सीहोर। प्रदेश सरकार भले ही स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए पानी की तरह पैसा बहा रही है, लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात जैसा ही है. प्रदेश को निरोगी बनाने के सरकारी दावों की पोल आए दिन खुलती रहती है, प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के गृह जिले में ही स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हैं. आलम ये है कि यहां के ट्रामा सेंटर में बेडों का टोटा पड़ा है, जिसके चलते एक ही बेड पर दो से तीन मरीजों का इलाज किया जा रहा है.
सीहोर जिले में गरीबों को तत्काल इलाज मुहैया कराने के लिए ट्रामा सेंटर का निर्माण किया गया था, लेकिन यहां के ज्यादातर मरीजों को भोपाल रेफर कर दिया जाता है. अगर जैसे तैसे इलाज मिलता भी है तो उसके लिए मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ट्रामा टेंसर में एक बेड पर दो से तीन मरीजों का इलाज किया जा रहा है. लिहाजा इलाज करा रहे मरीज एक तरफ करवट तक भी नहीं ले पाते.
इस मामले में जब ट्रामा सेंटर के डॉक्टरों से बात करने की कोशिश की गई तो किसी भी डॉक्टर और अधिकारी ने बोलने से मना कर दिया. आठ करोड़ की लागत से बने इस ट्रामा सेंटर का निर्माण इसलिए किया गया था, ताकि मरीजों को इलाज जिले में ही मिल सके, लेकिन ट्रामा सेंटर के मरीजों के मुताबिक बेड ही नहीं है. अब इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब शिवराज सिंह के गृह जिले में स्वास्थ्य सेवाओं का ये हाल है तो बाकी जिलों का क्या हाल होगा.