शहडोल। कहते हैं हुनर कभी छिपता नहीं है, लेकिन जब ऐसे हुनर को सही मंच और ट्रेनिंग न दी जाए तो वह दब जरूर जाता है. कुछ ऐसी ही कहानी है शहडोल की इन दिव्यांग बच्चों की. ये बच्चे भले ही बोल और सुन नहीं सकते हो, लेकिन यह बच्चे देख जरूर सकते हैं और यही इनकी ताकत है. अपनी इसी ताकत के दम पर ये अपने अंदर छिपी प्रतिभा को कागजों पर उकेर रहे हैं.
दिव्यांग मनीषा सिंह कक्षा 8वीं में पढ़ती हैं, बोल सुन नहीं सकतीं लेकिन इसके अंदर प्रतिभा की भरमार है. इस बच्ची से किसी भी तरह की रंगोली बनवा लें या फिर चित्रकारी करवा लें दोनों में माहिर हैं.
सागर सिंह जो महज अभी 13 साल का हैं, सागर, कागजों में दुनिया उकेरने में माहिर हैं. प्रेरणा फाउंडेशन की सचिव मधुश्री राय ने बताया कि इन बच्चे में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है. ये सभी बच्चे बहुत अच्छी पेंटिंग करते हैं और इनमें प्रतिभा की कोई कमी भी नहीं है, लेकिन इन्हें सही मंच नहीं मिल पा रहा है.
संस्था की सचिव मधु श्री कहती हैं, हम अपने स्तर से बच्चों जितना सिखा पाते हैं उतना सिखाने की कोशिश करते हैं. जब इन हालातों में भी बच्चे अच्छा करते हैं, उनमें इतनी प्रतिभा है तो सोचिए अगर इन्हें निखारने का कोई मंच मिल जाये, तो ये क्या कर जाएंगे.
बता दें कि शहडोल जिले में एक सीडब्लूएसएन छात्रावास है. जहां 52 दिव्यांग बच्चे हैं और इन्हीं में से ऐसे होनहार बच्चे भी हैं. जिन्हें अगर कलर बॉक्स मिल जाये तो ये सारी दुनिया को उकेर देते हैं.