सीहोर। एक ओर तो बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं कि मध्यप्रदेश की सडक़ें अमेरिका से भी बेहतर हैं, लेकिन जब ग्राउंड जीरो पर जाकर देखा जाता है तो पता चलता है कि सड़कों की हालत जर्जर है. मानूसन सीजन के बाद तो सड़कों में गड्ढे कम और गड्ढों में सड़क ज्यादा नजर आ रही है. एक तो अधिकांश सड़कें खराब हैं. वहीं नेशनल और स्टेट हाइवे पर रफ्तार का कहर बीते आठ माह के दौरान कई परिवारों के लिए आंखों में आंसू के कारण बन गए हैं.
बढ़ते ही जा रहे हैं सड़क हादसे : उल्लेखनीय है कि समय-समय पर जिला प्रशासन सड़क दुर्घटनाएं कम करने के लिए पुलिस से समन्वय करने के लिए बैठकें भी करता है और पुलिस सड़क़ सुरक्षा सप्ताह साल में कई बार मनाती है. इन सब प्रयासों के बाद भी जिले में सड़क हादसों का ग्राफ कम होने की बजाय लगातार बढ़ रहे हैं. हालांकि इस वर्ष के पहले के दो साल में कोरोना गाइड लाइन के समय जरूर सड़क हादसे कम हुए थे, लेकिन लॉकडाउन का दौर समाप्त होने के बाद जैसे ही जनजीवन सामान्य हुआ सडक़ों पर मानो मौत नाचने लगी.
ये आंकड़े हैं चिंताजनक : आठ माह की समयावधि के दौरान लगभग 240 दिन होते हैं और इतने कम समय में 745 दुर्घटनाएं हुईं. इससे साफ है कि प्रतिदिन तीन सड़क हादसे जिले में हो रहे हैं. जिले में 186 मौतें आठ माह में हुई हैं यानी कि हर दूसरे दिन एक व्यक्ति की मौत सड़क हादसे में हो रही है. सड़क हादसों में घायलों की संख्या भी काफी अधिक है, 644 लोग घायल हुए हैं. सबसे ज्यादा सड़क हादसे मई माह में हुए, जिसमें 127 लोग घायल हुए, जबकि सबसे कम सड़क हादसे अगस्त माह में हुए, जिसमें 69 लोग घायल हुए. सबसे ज्यादा 35 मौतें जून माह में हुईं, जबकि अप्रैल में 34 लोगों की मौत हुईं. सबसे कम 13 मौतें फरवरी माह में दर्ज हुई हैं. MP Sehore district accident, 186 people died road accidents, Sehore 186 death in 8 months