सतना। 20 सालों बाद सतना जिले के बहुचर्चित रामनगर गोलीकांड मामले पर अदालत ने आज फैसला सुनाया है. मामले के 65 आरोपियों में से 49 आरोपियों को 7-7 वर्ष के कारावास के साथ 4-4 हजार के जुर्माने की सजा सुनाई गई है. सभी आरोपियों के खिलाफ अलग-अलग 6 प्रकरणों पर 32 धाराओं के तहत मामला पंजीबद्ध किया गया था. बता दें कि एक आदिवासी युवक की सामान्य मौत पर डॉक्टरों द्वारा पोस्टमार्टम नहीं किए जाने पर ग्रामीणों ने उग्र प्रदर्शन किया था. जिस पर तत्कालीन जिले के एसपी, कलेक्टर समेत पुलिस फोर्स पर पथराव हुआ था और पुलिस की तरफ से भी फायरिंग की गई थी. इस घटना में दोनों ही पक्ष के दर्जनों लोग घायल हुए थे और 3 लोगों की पुलिस फायरिंग में मौत भी हुई थी. (satna shootout) (satna court sentenced accused to seven years)
साल 2002 का है मामला: 30 अगस्त 2002 को रामनगर में एक आदिवासी युवक महेश कोल की सामान्य मौत हो हो गई थी, जिसे सामान मौत बताया गया था, लेकिन डॉक्टरों द्वारा शव का पोस्टमार्टम नहीं किया गया. इससे ग्रामीण आक्रोशित हो गए और भाजपा नेता अरुण द्विवेदी के नेतृत्व में शव को सड़क पर रखकर उग्र प्रदर्शन किया था. प्रदर्शन को शांत कराने के लिए मौके पर तत्कालीन कलेक्टर एसपी समेत भारी मात्रा में पुलिस बल भी मौके पर मौजूद था. हालात इतने बेकाबू हो गए कि उग्र भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को गोली चलानी पड़ी थी, जिससे तीन प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई थी. कई ग्रामीण घायल हो गए थे.
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कोर्ट ने सुनाई सजा: वहीं ग्रामीणों ने भी पुलिस पर पत्थर बरसाये थे. जिसमें तत्कालीन पुलिस अधीक्षक राजाबाबू सिंह समेत कई पुलिसकर्मी घायल हो गए थे. जिसके बाद पुलिस ने आंदोलनकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया. एक ही घटना में पुलिस ने छह अलग-अलग प्रकरण दर्ज किए थे. इसमें भाजपा नेता अरुण द्विवेदी समेत 65 लोगों को आरोपी बनाया गया था. इनके खिलाफ 32 धाराएं लगाई गईं थी. यह मामला 20 वर्षों से न्यायालय में लंबित था. जिस पर आज द्वितीय सत्र न्यायाधीश ने फैसला सुनाया है. कुछ आरोपी नाबालिग थे और कुछ लोगों की मौत हो गई है. शेष 49 आरोपियों को न्यायालय ने 7-7 वर्ष का कारावास और चार 4-4 हजार के अर्थदंड से दंडित किया है, सभी आरोपियों को जेल भेज दिया गया है. (satna shootout) (satna court sentenced accused to seven years) (satna firing case) (satna golikand)