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Sehore: सब्जी बेचने वाले की बेटी बनी अग्निवीर सैनिक, जानें सफलता का किसे दिया श्रेय

सीहोर की रहने वाली ईशा कुशवाह का अग्निवीर परीक्षा में चयन हो गया है. इसके साथ ही वह सीहोर जिले की पहली अग्निवीर सैनिक बन गई हैं. इस सफलता के लिए उन्होंने अपने माता-पिता को श्रेय दिया है, उनके पिता सब्जी बेचते हैं.

sehore vegetable seller daughter become agniveer
सीहोर सब्जी विक्रेता की बेटी बनी अग्निवीर
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Published : Feb 7, 2023, 7:25 PM IST

सीहोर सब्जी विक्रेता की बेटी बनी अग्निवीर

सीहोर। मध्यप्रदेश के सीहोर में रहने वाली ईशा कुशवाहा ने जिले का नाम रोशन किया है. ईशा कुशवाहा ने अपना नाम पहली महिला अग्निवीर में दर्ज करा लिया है. उनके पिता सब्जी का व्यापार करते हैं. कड़ी मेहनत के दम पर ईशा ने यह मुकाम हासिल किया है. वह रोजाना सुबह 5 बजे उठकर दौड़ती हैं, साथ ही दिन भर पढ़ाई करती हैं. इसके बाद उन्हें यह सफलता प्राप्त हुई है. अपनी इस सफलता का श्रेय ईशा ने अपने माता-पिता को दिया है, जिनकी प्रेणाओं की बदौलत वह यहां पहुंची हैं.

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ईशा कुशवाह का अग्निवीर में सिलेक्शन: सीहोर के भोपाल नाका क्षेत्र में रहने वाली 19 साल की ईशा कुशवाह का भारतीय सेना के अग्निवीर के लिए चयन हो गया है. वह शहर के शासकीय चंद्रशेखर आजाद महाविद्यालय में बीएससी थर्ड ईयर की छात्रा हैं. ईशा ने बताया कि उन्होंने अग्निवीर में चयन होने के लिए परीक्षा के करीब 3 महीने पहले से ही तैयारियां शुरू कर दी थी, जिसमें वे रोजाना कॉलेज मैदान में कई घंटों तक राउंड लगाती थीं. इसके साथ ही वे डाइट चार्ट को भी फॉलो करती थींं.

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ऐसे अपने आप को फिट बनाती थीं ईशा: ईशा ने बताया कि, "मैंने बचपन में एक बार बॉर्डर देखी थी. तब से ही जुनून हो गया था कि मुझे भी फौज में शामिल होना है. मैंने इसके लिए खूब तैयारी भी की. कॉलेज में मैंने एनसीसी ज्वाइन की. हमें वहां कैंप में भेजकर आर्मी की ट्रेनिंग दी जाती थी. मुझे ट्रेनिंग करने में मजा आता था. फौज में जाने के लिए कड़ी मेहनत चाहिए थी, इसलिए मैं कॉलेज ग्राउंड के 8 से 10 राउंड लगाती थी. मैं एनसीसी के कैंप में भी गई. वहां भी फिजिकल ट्रेनिंग होती थी. सुबह रनिंग करके घर आकर तुरंत कॉलेज जाती थी. वहां से आकर एग्जाम की तैयारी करती थी. कोरोना काल में कुछ समय के लिए मैं रनिंग पर नहीं जा पाती थी, लेकिन मैं घर में रहकर उस वक्त एग्जाम की तैयारी करती थी. जैसे ही लॉकडाउन के बाद छूट मिली, मैं दोबारा रनिंग करने लगी." ईशा की एक बड़ी बहन है वह भी ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रही है, साथ ही उनका एक छोटा भाई भी है जो 12वीं कक्षा में पढ़ता है. उनकी इस उपलब्धि पर लोग उन्हें बधाई देने के लिए पहुंच रहे हैं, उनके घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है.

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ऐसे अपने आप को फिट बनाती थीं ईशा: ईशा ने बताया कि, "मैंने बचपन में एक बार बॉर्डर देखी थी. तब से ही जुनून हो गया था कि मुझे भी फौज में शामिल होना है. मैंने इसके लिए खूब तैयारी भी की. कॉलेज में मैंने एनसीसी ज्वाइन की. हमें वहां कैंप में भेजकर आर्मी की ट्रेनिंग दी जाती थी. मुझे ट्रेनिंग करने में मजा आता था. फौज में जाने के लिए कड़ी मेहनत चाहिए थी, इसलिए मैं कॉलेज ग्राउंड के 8 से 10 राउंड लगाती थी. मैं एनसीसी के कैंप में भी गई. वहां भी फिजिकल ट्रेनिंग होती थी. सुबह रनिंग करके घर आकर तुरंत कॉलेज जाती थी. वहां से आकर एग्जाम की तैयारी करती थी. कोरोना काल में कुछ समय के लिए मैं रनिंग पर नहीं जा पाती थी, लेकिन मैं घर में रहकर उस वक्त एग्जाम की तैयारी करती थी. जैसे ही लॉकडाउन के बाद छूट मिली, मैं दोबारा रनिंग करने लगी." ईशा की एक बड़ी बहन है वह भी ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रही है, साथ ही उनका एक छोटा भाई भी है जो 12वीं कक्षा में पढ़ता है. उनकी इस उपलब्धि पर लोग उन्हें बधाई देने के लिए पहुंच रहे हैं, उनके घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है.

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