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व्हाइट टाइगर गोपी की मौत, अधिकारियों में मचा हड़कंप, पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार

मुकुंदपुर व्हाइट टाइगर सफारी में एक व्हाइट टाइगर की मौत हो गई है. जिसके चलते मुकुंदपुर व्हाइट टाइगर सफारी प्रबंधन में हड़कंप मच गया. व्हाइट टाइगर का नाम गोपी बताया जा रहा है.

White Tiger Gopi
व्हाइट टाइगर गोपी
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Published : Dec 24, 2020, 5:10 PM IST

Updated : Dec 24, 2020, 5:40 PM IST

सतना। मुकुंदपुर व्हाइट टाइगर सफारी (Mukundpur White Tiger Safari) में 7 वर्षीय व्हाइट टाइगर गोपी (मेल) की मौत हो गई है. हालांकि व्हाइट टाइगर मेल की मौत की जानकारी पहले तो उजागर नहीं की गई, बाद में टाइगर सफारी प्रबंधन ने गोपी की मौत की पुष्टि कर दी.

Mukundpur White Tiger Safari
मुकुंदपुर व्हाइट टाइगर सफारी

अचानक हुई मौत

बताया जा रहा है कि गोपी की मौत बुधवार की शाम 5 बजे ही हो गई थी. सूत्रों के मुताबिक बाघ के पोस्टमार्टम के लिए जबलपुर से टीम बुलाई गई थी. प्रोटोकॉल के अनुसार पीएम की तैयारी की गई हैं. अभी मौत की वजह सामने नहीं आ पाई है. पीएम रिपोर्ट के बाद ही असली वजह सामने आ पाएगी.

भिलाई से लाया गया गोपी

नवंबर 2013 में गोपी को भिलाई अभ्यारण से टाइगर सफारी मुकुंदपुर लाया गया था. गोपी सफेद नर बाघ था. मुकुंदपुर टाइगर सफारी आने वाले दर्शकों के लिए गोपी सहजता से उपलब्ध हो जाता था. बाड़ी में उछल-कूद करने के साथ ही दौड़ना और अपने शहंशाही अंदाज दर्शकों के समक्ष पिजड़े के बाहर आकर बैठ जाना गोपी की आदत में शुमार था.

बहुत कम बचे हैं व्हाइट टाइगर

विश्व के 13 देशों में नौ प्रजाति के बाघ पाए जाते हैं. इनमें सफेद बाघ भी शामिल हैं. मध्यप्रदेश की रीवा रियासत के राजा मार्तंड सिंह ने वर्ष 1951 में शिकार के दौरान एक बाघ पकड़ा था, जिसका नाम उन्होंने मोहन रखा था. कुछ दिनों बाद उन्हें सफेद बाघिन भी मिली थी, जिसका नाम बेगम रखा गया था. तभी से सफेद बाघों संरक्षित करने की पहल की जा रही है. वैसे तो देश में सबसे ज्यादा 526 बाघ मध्य प्रदेश में ही हैं. लेकिन इनमें व्हाइट टाइगर गिने-चुने ही बचे हैं.

सतना। मुकुंदपुर व्हाइट टाइगर सफारी (Mukundpur White Tiger Safari) में 7 वर्षीय व्हाइट टाइगर गोपी (मेल) की मौत हो गई है. हालांकि व्हाइट टाइगर मेल की मौत की जानकारी पहले तो उजागर नहीं की गई, बाद में टाइगर सफारी प्रबंधन ने गोपी की मौत की पुष्टि कर दी.

Mukundpur White Tiger Safari
मुकुंदपुर व्हाइट टाइगर सफारी

अचानक हुई मौत

बताया जा रहा है कि गोपी की मौत बुधवार की शाम 5 बजे ही हो गई थी. सूत्रों के मुताबिक बाघ के पोस्टमार्टम के लिए जबलपुर से टीम बुलाई गई थी. प्रोटोकॉल के अनुसार पीएम की तैयारी की गई हैं. अभी मौत की वजह सामने नहीं आ पाई है. पीएम रिपोर्ट के बाद ही असली वजह सामने आ पाएगी.

भिलाई से लाया गया गोपी

नवंबर 2013 में गोपी को भिलाई अभ्यारण से टाइगर सफारी मुकुंदपुर लाया गया था. गोपी सफेद नर बाघ था. मुकुंदपुर टाइगर सफारी आने वाले दर्शकों के लिए गोपी सहजता से उपलब्ध हो जाता था. बाड़ी में उछल-कूद करने के साथ ही दौड़ना और अपने शहंशाही अंदाज दर्शकों के समक्ष पिजड़े के बाहर आकर बैठ जाना गोपी की आदत में शुमार था.

बहुत कम बचे हैं व्हाइट टाइगर

विश्व के 13 देशों में नौ प्रजाति के बाघ पाए जाते हैं. इनमें सफेद बाघ भी शामिल हैं. मध्यप्रदेश की रीवा रियासत के राजा मार्तंड सिंह ने वर्ष 1951 में शिकार के दौरान एक बाघ पकड़ा था, जिसका नाम उन्होंने मोहन रखा था. कुछ दिनों बाद उन्हें सफेद बाघिन भी मिली थी, जिसका नाम बेगम रखा गया था. तभी से सफेद बाघों संरक्षित करने की पहल की जा रही है. वैसे तो देश में सबसे ज्यादा 526 बाघ मध्य प्रदेश में ही हैं. लेकिन इनमें व्हाइट टाइगर गिने-चुने ही बचे हैं.

Last Updated : Dec 24, 2020, 5:40 PM IST
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