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वनमंडल की पहलः आदिवासियों को सौंपी महुए के पेड़ों की जिम्मेदारी - आदिवासियों को सौंपी महुआ पेड़ों की जिम्मेदारी

सीहोर जिले में नसरुल्लागंज के ब्लॉक लाड़कुई के वन परिक्षेत्र में आदिवासियों के लिए नई पहल की गई है, इस समय महुआ बीनने का काम भी किया जाता है.

Mahua trees allotted to tribals
कच्चा महुआ
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Published : Apr 19, 2020, 2:39 PM IST

सीहोर। वनमंडल के महुआ मॉडल की अभिनव पहल वनों को आग से बचाने के साथ ही लॉकडाउन में आदिवासियों के लिए कमाई का जरिया बन रही है. वनमंडल अधिकारी के मार्गदर्शन में नसरूल्लागंज के लाड़कुई परीक्षेत्र में ट्रेनी सहायक वन संरक्षक रूबी खान ने महुआ पेड़ों की नंबरिंग करवाई और उन्हें उपलब्धता के मुताबिक लोगों में बांट दिया. प्रत्येक परिवार को उपलब्धता के हिसाब से करीब 6 से 10 पेड़ बांटे गए हैं.

आदिवासियों को सौंपी महुआ के पेड़ों की जिम्मेदारी

इन परिवारों को महुआ इकट्ठा करने और पेड़ों का ख्याल रखने की जिम्मेदारी भी सौंपी है. प्रत्येक परिवार को अलग-अलग पेड़ बांटे गए हैं, जिससे महुआ इकट्ठा करते समय दो परिवारों के बीच में आपसी विवाद और कोरोना संक्रमण होने की संभावना न हो. साथ ही वन विभाग की ओर से मास्क भी दिए गए हैं एवं उचित दूरी के निर्देश भी दिए हैं.

जानकारी के मुताबिक लाड़कुई परिक्षेत्र में महुआ संग्रहण परिवार की संख्या 836 के करीब है और महुआ पेड़ों की संख्या 4500 के करीब है, वहीं अनुमानित संग्रहण महुआ 1200 क्विंटल के करीब है.

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने वनोपज संग्रहण की खरीदी के लिए योजना की घोषणा करते हुए महुआ खरीदी का न्यूनतम समर्थन मूल्य 35 रुपए प्रतिकिलो निर्धारित किया है. इससे लॉकडाउन में मजदूरी न होने के बाद भी गरीब आदिवासी मजदूर वर्ग की आय का साधन बन गया है.

सीहोर। वनमंडल के महुआ मॉडल की अभिनव पहल वनों को आग से बचाने के साथ ही लॉकडाउन में आदिवासियों के लिए कमाई का जरिया बन रही है. वनमंडल अधिकारी के मार्गदर्शन में नसरूल्लागंज के लाड़कुई परीक्षेत्र में ट्रेनी सहायक वन संरक्षक रूबी खान ने महुआ पेड़ों की नंबरिंग करवाई और उन्हें उपलब्धता के मुताबिक लोगों में बांट दिया. प्रत्येक परिवार को उपलब्धता के हिसाब से करीब 6 से 10 पेड़ बांटे गए हैं.

आदिवासियों को सौंपी महुआ के पेड़ों की जिम्मेदारी

इन परिवारों को महुआ इकट्ठा करने और पेड़ों का ख्याल रखने की जिम्मेदारी भी सौंपी है. प्रत्येक परिवार को अलग-अलग पेड़ बांटे गए हैं, जिससे महुआ इकट्ठा करते समय दो परिवारों के बीच में आपसी विवाद और कोरोना संक्रमण होने की संभावना न हो. साथ ही वन विभाग की ओर से मास्क भी दिए गए हैं एवं उचित दूरी के निर्देश भी दिए हैं.

जानकारी के मुताबिक लाड़कुई परिक्षेत्र में महुआ संग्रहण परिवार की संख्या 836 के करीब है और महुआ पेड़ों की संख्या 4500 के करीब है, वहीं अनुमानित संग्रहण महुआ 1200 क्विंटल के करीब है.

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने वनोपज संग्रहण की खरीदी के लिए योजना की घोषणा करते हुए महुआ खरीदी का न्यूनतम समर्थन मूल्य 35 रुपए प्रतिकिलो निर्धारित किया है. इससे लॉकडाउन में मजदूरी न होने के बाद भी गरीब आदिवासी मजदूर वर्ग की आय का साधन बन गया है.

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