ETV Bharat / state

सीहोर: मत्स्य पालन महिलाओं ने सरपंच पर लगाए आरोप, सहायक संचालक मत्स्य उद्योग को सौंपा ज्ञापन

author img

By

Published : Aug 29, 2020, 10:46 AM IST

Updated : Aug 29, 2020, 10:55 AM IST

ग्राम सलकनपुर में महिला स्व सहायता समूह को मछली पालन के लिए पट्टे दिए गए थे, लेकिन महिलाओं ने ग्राम सरपंच के खिलाफ आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज की है और ज्ञापन सौंपते हुए मदद की गुहार लगाई है.

Fisheries women submitted memorandum against sarpanch
मत्स्य पालन महिलाओं ने सरपंच के खिलाफ सौंपा ज्ञापन

सीहोर। जिले के ग्राम सलकनपुर में महिलाओं को प्रोत्साहन और रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से अनेकों महिला स्व सहायता समूह को मछली पालन के लिए तालाबों के पट्टे दिए गए थे. मत्स्य पालन कर महिला समूह और उनका परिवार अपनी आजीविका चला रहे हैं, लेकिन इन तालाबों पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों की नजर है. ऐसा ही एक मामला सामने आया है जहां मत्स्य पालन कार्य में लगी स्व सहायता समूह की महिलाओं ने ग्राम सरपंच के खिलाफ आरोप लगाते हुए शिकायती आवेदन सहायक संचालक मत्स्य उद्योग सीहोर को सौंपा है.

महिला स्व सहायता समूह सलकनपुर बुधनी की अध्यक्ष सुगना बाई और सदस्य महिलाओं ने बताया कि साल 2014 से 2024 तक 10 साल के लिए सलकनपुर बड़ा तालाब का पट्टा उनके समूह को जिला प्रशासन ने आवंटित किया है.

वहीं तालाब में हर साल लाखों की संख्या में समूह मत से भी छोड़ मछली पालन कार्यकर्ता दोनों परिवार अपना जीवन यापन कर रहे हैं. लेकिन ग्राम का सरपंच राजनीतिक दुश्मनी के चलते षडयंत्र पूर्वक पट्टा निरस्त करने की कोशिश कर रहा है.

अध्यक्ष शुभम का आरोप है कि सरपंच तालाब अपने परिजनों के समूह के नाम करवाना चाहता है, जिसके कारण विभाग से समूह की झूठी तारीफ करता है. जबकि समूह नियमानुसार तालाब से मत्स्य पालन का काम कर रहा है.

स्व सहायता समूह की महिलाओं का कहना है कि साल 2018 तक पंचायत शुल्क जमा कर दिया गया है. वहीं सरपंच को 2019 का शुल्क दिया था, लेकिन रसीद नहीं दी गई वहीं जब भी पंचायत कार्यालय पहुंचों तो वहां सरपंच नहीं मिलते हैं और वहां मौजूद कर्मचारी कहते हैं कि बाद में आना रसीद दे देंगे.

वहीं समूह की महिलाओं का आरोप है कि सरपंच विपत सिंह उईके, उप सरपंच कन्हैयालाल कोर समूह की महिलाओं को धमकाते हैं. वहीं गांव में पट्टा निरस्तीकरण करने से गांव वाले तालाब से मछली निकाल रहे हैं. जिससे समूह की महिलाओं को आर्थिक नुकसान हो रहा है. महिलाओं ने बताया कि बीते साल तालाब में तीन लाख मछली के बच्चे छोड़े गए थे, अब मछली बड़ी हो गई है यदि तालाब निरस्तीकरण की कार्रवाई की गई तो महिलाओं को लाखों रुपए का नुकसान होगा और कई परिवार के सामने जीवन यापन का संकट खड़ा हो जाएगा. इस मामले में सहायक संचालक मत्स्य उद्योग भरत सिंह मीणा का कहना है कि शिकायती आवेदन मिला है जिसके बाद जांच दल गठित कर मामले की जांच कराई जाएगी.

सीहोर। जिले के ग्राम सलकनपुर में महिलाओं को प्रोत्साहन और रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से अनेकों महिला स्व सहायता समूह को मछली पालन के लिए तालाबों के पट्टे दिए गए थे. मत्स्य पालन कर महिला समूह और उनका परिवार अपनी आजीविका चला रहे हैं, लेकिन इन तालाबों पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों की नजर है. ऐसा ही एक मामला सामने आया है जहां मत्स्य पालन कार्य में लगी स्व सहायता समूह की महिलाओं ने ग्राम सरपंच के खिलाफ आरोप लगाते हुए शिकायती आवेदन सहायक संचालक मत्स्य उद्योग सीहोर को सौंपा है.

महिला स्व सहायता समूह सलकनपुर बुधनी की अध्यक्ष सुगना बाई और सदस्य महिलाओं ने बताया कि साल 2014 से 2024 तक 10 साल के लिए सलकनपुर बड़ा तालाब का पट्टा उनके समूह को जिला प्रशासन ने आवंटित किया है.

वहीं तालाब में हर साल लाखों की संख्या में समूह मत से भी छोड़ मछली पालन कार्यकर्ता दोनों परिवार अपना जीवन यापन कर रहे हैं. लेकिन ग्राम का सरपंच राजनीतिक दुश्मनी के चलते षडयंत्र पूर्वक पट्टा निरस्त करने की कोशिश कर रहा है.

अध्यक्ष शुभम का आरोप है कि सरपंच तालाब अपने परिजनों के समूह के नाम करवाना चाहता है, जिसके कारण विभाग से समूह की झूठी तारीफ करता है. जबकि समूह नियमानुसार तालाब से मत्स्य पालन का काम कर रहा है.

स्व सहायता समूह की महिलाओं का कहना है कि साल 2018 तक पंचायत शुल्क जमा कर दिया गया है. वहीं सरपंच को 2019 का शुल्क दिया था, लेकिन रसीद नहीं दी गई वहीं जब भी पंचायत कार्यालय पहुंचों तो वहां सरपंच नहीं मिलते हैं और वहां मौजूद कर्मचारी कहते हैं कि बाद में आना रसीद दे देंगे.

वहीं समूह की महिलाओं का आरोप है कि सरपंच विपत सिंह उईके, उप सरपंच कन्हैयालाल कोर समूह की महिलाओं को धमकाते हैं. वहीं गांव में पट्टा निरस्तीकरण करने से गांव वाले तालाब से मछली निकाल रहे हैं. जिससे समूह की महिलाओं को आर्थिक नुकसान हो रहा है. महिलाओं ने बताया कि बीते साल तालाब में तीन लाख मछली के बच्चे छोड़े गए थे, अब मछली बड़ी हो गई है यदि तालाब निरस्तीकरण की कार्रवाई की गई तो महिलाओं को लाखों रुपए का नुकसान होगा और कई परिवार के सामने जीवन यापन का संकट खड़ा हो जाएगा. इस मामले में सहायक संचालक मत्स्य उद्योग भरत सिंह मीणा का कहना है कि शिकायती आवेदन मिला है जिसके बाद जांच दल गठित कर मामले की जांच कराई जाएगी.

Last Updated : Aug 29, 2020, 10:55 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.