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शिवराज सिंह के गृह जिले का ट्रामा सेंटर बदहाल, एक बेड पर 3-3 मरीजों का हो रहा इलाज

अजब मध्यप्रदेश के गजब अस्पताल हैं, जहां एक ही बेड पर तीन-तीन मरीजों का इलाज किया जा रहा है, सीहोर के ट्रामा सेंटर का भी यही हाल है.

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ट्रामा सेंटर में बदहाल स्वास्थ्य सेवाएं
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Published : Nov 28, 2019, 10:55 AM IST

Updated : Nov 28, 2019, 11:39 AM IST

सीहोर। प्रदेश सरकार भले ही स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए पानी की तरह पैसा बहा रही है, लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात जैसा ही है. प्रदेश को निरोगी बनाने के सरकारी दावों की पोल आए दिन खुलती रहती है, प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के गृह जिले में ही स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हैं. आलम ये है कि यहां के ट्रामा सेंटर में बेडों का टोटा पड़ा है, जिसके चलते एक ही बेड पर दो से तीन मरीजों का इलाज किया जा रहा है.

ट्रामा सेंटर में बदहाल स्वास्थ्य सेवाएं

सीहोर जिले में गरीबों को तत्काल इलाज मुहैया कराने के लिए ट्रामा सेंटर का निर्माण किया गया था, लेकिन यहां के ज्यादातर मरीजों को भोपाल रेफर कर दिया जाता है. अगर जैसे तैसे इलाज मिलता भी है तो उसके लिए मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ट्रामा टेंसर में एक बेड पर दो से तीन मरीजों का इलाज किया जा रहा है. लिहाजा इलाज करा रहे मरीज एक तरफ करवट तक भी नहीं ले पाते.

इस मामले में जब ट्रामा सेंटर के डॉक्टरों से बात करने की कोशिश की गई तो किसी भी डॉक्टर और अधिकारी ने बोलने से मना कर दिया. आठ करोड़ की लागत से बने इस ट्रामा सेंटर का निर्माण इसलिए किया गया था, ताकि मरीजों को इलाज जिले में ही मिल सके, लेकिन ट्रामा सेंटर के मरीजों के मुताबिक बेड ही नहीं है. अब इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब शिवराज सिंह के गृह जिले में स्वास्थ्य सेवाओं का ये हाल है तो बाकी जिलों का क्या हाल होगा.

सीहोर। प्रदेश सरकार भले ही स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए पानी की तरह पैसा बहा रही है, लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात जैसा ही है. प्रदेश को निरोगी बनाने के सरकारी दावों की पोल आए दिन खुलती रहती है, प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के गृह जिले में ही स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हैं. आलम ये है कि यहां के ट्रामा सेंटर में बेडों का टोटा पड़ा है, जिसके चलते एक ही बेड पर दो से तीन मरीजों का इलाज किया जा रहा है.

ट्रामा सेंटर में बदहाल स्वास्थ्य सेवाएं

सीहोर जिले में गरीबों को तत्काल इलाज मुहैया कराने के लिए ट्रामा सेंटर का निर्माण किया गया था, लेकिन यहां के ज्यादातर मरीजों को भोपाल रेफर कर दिया जाता है. अगर जैसे तैसे इलाज मिलता भी है तो उसके लिए मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ट्रामा टेंसर में एक बेड पर दो से तीन मरीजों का इलाज किया जा रहा है. लिहाजा इलाज करा रहे मरीज एक तरफ करवट तक भी नहीं ले पाते.

इस मामले में जब ट्रामा सेंटर के डॉक्टरों से बात करने की कोशिश की गई तो किसी भी डॉक्टर और अधिकारी ने बोलने से मना कर दिया. आठ करोड़ की लागत से बने इस ट्रामा सेंटर का निर्माण इसलिए किया गया था, ताकि मरीजों को इलाज जिले में ही मिल सके, लेकिन ट्रामा सेंटर के मरीजों के मुताबिक बेड ही नहीं है. अब इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब शिवराज सिंह के गृह जिले में स्वास्थ्य सेवाओं का ये हाल है तो बाकी जिलों का क्या हाल होगा.

Intro:
सीहोर। सरकार गरीबो को तुरंत और बेहतर इलाज के लिए कई योजनाए चला रही है करोडो रूपए खर्चा कर बेहतर इलाज के दावें करती रही है। मगर पूर्व सीएम के ग्रह जिले में ही स्वास्थ्य सेवांए बदहाल है यहां पर एक एक पलंग पर दो से तीन मरीजो का उपचार चल रहा है । 

Body:जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के ग्रह जिले में गरीबो को तत्काल इलाज मिल सके इसके लिए ट्रामा सेंटर का निर्माण किया गया। मगर इस ट्रामा सेंटर में एक एक पंलग पर दो से तीन मरीजो का उपचार किया जारहा है और इतना ही नही ज्यादतर मरीजो को भोपाल ही रैफर किया जारहा है। यहां पर एक एक पलंग पर दो से तीन मरीजो का उपचार होरहे है जिससे मरीजो को परेशानी का सामना करना पड रहा है। मरीजों चर्चा उपरांत ने की सभी बेड के यही हाल है जंहा पर दो से तीन मरीजों का ही उपचार होरहा हे जिसकी वजह से उन्हें करवट तक नहीं बदलते बन रही है उपचार की जगह परेशानी का सामना करना पढ़ रहा है 

 
बतादें मरीजो को भोपाल रैफर न किया जासके और उचित और तत्काल इलाज मरीजो को मिल सके इसके लिए आठ करोड की लागत से बने ट्रामा सेंटर का लोकार्पण पूर्व सीएम शिवराज ने कराया था मगर आज भी यहां मरीजो को परेशानी का सामना करना पड रहा है यहां पर पलँगो की भारी कमी है। जिसके चलते एक एक पलंग पर दो से तीन मरीजो का उपचार किया जारहा है। अंदाजा इसी बात से लगाया जासकता है जब राजधानी के सबसे नजदीकी जिले का यह हाल है तो अन्य जिलों का क्या हाल होगा।

मामले में जब ईटीवी भारत ने डॉक्टरों से चर्चा करनी चाही तो कोई भी डॉक्टर या अधिकारी कैमरे के सामने नही आया।Conclusion:
Last Updated : Nov 28, 2019, 11:39 AM IST
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