगातार कोरोना का कहर जारी है और इससे बचाव के लिए लॉकडाउन लगाया गया है. वहीं लॉकडाउन के कारण जहां बड़े कारोबार में मंदी आई है तो कई छोटे मोटे धंधे तो बंद हा पड़ गए है. जिससे चाट फुल्की, कारपेंटिंग, वर्फ गोला जैसे चीजों से रोजी कमाने वालों के सामने पेट के लिए संकट आ खड़ा हुआ है. इसी कारण कोरोना काल में बहुत कुछ बदलता नजर आ रहा है. शहडोल में तो लोगों ने अपनी रोजी का साधन बदल दिया. चाट फुल्की, गन्ना का व्यापार करने वाले फल का व्यापार करने लगे तो लकड़ी से करीगरी करने वाले घूम-घूम कर सब्जी बेचने लगा. सभी ने यही कहा क्या करें साहब इतने दिन बैठ लिए अब रोटी का सवाल है.

लॉकडाउन ने बदल दी जिंदगी

लॉकडाउन में बदल गया काम
कोई फल बेंच रहा, कोई सब्जी बेच रहा, कोई साइकिल में रखकर किराने का सामान बेचने लगा, और सभी का बस एक ही कहना क्या करें साहब रोटी का सवाल है. खर्चा कैसे चलाएं, हम रोज कमाने खाने वाले हैं. घर कैसे चले. इस कोरोना काल में बहुत कुछ बदलाव देखने को मिला, लॉकडाउन हुआ तो प्रदूषण का स्तर कम हो गया, प्रकृति फिर से खिलखिला उठी, तो दूसरी ओर इस लॉकडाउन ने कई लोगों के जिदगी जीने का तरीका बदल दिया, तो किसी के काम करने का स्टाइल ही बदल गया, कोई अपना प्रोफेशन ही बदल लिया तो कोई व्यापार ही बदल लिया.

During Corona crisis  people changed means of livelihood
लॉकडाउन ने बदल दी जिंदगी

मजबूरी का है सौदा
ईटीवी भारत ने कुछ ऐसे ही लोगों से बात की जो पहले दूसरे काम करते थे और अब रोजी रोटी के चलाने के लिए कोई फल तो कोई सब्जी बेचने लगा. जिला मुख्यालय के पास कभी चाट,फुल्की की दुकान लगाने वाले कई व्यापारी जो अपने इस काम से ही भरपूर पैसा कमा लेते थे, रोजी-रोटी बढ़िया चल रही थी. लेकिन लॉकडाउन में काम बंद हो गया. कुछ दिन इंतज़ार भी किये और अब वहीं बताते हैं कि इतंजार तो कर लिए लेकिन अब रोटी का संकट हो रहा है. अब ठेले पर जो मिलेगा वहीं रखकर बेचेंगे. वहीं कई लोग लकड़ियों की कारीगरी करते थे, लेकिन अब साइकिल में सब्जी रखकर बेचने को मजबूर हैं.

During Corona crisis  people changed means of livelihood
धंधा बदलकर भर रहे पेट
During Corona crisis  people changed means of livelihood
कोरोना संकट का लॉकडाउन

लोगों की रोजी-रोटी का सवाल
गावों में तो अलग ही ट्रेंड शुरू हो गया है. अलग-अलग काम करने वाले अब घर-घर सब्जी बेच रहे, बाहर से लोग अपनी बाइक या दूसरी गाड़ियों में रखकर किराना समान घर-घर बेच रहे. हर कोई परेशान है इस कोरोना काल ने बहुत कुछ बदल दिया है, और बस सब का यही कहना है क्या करें साहब रोटी का सवाल है.

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