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रूढ़िवादी परंपराओं को बेटियों ने दी तिलांजलि, पिता को दी मुखाग्नि - daughters attended fathers funeral

सीहोर में व्यवसायी की मौत के बाद दोनों बेटियों ने पिता को मुखाग्नि दी और सभी क्रिया कर्म की परंपराएं निभाईं.

बेटियों ने पिता को दी मुखाग्नि
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Published : Nov 13, 2019, 8:40 AM IST

Updated : Nov 13, 2019, 10:18 AM IST

सीहोर। सदियों से चली आ रही उस रूढ़िवादी परंपरा को बेटियों ने तिलांजलि दे दी, जिसमें मुखाग्नि देने का अधिकार सिर्फ बेटे का माना जाता था, लेकिन बदलते समय के साथ मान्यताएं भी बदलने लगी हैं और अब बेटियां भी अर्थी को कंधा देने लगी हैं. सीहोर शहर की मेघा और शिखा जैन ने भी इस परंपरा को तोड़ते हुए पिता की मौत के बाद मुखाग्नि दी और क्रिया कर्म की सभी परंपराएं निभाईं.

बेटियों ने पिता को दी मुखाग्नि

चाणक्यपुरी निवासी व्यवसायी अशोक जैन की दो बेटियां हैं. जिनकी शादी हो चुकी है. अशोक जैन का कोई पुत्र नहीं था. जिसके चलते उनकी मृत्यु के बाद ये सवाल उठ रहा था कि अंतिम संस्कार कौन करेगा. जिस पर उनकी दोनों बेटियों ने मिलकर अपने पिता के अंतिम संस्कार करने का फैसला किया और मुक्तिधाम पहुंच कर पिता को मुखाग्नि दी. समाज में विद्यमान पितृसत्तात्मक व्यवस्था को पीछे छोड़ते हुए दोनों बेटियों ने अपना फर्ज निभाया और नई मिसाल पेश की है.

सीहोर। सदियों से चली आ रही उस रूढ़िवादी परंपरा को बेटियों ने तिलांजलि दे दी, जिसमें मुखाग्नि देने का अधिकार सिर्फ बेटे का माना जाता था, लेकिन बदलते समय के साथ मान्यताएं भी बदलने लगी हैं और अब बेटियां भी अर्थी को कंधा देने लगी हैं. सीहोर शहर की मेघा और शिखा जैन ने भी इस परंपरा को तोड़ते हुए पिता की मौत के बाद मुखाग्नि दी और क्रिया कर्म की सभी परंपराएं निभाईं.

बेटियों ने पिता को दी मुखाग्नि

चाणक्यपुरी निवासी व्यवसायी अशोक जैन की दो बेटियां हैं. जिनकी शादी हो चुकी है. अशोक जैन का कोई पुत्र नहीं था. जिसके चलते उनकी मृत्यु के बाद ये सवाल उठ रहा था कि अंतिम संस्कार कौन करेगा. जिस पर उनकी दोनों बेटियों ने मिलकर अपने पिता के अंतिम संस्कार करने का फैसला किया और मुक्तिधाम पहुंच कर पिता को मुखाग्नि दी. समाज में विद्यमान पितृसत्तात्मक व्यवस्था को पीछे छोड़ते हुए दोनों बेटियों ने अपना फर्ज निभाया और नई मिसाल पेश की है.

Intro:सीहोर- रूढ़िवादी परंपराओं को तोड़ बेटियों ने निभाया बेटे होने का फर्ज,

सीहोर- बेटियों ने अपना फर्ज निभाते हुए अपने पिता का अंतिम संस्कार किया। मुक्तिधाम पहुंच कर उन्हें मुखाग्नि देते हुए अंतिम संस्कार के सभी क्रियाकर्म को अंजाम दिया। Body:शहर के व्यवसाई अशोक जैन की दो बेटियां थीं। दोनो बेटियों की उन्होंने शादी भी कर दी थी, अशोक जैन का कोई पुत्र नही था अशोक जेन की मृत्यु उपरांत अंतिम संस्कार कौन करेगा इस बात पर चर्चा शुरू हो गई अशोक जैन की दोनो बेटियों की शादी हो गई था बेटियों को जब इस बात का पता चला तो बिना देरी किये दोनो पुत्रियों मेघा जैन और शिखा जैन ने निर्णय लेते हुवे अपने पिता अशोक जैन का आन्तिम संस्कार करने का निर्णय लिया और अंतिम संस्कार के सभी क्रियाकर्म किए। दोनो पुत्रियों ने पिंडदान से लेकर मुखाग्नि देने की रस्म को निभाया पुत्रियों के इस साहसिक कार्य की समस्त नगर में सराहना की जा रही हैConclusion:
Last Updated : Nov 13, 2019, 10:18 AM IST
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