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जिला अस्पताल में गरीब बच्चे का नहीं हो पाया इलाज, डॉक्टर ने ऑपरेशन के लिए मांगी 8 हजार रु की रिश्वत - डॉक्टर ने ऑपरेशन के लिए मांगे पैसे

सिवनी के जिला अस्पताल में एक गरीब परिवार के बच्चे के पैर का ऑपरेशन इसलिए नहीं हो पाया, क्योंकि बच्चे के माता-पिता के पास ऑपरेशन करने वाले सरकारी डॉक्टर को देने के लिए 8 हजार रुपए की रिश्वत नहीं थी.

government district hospital in seoni
डॉक्टर ने ऑपरेशन के लिए मांगे 8 हजार रुपए
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Published : Dec 4, 2019, 8:38 AM IST

सिवनी। जिला अस्पताल एक बार फिर अपनी करतूतों की वजह से सुर्खियों में है. यहां एक गरीब बच्चे के पैर का ऑपरेशन इसलिए नहीं हो सका, क्योंकि बच्चे के माता-पिता के पास सरकारी डॉक्टर को देने के लिए 8 हजार रुपए रिश्वत के नहीं थे.

पीड़ित बच्चे के परिजनों ने बताया कि स्कूल में प्रार्थना के दौरान गिर जाने के बाद उन्होंने अपने बच्चे को एक हफ्ते पहले जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था. आर्थोपेडिक डॉक्टर लोकेश बिसेन ने बताया कि बच्चे के पैर में फ्रैक्चर है, मामूली सा ऑपरेशन करना होगा, जो जिला अस्पताल में ही हो जाएगा. डॉक्टर ने एक पर्ची पर अपना पता और मोबाइल नम्बर लिखकर बच्चे के मां-बाप को देते हुए कहा कि वो शाम को घर पर आकर मिलें. जब परिजन डॉक्टर के घर पहुंचे तो उसने जिला अस्पताल में ऑपरेशन करने के लिए 8 हजार रुपयों की मांग की. परिजनों के पास रुपए नहीं थे, इसलिए वो डॉक्टर के घर से लौट आए और जिला अस्पताल के ही अन्य ऑर्थोपेडिक डॉक्टर के पास अपना केस रेफर करा लिया, लेकिन इसके बाद दूसरे डॉक्टर ने भी बच्चे का ऑपरेशन नहीं किया.

एक हफ्ते के बाद अचानक बच्चे को ये कहकर दूसरे अस्पताल के लिए रेफर कर दिया कि जिला अस्पताल में बच्चे के ऑपरेशन के लिए जरूरी सामान और दवाई उपलब्ध नहीं है. यही नहीं नर्सों ने वार्ड में भर्ती बच्चे को रोजना दी जाने वाली दवाई का डोज तक देना बंद कर दिया था. बेबस मां-बाप बच्चे का इलाज कराने के लिए रुपए इकट्ठा करने के लिए भटक रहे हैं. जब स्वास्थ्य विभाग के आलाधिकारियों से इस मामले में बात करने की कोशिश की गई, तो उन्होंने जांच कराने की बात कह कर अपना पल्ला झाड़ लिया. वहीं कलेक्टर ने भी जांच के बाद कार्रवाई की बात कही है.

सिवनी। जिला अस्पताल एक बार फिर अपनी करतूतों की वजह से सुर्खियों में है. यहां एक गरीब बच्चे के पैर का ऑपरेशन इसलिए नहीं हो सका, क्योंकि बच्चे के माता-पिता के पास सरकारी डॉक्टर को देने के लिए 8 हजार रुपए रिश्वत के नहीं थे.

पीड़ित बच्चे के परिजनों ने बताया कि स्कूल में प्रार्थना के दौरान गिर जाने के बाद उन्होंने अपने बच्चे को एक हफ्ते पहले जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था. आर्थोपेडिक डॉक्टर लोकेश बिसेन ने बताया कि बच्चे के पैर में फ्रैक्चर है, मामूली सा ऑपरेशन करना होगा, जो जिला अस्पताल में ही हो जाएगा. डॉक्टर ने एक पर्ची पर अपना पता और मोबाइल नम्बर लिखकर बच्चे के मां-बाप को देते हुए कहा कि वो शाम को घर पर आकर मिलें. जब परिजन डॉक्टर के घर पहुंचे तो उसने जिला अस्पताल में ऑपरेशन करने के लिए 8 हजार रुपयों की मांग की. परिजनों के पास रुपए नहीं थे, इसलिए वो डॉक्टर के घर से लौट आए और जिला अस्पताल के ही अन्य ऑर्थोपेडिक डॉक्टर के पास अपना केस रेफर करा लिया, लेकिन इसके बाद दूसरे डॉक्टर ने भी बच्चे का ऑपरेशन नहीं किया.

एक हफ्ते के बाद अचानक बच्चे को ये कहकर दूसरे अस्पताल के लिए रेफर कर दिया कि जिला अस्पताल में बच्चे के ऑपरेशन के लिए जरूरी सामान और दवाई उपलब्ध नहीं है. यही नहीं नर्सों ने वार्ड में भर्ती बच्चे को रोजना दी जाने वाली दवाई का डोज तक देना बंद कर दिया था. बेबस मां-बाप बच्चे का इलाज कराने के लिए रुपए इकट्ठा करने के लिए भटक रहे हैं. जब स्वास्थ्य विभाग के आलाधिकारियों से इस मामले में बात करने की कोशिश की गई, तो उन्होंने जांच कराने की बात कह कर अपना पल्ला झाड़ लिया. वहीं कलेक्टर ने भी जांच के बाद कार्रवाई की बात कही है.

Intro:फिर मानवता हुई शर्मसार
सरकारी जिला अस्पताल में गरीब परिवार के बच्चे का नहीं हो पाया इलाज
महज 8 हजार रुपये न देने पर डॉक्टर ने नही किया बच्चे का ऑपरेशन
रुपये न मिलने पर 7 दिन से भर्ती बच्चे को जबरन कर दिया गया रेफर
रेफर पर्ची बनने के बाद नर्सो ने डेली दवाई का डोज़ देना किया बंद
बेबस परिजनो के पास निजी अस्पताल में बच्चे का इलाज कराने नही है रुपयेBody:एंकर- सिवनी में एक बार फिर मानवता शर्मसार हुई है। सिवनी के सरकारी जिला अस्पताल में भरवगंज निवासी एक गरीब परिवार के बच्चे के पैर का ऑपरेशन इस लिए नही हो पाया क्योंकि बच्चे के माँ बाप के पास ऑपरेशन करने वाले सरकारी डॉक्टर को देने के लिए 8 हजार की मामूली रकम नही थी। परिजनों के मुताबिक सरस्वती मंदिर स्कूल में प्रार्थना दौरान गिर जाने के बाद 7 वर्षीय सूरज शिवेदी को एक हफ्ते पहले जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। डॉक्टर आर्थोपेडिक डॉक्टर लोकेश बिसेन ने बताया बच्चे के पैर में फेक्चर है मामूली सा ऑपरेशन करना होगा जो जिला अस्पताल में ही हो जाएगा। और डॉक्टर ने एक पर्ची में अपना पता और मोबाइल नम्बर लिख कर बच्चे के माँ बाप को देते हुए कहा कि वह शाम को घर पर आकर मिले। जब परिजन डॉक्टर के घर पहुंचे तो उसने जिला अस्पताल में ऑपरेशन करने के लिए 8 हजार रुपयों की मांग की। परिजनों के पास रुपये नही थे इस लिए वह डॉक्टर के घर से लौट आये और जिला अस्पताल के जिला अस्पताल के ही अन्य आर्थोपेडिक डॉक्टर के पास अपना केस रेफर करा लिया। लेकिन इसके बाद दूसरे डॉक्टर ने भी बच्चे का ऑपरेशन नही किया। दूसरे दिन डॉक्टर लोकेश बिसेन ने बच्चे के माँ बाप से जिला अस्पताल में मिलने पर कहा आपने केस रेफर तो करवा लिया पर अब इस अस्पताल में बच्चे का इलाज कोई डॉक्टर नही करेगा। और आखिर कार यही हुआ एक हफ़्ते के बाद आज अचानक बच्चे को यह कह कर अन्य अस्पताल के लिए रेफर कर दिया कि जिला अस्पताल में बच्चे के ऑपरेशन के लिये आवश्यक सामग्री और दवाई उपलब्ध नही है। यही नही नर्सो ने वार्ड में भर्ती बच्चे को रोजना दी जाने वाली दवाई का डोज तक देना बंद कर दिया है। बच्चे के बेबस माँ बाप का बच्चे का इलाज कराने के लिए रुपये इक्कठा करने के लिए भटक रहे है। जब स्वास्थ विभाग के आलाधिकारीयो से बात करने की कोशिश की गई तो मामला दिखावाने की बात कह कर अपना पल्ला झाड़ लिया। वही कलेक्टर को जब इस मसले से अवगत कराया गया तो जांच के बाद कार्रवाई की बात कही है। 

बाइट1- नीमा शिवेदी माँ
बाइट2- देवी प्रसाद शिवेदी पिता
बाइट- प्रवीण सिंह सिवनी कलेक्टरConclusion:
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