Chaitra Navratri 2023: चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 22 मार्च से होने जा रही है, इसी दिन से हिंदू नव वर्ष की शुरुआत भी होती है. चैत्र नवरात्र का विशेष महत्व होता है और इस दिन मां भगवती की पूजा पाठ के लिए विशेष तैयारियां की जाती हैं. मां आदिशक्ति के 9 रूपों की 9 दिन में पूजा की जाती है. चैत्र नवरात्रि में कब है शुभ मुहूर्त, घट स्थापना का क्या है विशेष महत्व, चैत्र नवरात्रि में हर घर में क्यों करना चाहिए कलश स्थापना, क्या होते हैं इसके फायदे, किस विधि के साथ और किस मुहूर्त में करें कलश स्थापना. जानिए ज्योतिष और वास्तु के सलाहकार पंडित श्रवण त्रिपाठी से सबकुछ.
शुभ मुहूर्त: ज्योतिष और वास्तु के सलाहकार पंडित श्रवण त्रिपाठी बताते हैं कि चैत्र नवरात्रि हिंदू धर्म के लिए बहुत ही विशेष होता है जो प्रतिपदा से लेकर नवमी तिथि तक चलता है. इस बार चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 22 मार्च 2023 से हो रही है. वैसे प्रतिपदा तिथि 21 मार्च को रात्रि 10:52 से आ जाएगी लेकिन एमपी में ज्यादातर उदया तिथि को माना जाता है. इसलिए उदया तिथि के हिसाब से 22 मार्च 2023 से चैत्र प्रतिपदा की शुरुआत मानी जाएगी, 22 मार्च रात्रि 8.20 बजे तक प्रतिपदा रहेगी.
9 दिन में 9 देवियों की पूजा: नवरात्रि में 9 दिन में नौ देवियों की पूजा की जाती है और यह एक शक्ति संचय का पर्व होता है. प्रतिपदा के दिन शैलपुत्री मां का आवाहन किया जाता है. द्वितीया के दिन ब्रह्मचारिणी माता, तृतीय को चंद्रघंटा माता, चतुर्थी को कुष्मांडा माता, पांचवें दिन स्कंदमाता, छठे दिन कात्यायनी मां, सातवें दिन कालरात्रि मां, 8वें दिन महागौरी मां और नौवें दिन सिद्धिदात्री माता का आवाहन किया जाता है. विधि विधान से इन 9 दिनों में 9 देवियों की पूजा की जाती है.
घट स्थापना विधि और शुभ मुहूर्त: ज्योतिष और वास्तु के सलाहकार पंडित श्रवण त्रिपाठी बताते हैं कि घट स्थापना का शुभ मुहूर्त जो विद्वानों द्वारा बताया गया है वह सुबह 6:23 बजे से लेकर के 7:52 तक का है. घट स्थापना करने के लिए आपको जौ, मिट्टी का कलश या सोने चांदी के कलश को भी स्थापित किया जा सकता है. शुद्ध जल, मौली, गंगाजल, साबुत सुपारी, हल्दी की गांठ, कपड़ा, पंचरत्न, फूल आदि सामग्री रहनी चाहिए. इसके साथ ही साथ आम एवं अशोक के पत्ते भी आप ले सकते हैं. एक पात्र जो कि जल रखने के लिए होगा एक नारियल पानी वाला नारियल हो जल वाला नारियल हो साथ ही साबुत चावल होना चाहिए.
जौ बोने के लिए सर्वप्रथम मिट्टी के पात्र में एक मिट्टी की परत बिछा दें उसके ऊपर आप जौ डाल दें पुनः एक बार आप मिट्टी की परत लगाएं, फिर से जौ डालें, और फिर एक बार और मिट्टी की परत डालकर उसे चारों तरफ से बंद कर दें ताकि जो बाहर न गिरे अंदर आप साबुत हल्दी की गांठ, एक सिक्का, गंगा जल एवं शुद्ध जल इन सभी वस्तुओं को उस कलश में भर दें और कलश के ऊपर स्वास्तिक का निशान अंकित कर दें, उसे ढकने के उपरांत कलश को एक मिट्टी के पात्र या किसी शुद्ध पात्र से चावल भरकर रख दें और उसके चारों तरफ पल्लव लगा दें. इसके बाद आप एक नारियल ले लें, नारियल लेकर नारियल को लाल कपड़े से बांधकर उस पर मौली बांधे उस नारियल को नीचे की ओर करके उस कलश में स्थापित कर दें.
घट स्थापाना के फायदे: पंडित श्रवण त्रिपाठी बताते हैं कि नवरात्र में घट स्थापना या कलश स्थापना का अपने आप में विशेष महत्व होता है कई लाभ होते हैं, क्योंकि कलश के मुख में विष्णु जी का वास होता है नीचे की ओर रुद्र का वास होता है बीच में ब्रह्मा जी का वास होता है और मध्य में सारी देवियों का वास होता है. कलश या घट स्थापना निश्चित तौर पर नकारात्मक शक्तियों को दूर करने का बहुत बड़ा कारगर उपाय होता है. कलश स्थापना शुभ मुहूर्त में करना चाहिए और हर घर में अवश्य करना चाहिए और सही विधि विधान से करें और 9 दिन आप मां भगवती की पूजा अर्चना करें.