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सावधान। ये खतरनाक है, जानलेवा है

अगर कुत्ते काट भी देते हैं, तो फिर जिला चिकित्सालय में एंटी रेबीज इंजेक्शन के क्या हालात है. जिला चिकित्सालय में कितने डोज हैं. पिछले 1 साल में कितने कुत्ते काटने के केस आए, तो वहीं अगर पशुओं को कुत्ते काटते हैं तो फिर उनके इलाज की व्यवस्था और कुत्तों के वैक्सीनेशन की व्यवस्था क्या है. इन सारे सवालों के साथ देखें ईटीवी भारत की ये पड़ताल.

These dogs without vaccination are dangerous
ये खतरनाक है
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Published : Mar 1, 2021, 4:24 PM IST

शहडोल। शहर की सड़कों में कुत्तों का आतंक तो आपने देखा ही होगा. जहां भी जाइए यह आवारा कुत्ते कहीं भी घूमते आपको मिल जाएंगे. आजकल तो इनकी संख्या इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि अब ये काफी खतरनाक भी हो रहे हैं. ऐसे में आपको सावधान होकर रहने की जरूरत है, तो वहीं अगर कुत्ता आपको काट भी देता है तो आपको सावधानीपूर्वक इलाज कराने की जरूरत है. जो वैक्सीन कुत्तों के काटने पर दी जाती है, उसे समय से जाकर लगवाने की जरूरत है.

ये जानलेवा है!

कुत्तों की भरमार, आवारा कुत्ते भी हैं खतरनाक

शहडोल जिले में देखा जाए तो इन दिनों कुत्तों की भरमार है. जिला मुख्यालय की ही बात करें, तो जिन गलियों और सड़कों से सुबह शाम गुजरेंगे तो आपको आवारा कुत्तों की भरमार मिल जाएगी. अगर आप अकेले पैदल चलते हैं, तो फिर आपको यह काट भी सकते हैं. गाड़ी से निकल रहे हैं, तो आपका पीछा करते हैं. इन की प्रवृत्ति भी बदल रही है. अब यह काटने वाले कुत्ते बन रहे हैं. जिससे कुत्ते काटने के केस भी में लगातार बढ़त्तरी हो रही है.

समय से कराएं डॉग्स का वैक्सीनशन, स्ट्रीट डॉग्स हैं खतरनाक

आखिर शहर के कुत्तों के क्या हालात हैं. पालतू कुत्तों में वैक्सीनेशन को लेकर लोगों में कितनी अवेयरनेस है. इसे जानने के लिए हम पहुंचे सर्प और डॉग विशेषज्ञ दीप श्रीवास्तव के पास. उन्होंने बताया कि ये बिल्कुल सही है कि जब हम कोई भी पालतू जानवर पालते हैं, तो उन्हें इनिशियली रैबीज वैक्सीनेशन देना चाहिए, जो कि हर साल दिया जाता है और फिर ऑल इन वन डिजीज के लिए भी वैक्सीनेशन होता है. ये बहुत महंगा नहीं होता है. यह आसानी से किसी भी मेडिकल स्टोर में मिल जाता है. दीप श्रीवास्तव बताते हैं , बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो अपने पालतू कुत्तों को समय से जाकर वैक्सीन लगवाते हैं. बहुत सारे लोग ऐसे भी हैं जो इस ओर ध्यान भी नहीं देते हैं. वै

Anti rabies vaccine
एंटी रेबीज वैक्सीन

सबसे ज्यादा खतरनाक हैं स्ट्रीट डॉग. इनकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. इन कुत्तों को कोई वैक्सीन नहीं लगती है. जब वह किसी को काट देते हैं तो रेबीज का खतरा बन जाता है.

पिछले साल 538 केस आए

शहडोल जिले की बात की जाए तो पिछले एक साल में 538 लोगों को कुत्तों ने काटा है. यह आंकड़े जिला चिकित्सालय के हैं. 538 लोगों ने पिछले 1 साल में कुत्तों के काटने की शिकायत दर्ज कराई है और एंटी रैबीज की वैक्सीन लगवाई है.

वैक्सीन की कितनी उपलब्धता ?

वैक्सीन की उपलब्धता जिले में कितनी है. इसे जानने के लिए हम उस जगह पर पहुंचे, जहां अमूमन जिले भर के लोग बड़ी उम्मीद के साथ इलाज के लिए पहुंचते हैं. हम शहडोल जिला चिकित्सालय पहुंचे. वहां जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन डॉ जीएस परिहार से बात की. आखिर अगर किसी को कुत्ता काट देता है, तो एंटी रेबीज वैक्सीन की उपलब्धता कितनी है. इस बारे में डॉ जी एस परिहार ने बताया कि जिला अस्पताल में एंटी रेबीज वैक्सीन पर्याप्त मात्रा में हैं. आज की डेट में हमारे पास एंटी रेबीज के लिए 5600 डोज का स्टॉक है. इस तरह से हम 5600 लोगों को इसकी सुविधा दे सकते हैं. मतलब पर्याप्त मात्रा में हमारे पास एंटी रेबीज के लिए डोज उपलब्ध हैं.

These dogs without vaccination are dangerous
बिना वैक्सीनेशन वाले ये डॉग होते है खतरनाक

पशुओं के लिए भी वैक्सीन जरूरी

कुत्ते का काटना जहां इंसानों के लिए खतरनाक है, तो उतना ही खतरनाक मवेशियों के लिए भी है. इसलिए जरूरी हो जाता है कि समय से कुत्तों को ही वैक्सीन लगवाया जाए. ताकि अगर वह किसी मवेशियों को भी काटते हैं तो उन्हें भी तय डोज के मुताबिक तय समय सीमा पर वैक्सीन दी जा सके. जिससे उन मवेशियों की भी जान बचाई जा सके. पशुपालन विभाग के पास कितनी वैक्सीन की उपलब्धता है और पशुओं के लिए कुत्तों का काटना कितना खतरनाक हो सकता है. इस बारे में पशुपालन विभाग के उपसंचालक डॉ बी बी एस चौहान ने बताया कि कुत्तों का काटना एक खतरनाक बीमारी है. अगर समय से वैक्सीन नहीं लगाई गई तो, रेबीज कुत्तों के काटने से या कि काटने वाले वाइल्ड एनिमल्स कोई भी हो उनसे फैलता है. यह एक तरह से वायरल बीमारी की तरह है. एक बार यह बीमारी किसी मवेशी को लग गई और अगर इसके लक्षण को सही समय पर नहीं पहचाना गया तो फिर उसे बचाना मुश्किल हो जाता है.

If the dog is bitten, then your life can be in trouble
अगर कुत्ते काटे तो संकट में आ सकती है आपकी जिंदगी

साथ ही उन्होंने बताया कि रेबीज के लिए दो तरह का वैक्सीनेशन होता है. जिसमें कुत्तों और मवेशियों दोनों को ही वैक्सीनेट किया जाता है. कुत्तों को हर वर्ष, छह महीने में अलग-अलग समय में वैक्सीनेट करते हैं. इसे फ्री वैक्सीनेशन कहते हैं.अगर कुत्ता किसी मवेशी को काट देता है तो फिर उसे पांच डोज लगाए जाते हैं, जो तय समय पर दिए जाते हैं.

सड़क किनारे नवजात की लाश नोचता रहा कुत्ता, अनजान बना रहा अस्पताल प्रबंधन

पशुपालन विभाग के उपसंचालक बताते हैं कि जिले में पशु कल्याण समिति के माध्यम से 530 वैक्सीन के डोज ले करके रखा गया है . जब कुत्ते काटने के केस आते हैं तो उनको यह डोज लगाना ही पड़ता है. इस हिसाब से हमारे पास पर्याप्त डोज है. साथ ही उन्होंने बताया कि पेट्स डॉग का वैक्सीनेशन दो महीने की उम्र में शुरू हो जाता है. साथ ही हर छह महीने में लगता है.

कुत्तों का काटना तब खतरनाक हो सकता है जब सही समय पर व्यक्ति को वैक्सीन न लगाई जाए. जिला चिकित्सालय और पशुपालन विभाग में एंटी रेबीज वैक्सीनेशन की पर्याप्त उपलब्धता है. जरूरी है कि स्ट्रीट डॉग पर नियंत्रण किया जाए. नगरपालिका को इस ओर ध्यान देना चाहिए.

शहडोल। शहर की सड़कों में कुत्तों का आतंक तो आपने देखा ही होगा. जहां भी जाइए यह आवारा कुत्ते कहीं भी घूमते आपको मिल जाएंगे. आजकल तो इनकी संख्या इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि अब ये काफी खतरनाक भी हो रहे हैं. ऐसे में आपको सावधान होकर रहने की जरूरत है, तो वहीं अगर कुत्ता आपको काट भी देता है तो आपको सावधानीपूर्वक इलाज कराने की जरूरत है. जो वैक्सीन कुत्तों के काटने पर दी जाती है, उसे समय से जाकर लगवाने की जरूरत है.

ये जानलेवा है!

कुत्तों की भरमार, आवारा कुत्ते भी हैं खतरनाक

शहडोल जिले में देखा जाए तो इन दिनों कुत्तों की भरमार है. जिला मुख्यालय की ही बात करें, तो जिन गलियों और सड़कों से सुबह शाम गुजरेंगे तो आपको आवारा कुत्तों की भरमार मिल जाएगी. अगर आप अकेले पैदल चलते हैं, तो फिर आपको यह काट भी सकते हैं. गाड़ी से निकल रहे हैं, तो आपका पीछा करते हैं. इन की प्रवृत्ति भी बदल रही है. अब यह काटने वाले कुत्ते बन रहे हैं. जिससे कुत्ते काटने के केस भी में लगातार बढ़त्तरी हो रही है.

समय से कराएं डॉग्स का वैक्सीनशन, स्ट्रीट डॉग्स हैं खतरनाक

आखिर शहर के कुत्तों के क्या हालात हैं. पालतू कुत्तों में वैक्सीनेशन को लेकर लोगों में कितनी अवेयरनेस है. इसे जानने के लिए हम पहुंचे सर्प और डॉग विशेषज्ञ दीप श्रीवास्तव के पास. उन्होंने बताया कि ये बिल्कुल सही है कि जब हम कोई भी पालतू जानवर पालते हैं, तो उन्हें इनिशियली रैबीज वैक्सीनेशन देना चाहिए, जो कि हर साल दिया जाता है और फिर ऑल इन वन डिजीज के लिए भी वैक्सीनेशन होता है. ये बहुत महंगा नहीं होता है. यह आसानी से किसी भी मेडिकल स्टोर में मिल जाता है. दीप श्रीवास्तव बताते हैं , बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो अपने पालतू कुत्तों को समय से जाकर वैक्सीन लगवाते हैं. बहुत सारे लोग ऐसे भी हैं जो इस ओर ध्यान भी नहीं देते हैं. वै

Anti rabies vaccine
एंटी रेबीज वैक्सीन

सबसे ज्यादा खतरनाक हैं स्ट्रीट डॉग. इनकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. इन कुत्तों को कोई वैक्सीन नहीं लगती है. जब वह किसी को काट देते हैं तो रेबीज का खतरा बन जाता है.

पिछले साल 538 केस आए

शहडोल जिले की बात की जाए तो पिछले एक साल में 538 लोगों को कुत्तों ने काटा है. यह आंकड़े जिला चिकित्सालय के हैं. 538 लोगों ने पिछले 1 साल में कुत्तों के काटने की शिकायत दर्ज कराई है और एंटी रैबीज की वैक्सीन लगवाई है.

वैक्सीन की कितनी उपलब्धता ?

वैक्सीन की उपलब्धता जिले में कितनी है. इसे जानने के लिए हम उस जगह पर पहुंचे, जहां अमूमन जिले भर के लोग बड़ी उम्मीद के साथ इलाज के लिए पहुंचते हैं. हम शहडोल जिला चिकित्सालय पहुंचे. वहां जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन डॉ जीएस परिहार से बात की. आखिर अगर किसी को कुत्ता काट देता है, तो एंटी रेबीज वैक्सीन की उपलब्धता कितनी है. इस बारे में डॉ जी एस परिहार ने बताया कि जिला अस्पताल में एंटी रेबीज वैक्सीन पर्याप्त मात्रा में हैं. आज की डेट में हमारे पास एंटी रेबीज के लिए 5600 डोज का स्टॉक है. इस तरह से हम 5600 लोगों को इसकी सुविधा दे सकते हैं. मतलब पर्याप्त मात्रा में हमारे पास एंटी रेबीज के लिए डोज उपलब्ध हैं.

These dogs without vaccination are dangerous
बिना वैक्सीनेशन वाले ये डॉग होते है खतरनाक

पशुओं के लिए भी वैक्सीन जरूरी

कुत्ते का काटना जहां इंसानों के लिए खतरनाक है, तो उतना ही खतरनाक मवेशियों के लिए भी है. इसलिए जरूरी हो जाता है कि समय से कुत्तों को ही वैक्सीन लगवाया जाए. ताकि अगर वह किसी मवेशियों को भी काटते हैं तो उन्हें भी तय डोज के मुताबिक तय समय सीमा पर वैक्सीन दी जा सके. जिससे उन मवेशियों की भी जान बचाई जा सके. पशुपालन विभाग के पास कितनी वैक्सीन की उपलब्धता है और पशुओं के लिए कुत्तों का काटना कितना खतरनाक हो सकता है. इस बारे में पशुपालन विभाग के उपसंचालक डॉ बी बी एस चौहान ने बताया कि कुत्तों का काटना एक खतरनाक बीमारी है. अगर समय से वैक्सीन नहीं लगाई गई तो, रेबीज कुत्तों के काटने से या कि काटने वाले वाइल्ड एनिमल्स कोई भी हो उनसे फैलता है. यह एक तरह से वायरल बीमारी की तरह है. एक बार यह बीमारी किसी मवेशी को लग गई और अगर इसके लक्षण को सही समय पर नहीं पहचाना गया तो फिर उसे बचाना मुश्किल हो जाता है.

If the dog is bitten, then your life can be in trouble
अगर कुत्ते काटे तो संकट में आ सकती है आपकी जिंदगी

साथ ही उन्होंने बताया कि रेबीज के लिए दो तरह का वैक्सीनेशन होता है. जिसमें कुत्तों और मवेशियों दोनों को ही वैक्सीनेट किया जाता है. कुत्तों को हर वर्ष, छह महीने में अलग-अलग समय में वैक्सीनेट करते हैं. इसे फ्री वैक्सीनेशन कहते हैं.अगर कुत्ता किसी मवेशी को काट देता है तो फिर उसे पांच डोज लगाए जाते हैं, जो तय समय पर दिए जाते हैं.

सड़क किनारे नवजात की लाश नोचता रहा कुत्ता, अनजान बना रहा अस्पताल प्रबंधन

पशुपालन विभाग के उपसंचालक बताते हैं कि जिले में पशु कल्याण समिति के माध्यम से 530 वैक्सीन के डोज ले करके रखा गया है . जब कुत्ते काटने के केस आते हैं तो उनको यह डोज लगाना ही पड़ता है. इस हिसाब से हमारे पास पर्याप्त डोज है. साथ ही उन्होंने बताया कि पेट्स डॉग का वैक्सीनेशन दो महीने की उम्र में शुरू हो जाता है. साथ ही हर छह महीने में लगता है.

कुत्तों का काटना तब खतरनाक हो सकता है जब सही समय पर व्यक्ति को वैक्सीन न लगाई जाए. जिला चिकित्सालय और पशुपालन विभाग में एंटी रेबीज वैक्सीनेशन की पर्याप्त उपलब्धता है. जरूरी है कि स्ट्रीट डॉग पर नियंत्रण किया जाए. नगरपालिका को इस ओर ध्यान देना चाहिए.

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