सतना। मुकुंदपुर व्हाइट टाइगर सफारी (Mukundpur White Tiger Safari) में 7 वर्षीय व्हाइट टाइगर गोपी (मेल) की मौत हो गई है. हालांकि व्हाइट टाइगर मेल की मौत की जानकारी पहले तो उजागर नहीं की गई, बाद में टाइगर सफारी प्रबंधन ने गोपी की मौत की पुष्टि कर दी.
अचानक हुई मौत
बताया जा रहा है कि गोपी की मौत बुधवार की शाम 5 बजे ही हो गई थी. सूत्रों के मुताबिक बाघ के पोस्टमार्टम के लिए जबलपुर से टीम बुलाई गई थी. प्रोटोकॉल के अनुसार पीएम की तैयारी की गई हैं. अभी मौत की वजह सामने नहीं आ पाई है. पीएम रिपोर्ट के बाद ही असली वजह सामने आ पाएगी.
भिलाई से लाया गया गोपी
नवंबर 2013 में गोपी को भिलाई अभ्यारण से टाइगर सफारी मुकुंदपुर लाया गया था. गोपी सफेद नर बाघ था. मुकुंदपुर टाइगर सफारी आने वाले दर्शकों के लिए गोपी सहजता से उपलब्ध हो जाता था. बाड़ी में उछल-कूद करने के साथ ही दौड़ना और अपने शहंशाही अंदाज दर्शकों के समक्ष पिजड़े के बाहर आकर बैठ जाना गोपी की आदत में शुमार था.
बहुत कम बचे हैं व्हाइट टाइगर
विश्व के 13 देशों में नौ प्रजाति के बाघ पाए जाते हैं. इनमें सफेद बाघ भी शामिल हैं. मध्यप्रदेश की रीवा रियासत के राजा मार्तंड सिंह ने वर्ष 1951 में शिकार के दौरान एक बाघ पकड़ा था, जिसका नाम उन्होंने मोहन रखा था. कुछ दिनों बाद उन्हें सफेद बाघिन भी मिली थी, जिसका नाम बेगम रखा गया था. तभी से सफेद बाघों संरक्षित करने की पहल की जा रही है. वैसे तो देश में सबसे ज्यादा 526 बाघ मध्य प्रदेश में ही हैं. लेकिन इनमें व्हाइट टाइगर गिने-चुने ही बचे हैं.