सतना। हर किसी की जिंदगी में परेशानियां आती है, लेकिन उन परेशानियों में सबसे बड़ी चीज जो होती है, वह यही है कि इंसान ऐसी परिस्थितियों से लड़कर आगे बढ़े या फिर पीछे हट जाए. विपरीत परिस्थिती में कुछ कर दिखाने का ऐसा ही जज्बा सतना की शांति देवी ने दिखाया है.
मिसाल पेश करने वाला उठाया कदम
घर की खराब परिस्थितियों में शांतिदेवी ने एक मिसाल पेश करने वाला कदम उठाया. जो आज ऑटो चलाकर अपने परिवार का जीविकोपार्जन करती है, शांति देवी ने ईटीवी भारत से बातचीत पर अपनी दास्तां बताई. किस तरह मेहनत मजदूरी करके महिला ने पाई-पाई जोड़कर ऑटो खरीदा और आज सतना जिले में शांतिदेवी वह पहली महिला है जो समाज के बीच में ऑटो चला कर अपना परिवार चलाती है. दुनिया कहती है नारी कमजोर है, लेकिन आज भी नारी के हाथों में घर चलाने की डोर है, जी हां ऐसा ही एक जज्बा और मिसाल पेश करने वाली मध्यप्रदेश के सतना जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर कोटर तहसील के बिहरा ग्राम निवासी निवासी शांति देवी पांडेय हैं. जो समाज और देश को एक नई ऊर्जा प्रदान करने वाली महिला है. शांति देवी सतना जिले की ऐसी महिला हैं, जिन्होंने अपने परिवार की स्थिति खराब होने पर मेहनत मजदूरी कर पाई-पाई पैसों को जोड़ा.
सेंकड हैंड ऑटो खरीदकर चलाना शुरु किया
शांति देवी के पति की मानसिक स्थिति खराब होने पर उसकी आर्थिक स्थिति अस्त-व्यस्त हो चुकी थी. ऐसे में शांति देवी ने मेहनत मजदूरी का रास्ता चुना. लेकिन जब इस राह में सफलता के आसार नहीं मिल रहे थे. तब शांति देवी ने एक ऐसा रास्ता चुना जो समाज के लिए एक अलग मिसाल है. शांति देवी सतना जिले के पहली ऐसी महिला हैं, जो ऑटो चलाकर अपने परिवार का जीविकोपार्जन करती है. शांति देवी विगत 3 वर्षों से ऑटो चला रही है, शांति देवी के पति चंद्रमणि पांडेय एक छोटे से कथावाचक थे, शांति देवी के एक पुत्र और एक पुत्री हैं, 5 वर्ष पहले शांति देवी की पति की मानसिक स्थिति खराब हो गई, जिसके बाद शांति देवी मेहनत मजदूरी करके पाई पाई इकट्ठा किया और उसके बाद करीब 80 हजार रूपये का सेकंडहेंड ऑटो खरीदा.
![Shanti Devi](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/mp-sat-01-women-day-story-pkg-10025_06032021171519_0603f_1615031119_560.jpg)
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दिन भर में शांति देवी कमा लेती हैं 200-300
आज ऑटो चलाकर दिन भर में 200 से 300 रुपये कमाकर अपना परिवार चलाती है. ईटीवी भारत से शांति देवी ने बात करते हुए बताया कि उनके पति की तबीयत खराब हो चुकी थी, ऐसे में उनके बच्चों का पालन पोषण करने वाला और कोई नहीं था, ऐसे में मुझे घर के बाहर निकलना पड़ा और मेहनत मजदूरी करके पैसे इकट्ठा किया. 80 हजार रुपये का सेकंड ऑटो लिया, लेकिन शासन प्रशासन से किसी प्रकार का मदद भी नहीं ली. समाज के बीच में ऑटो चलाना पहले बहुत डर लगता था, लेकिन धीरे-धीरे हम हर मुश्किल का सामना करते रहे, और आज सभी ऑटो चालक भी हमारा सहयोग करते हैं.
समाज के अंदर महिलाओं के प्रति शांति देवी एक संदेश दिया है. बाकी महिलाएं भी हमारे जैसे आगे आए और वह अपना हाथ बढ़ा कर जीवकोपार्जन करे. किसी से डरना नहीं चाहिए और दूसरों पर आश्रित नहीं होना चाहिए, लेकिन कोरोना महामारी के बाद से बराबर मजदूरी नहीं निकल पाती. जब थोड़ी स्थितियां सही हुई तो पेट्रोल डीजल के दाम भी आसमान छू रहे हैं, ऐसे में कभी-कभी मजदूरी निकाल पाना बड़ा मुश्किल होता है. दिन भर में करीब 200 से 300 रुपये कमा लेते हैं, शांति देवी देश और समाज के अंदर एक मिसाल के रूप में है.