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पब्लिक ट्रांसपोर्ट चलाने की परमिशन के बाद भी थमे हैं बसों के पहिए, लोग हो रहे परेशान

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Published : Jun 16, 2020, 6:43 PM IST

अनलॉक-1.0 में पब्लिक ट्रांसपोर्ट चलाने की सशर्त परमिशन मिलने के बाद भी बस संचालक बसें नहीं चला रहे हैं. ईटीवी भारत से बात करते हुए शहडोल बस ऑनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष भागवत प्रसाद गौतम ने इन वजहों के बारे में बताया.

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शहडोल। जिले में लॉकडाउन के दौरान जो बसों के पहिये थमे हुए थे, जो अभी भी रुके हुए हैं. लोगों के आने-जाने के लिए बस संचालकों ने अभी भी बसों का संचालन शुरु नहीं किया है, जबकि शासन-प्रशासन ने इसके लिये दिशा-निर्देश भी जारी कर दिए हैं. बसों का संचालन नहीं होने से लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

सरकार से बस संचालकों की मांग

शहडोल बस ऑनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष भागवत प्रसाद गौतम जिले में बस के संचालन नहीं होने की वजह को लेकर कहते हैं, शासन की गाइडलाइन थी कि, 50 फीसदी क्षमता में ही वाहन चला सकते हैं. मतलब 50 सीटर बस में 25 सवारी और 30 सीटर बस में 15 सवारी. ऐसी स्थिति में बसों के खर्चे पूरे न होने की वजह से हम लोग बस संचालन बन्द किए हुए हैं. दूसरी हमारी ये मांग थी कि, 22 मार्च से लॉकडाउन के दौरान पूर्ण रूप से हमारी बसें बंद रही हैं. जिनका टैक्स हमारे द्वारा दिया जाना उचित नहीं है और न ही शासन द्वारा लिया जाना उचित है. इस संबंध में शासन ने किसी भी तरह का अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है.

हाल ही में मध्यप्रदेश शासन ने एक आदेश जारी किया गया है, जिसमें की शासन ने कहा है कि, कोरोना से अति प्रभावित जो जिले हैं,जैसे भोपाल, इंदौर, उज्जैन तीन जिलों को छोड़कर बाकि के सभी जिलों में आप सामान्य तरीके से बसों का संचालन कर सकते हैं. लेकिन समस्या ये है कि, अभी तक जो हमारी मांग थी कि लॉकडाउन के चार महीने के टैक्स का निराकरण करें और उज्जैन, भोपाल और इंदौर में जो 50 फीसदी कैपिसिटी से बस चलेंगी उनमें क्या रियायत सरकार दे रही है, टैक्स में रियायत दे रही हैं या किराए में, इसके बारे में बताए,

इस तरह का कोई निर्णय जब तक नहीं हो जाता है, तब तक बसों का संचालन बंद ही रहेगा. इस पर शासन जल्द ही फैसला करके, टैक्स संबंधित और प्रदेश के तीन जिलों में जहां अभी भी 50 प्रतिशत सवारी की क्षमता का नियम ही है, उसे लेकर कोई फैसला कर दें. तो हम बसों को सामान्य रूप से चलाना शुरू कर देंगे. लेकिन जब तक हमारी मांगों को नहीं माना जायेगा तब तक हम बसों का संचालन नहीं करेंगे.

पब्लिक ट्रांसपोर्ट चलाने की परमिशन के बाद भी थमे हैं बसों के पहिए, लोग हो रहे परेशान

शहडोल। जिले में लॉकडाउन के दौरान जो बसों के पहिये थमे हुए थे, जो अभी भी रुके हुए हैं. लोगों के आने-जाने के लिए बस संचालकों ने अभी भी बसों का संचालन शुरु नहीं किया है, जबकि शासन-प्रशासन ने इसके लिये दिशा-निर्देश भी जारी कर दिए हैं. बसों का संचालन नहीं होने से लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

सरकार से बस संचालकों की मांग

शहडोल बस ऑनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष भागवत प्रसाद गौतम जिले में बस के संचालन नहीं होने की वजह को लेकर कहते हैं, शासन की गाइडलाइन थी कि, 50 फीसदी क्षमता में ही वाहन चला सकते हैं. मतलब 50 सीटर बस में 25 सवारी और 30 सीटर बस में 15 सवारी. ऐसी स्थिति में बसों के खर्चे पूरे न होने की वजह से हम लोग बस संचालन बन्द किए हुए हैं. दूसरी हमारी ये मांग थी कि, 22 मार्च से लॉकडाउन के दौरान पूर्ण रूप से हमारी बसें बंद रही हैं. जिनका टैक्स हमारे द्वारा दिया जाना उचित नहीं है और न ही शासन द्वारा लिया जाना उचित है. इस संबंध में शासन ने किसी भी तरह का अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है.

हाल ही में मध्यप्रदेश शासन ने एक आदेश जारी किया गया है, जिसमें की शासन ने कहा है कि, कोरोना से अति प्रभावित जो जिले हैं,जैसे भोपाल, इंदौर, उज्जैन तीन जिलों को छोड़कर बाकि के सभी जिलों में आप सामान्य तरीके से बसों का संचालन कर सकते हैं. लेकिन समस्या ये है कि, अभी तक जो हमारी मांग थी कि लॉकडाउन के चार महीने के टैक्स का निराकरण करें और उज्जैन, भोपाल और इंदौर में जो 50 फीसदी कैपिसिटी से बस चलेंगी उनमें क्या रियायत सरकार दे रही है, टैक्स में रियायत दे रही हैं या किराए में, इसके बारे में बताए,

इस तरह का कोई निर्णय जब तक नहीं हो जाता है, तब तक बसों का संचालन बंद ही रहेगा. इस पर शासन जल्द ही फैसला करके, टैक्स संबंधित और प्रदेश के तीन जिलों में जहां अभी भी 50 प्रतिशत सवारी की क्षमता का नियम ही है, उसे लेकर कोई फैसला कर दें. तो हम बसों को सामान्य रूप से चलाना शुरू कर देंगे. लेकिन जब तक हमारी मांगों को नहीं माना जायेगा तब तक हम बसों का संचालन नहीं करेंगे.

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