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यहां वोटिंग करना नहीं है आसान, 20 किलोमीटर पैदल चलकर करना पड़ता है मतदान - गांव पड़री
ग्राम पंचायत पड़ीर के उड़ेली गाव से पोलिंग बूथ करीब 20 किलोमीटर दूर है, जिस वजह से कई मतदाता वहां पहुंच नहीं पाते है और जो मतदान करने जाते भी है वो पैदल चल कर जाते है.जंगल से घिरे हुए इस इलाके में आज तक शासन-प्रशासन ने ग्रामीणो की समस्याओं को हल नहीं किया है, लिहाजा अब इन मतदाताओं ने मतदान के बहिष्कार करने का मन बना लिया है.
मतदाता
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Published : Mar 28, 2019, 5:25 PM IST
सतना। मेरा वोट मेरा अधिकार, लोकतंत्र में वोट डालने की कीमत को सतना जिले के चित्रकूट विधानसभा क्षेत्र की ग्राम पंचायत पड़री के उड़ेली गांव के लोग बेहद अच्छी तरह समझते हैं. अपना वोट डालने के लिए 15 से 20 किलोमीटर का सफर तय करना कोई आसान बात नहीं है, बावजूद इसके ये आदिवासी बीहड़ और दुर्गम रास्तों पर चलकर अपना वोट डालने जाते है लेकिन इनकी ये परेशानी प्रशासन को दिखाई नहीं देती जिसके चलते इन्होंने इस लोकसभा चुनाव में वोट नहीं डालने का फैसला किया है.
चित्रकूट विधानसभा क्षेत्र के ग्राम पंचायत पड़री के अंतर्गत 8 गांव आते हैं,जिसमें लगभग 1889 वोटर हैं, विधानसभा चुनाव 2018 के समय भी यहां के 2 पोलिंग बूथ में 1108 वोट पड़े,जबकि 781 वोटर अपने मताधिकार का प्रयोग ही नहीं कर पाए थे.बावजूद इसके सरकार मतदान प्रतिशत बढा़ने के दावे करती है लेकिन चित्रकूट विधानसभा की इसकी असलियत बयां करती है
ग्राम पंचायत पड़ीर के उड़ेली गाव से पोलिंग बूथ करीब 20 किलोमीटर दूर है, जिस वजह से कई मतदाता वहां पहुंच नहीं पाते है और जो मतदान करने जाते भी है वो पैदल चल कर जाते है.जंगल से घिरे हुए इस इलाके में आज तक शासन-प्रशासन ने ग्रामीणो की समस्याओं को हल नहीं किया है, लिहाजा अब इन मतदाताओं ने मतदान के बहिष्कार करने का मन बना लिया है.
मतदाताओं की इस समस्या को लेकर जब क्षेत्र के सहायक निर्वाचन अधिकारी एवं एसडीएम ओम नारायण सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि पड़री के उड़ेली गांव की जो समस्या है,उसका निरीक्षण किया है, मतदाताओं की इस समस्या का निदान करेंगे. ये समस्या आज की नहीं है, चुनाव दर चुनाव इसी समस्या से ग्रामीणों को जूझना पड़ रहा है. ऐसे में सवाल उठता है कि शासन प्रशासन की नींद कब टूटेगी
सतना। मेरा वोट मेरा अधिकार, लोकतंत्र में वोट डालने की कीमत को सतना जिले के चित्रकूट विधानसभा क्षेत्र की ग्राम पंचायत पड़री के उड़ेली गांव के लोग बेहद अच्छी तरह समझते हैं. अपना वोट डालने के लिए 15 से 20 किलोमीटर का सफर तय करना कोई आसान बात नहीं है, बावजूद इसके ये आदिवासी बीहड़ और दुर्गम रास्तों पर चलकर अपना वोट डालने जाते है लेकिन इनकी ये परेशानी प्रशासन को दिखाई नहीं देती जिसके चलते इन्होंने इस लोकसभा चुनाव में वोट नहीं डालने का फैसला किया है.
चित्रकूट विधानसभा क्षेत्र के ग्राम पंचायत पड़री के अंतर्गत 8 गांव आते हैं,जिसमें लगभग 1889 वोटर हैं, विधानसभा चुनाव 2018 के समय भी यहां के 2 पोलिंग बूथ में 1108 वोट पड़े,जबकि 781 वोटर अपने मताधिकार का प्रयोग ही नहीं कर पाए थे.बावजूद इसके सरकार मतदान प्रतिशत बढा़ने के दावे करती है लेकिन चित्रकूट विधानसभा की इसकी असलियत बयां करती है
ग्राम पंचायत पड़ीर के उड़ेली गाव से पोलिंग बूथ करीब 20 किलोमीटर दूर है, जिस वजह से कई मतदाता वहां पहुंच नहीं पाते है और जो मतदान करने जाते भी है वो पैदल चल कर जाते है.जंगल से घिरे हुए इस इलाके में आज तक शासन-प्रशासन ने ग्रामीणो की समस्याओं को हल नहीं किया है, लिहाजा अब इन मतदाताओं ने मतदान के बहिष्कार करने का मन बना लिया है.
मतदाताओं की इस समस्या को लेकर जब क्षेत्र के सहायक निर्वाचन अधिकारी एवं एसडीएम ओम नारायण सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि पड़री के उड़ेली गांव की जो समस्या है,उसका निरीक्षण किया है, मतदाताओं की इस समस्या का निदान करेंगे. ये समस्या आज की नहीं है, चुनाव दर चुनाव इसी समस्या से ग्रामीणों को जूझना पड़ रहा है. ऐसे में सवाल उठता है कि शासन प्रशासन की नींद कब टूटेगी
Intro:"एक मतदान करने के लिए लोगो को 15 से 20 किलोमीटर पैदल जाना पड़ता हैं"
एंकर इंट्रो ----
एक वोट डालने के लिए पैदल चलना पड़ता है,,15 से 20 किलोमीटर,, जी हां यह सुनकर आपको अचंभा जरूर लग रहा होगा लेकिन यह सच है,, यह तस्वीरें आपके सामने है जो इसकी सच्चाई बयां कर रही हैं,, जहां इस बार लोगों ने मतदान ना करने की ठान ली है,, इस लोकसभा चुनाव में पूर्ण रूप से मतदान का बहिष्कार किया जाएगा,, सतना जिले की एक ऐसी पंचायत जिसके अंतर्गत 8 गांव आते हैं,, जिसमें 2 गांव ऐसे हैं,, जहां के लोग मतदान करने के लिए 15 से 20 किलोमीटर पैदल चल कर मतदान केंद्र तक जाते हैं,, दरअसल पूरा क्षेत्र एडी से गिरा हुआ है,,और आज तक इस गांव में शासन-प्रशासन, विधायक, सांसद किसी के द्वारा भी कोई सुविधाएं नहीं प्रदान की गई,, और यही वजह है कि पूरा का पूरा गांव इस बार मतदान का बहिष्कार कर रहा है ।
Body:VO 1---
मतदान का प्रतिशत बढ़ाने के लिए लाखों जतन करने के बाद भी जिले के कुछ ऐसे मतदान केंद्र हैं,,जिनका मतदान प्रतिशत चाहकर भी नहीं बढ़ पाता,, प्रशासन की मतदान प्रतिशत नहीं बढ़ने के पीछे भले ही यह दलील हो कि लोगों की जागरूकता में कमी है,,लेकिन शत प्रतिशत यह सच नहीं है,, क्योंकि मतदान प्रतिशत नहीं बढ़ने के और भी कई कारण हैं,, जिनमें से एक नियमों के अड़ंगेबाजी और दूसरा मतदान केंद्र चयन करने में होने वाली प्रशासनिक चूक भी कह सकते हैं ।
कुछ ऐसे ही असलियत सामना करती हुई है,, सतना जिले के चित्रकूट विधानसभा क्षेत्र के ग्राम पंचायत पड़री,, यहां दो पोलिंग बूथ है,,लेकिन दोनों पोलिंग में से क्रमांक 30, 31 जहां पर मतदान 55 फ़ीसदी से आगे नहीं बढ़ पाता,, क्योंकि चाहे कर भी कई मतदाता मतदान के तक नहीं पहुंच पाते हैं,, मतदान के दौरान आचार संहिता लगी होती है,, मोटरों के वाहन व्यवस्था देना प्रतिबंधित रहता है,, ऐसे में यहां वोटरों को या तो अपने वाहन से जाना होता है या फिर पैदल,, क्योंकि यहां के अधिकांश आबादी आदिवासियों की है,, ऐसे में उनके पास वाहन व्यवस्था लगभग ना के बराबर होती है,, चोरी-छिपे जो वाहन चलाते हैं उनका किराया वोट की कीमत पर करने का कोई भी तैयार नहीं होता है,, ग्राम पंचायत पड़री के अंतर्गत 8 गांव आते हैं,, जिसमें 2 पोलिंग बूथ क्रमांक 30 और 31 है,, 8 गांव में 2 गांव ऐसे हैं,,गांव का नाम उड़ेली है जिसमे दो टोला आते हैं,,जिसकी आबादी लगभग 700 है,,और मतदाता संख्या लगभग 350 है,,जिसकी पोलिंग बूथ से दूरी 15 से 20 किलोमीटर है,, ऐसे में वाहन किराया आने जाने पर ₹50 खर्च करने पड़ते हैं,, बुजुर्गों मोटर या तो वोट डालने नहीं जाती या फिर दूसरों पर निर्भर हो जाते हैं,, लेकिन आज तक ना तो किसी सरकार द्वारा ना ही जिला प्रशासन द्वारा कोई भी सुविधा या साधन ग्रामीणों के लिए उपलब्ध नहीं कराए गए हैं,, आज यही कारण है कि ग्रामीणों ने मतदान बहिष्कार की ठान ली है और इस बार मतदान ना करने के बात कह रहे हैं ।
VO 2---
पड़री पंचायत के अंदर नाइनपुरवा,कबरिन, भरतपुर, वहेलियनपुरवा , बंगीपुरवा, उड़ेली, सेमराहा सहित पड़री ये 8 गांव आते हैं,,जिसमें लगभग 1889 वोटर हैं,, विधानसभा चुनाव 2018 के समय भी यहां के 2 पोलिंग बूथ में 1108 वोट पड़े,, जबकि 781 वोटर अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं कर पाए,, लोकसभा चुनाव में उड़ेली गांव का मतदान केंद्र पड़री स्कूल को ही बनाया गया,, ऐसे में लोकसभा में मतदान 6 मई के दिन ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है,,यही वजह है कि ग्रामीणों ने इस बार मतदान बहिष्कार की ठान ली है,,ग्रामीणों का कहना है इस बार हम अपने गांव से 20 किलोमीटर पैदल मतदान करने नहीं जाएंगे ।
VO 3----
ग्रामीणों का कहना है कि उड़ेली गांव में अगर मतदान केंद्र मनाया जाए तो ग्रामीणों को काफी हद तक राहत मिल सकती है,, क्योंकि वोट डालने के लिए हमें 15 से 20 किलोमीटर जाने के लिए विवश नहीं होना पड़ेगा,, गांव में ही एक शासकीय स्कूल है,, जिसकी दूरी 2 किलोमीटर है,,यहां मतदान की सुविधा उपलब्ध हो सकेगी तो युवाओं सहित बुजुर्ग भी आसानी से मतदान करने जा सकते हैं,, और सभी गांव वासी मताधिकार का उपयोग कर सकेंगे ।
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बृजेश मिश्रा -- ग्रामीण मतदाता ।
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मोहन आदिवासी --- ग्रामीण मतदाता
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राजाराम -- ग्रामीण मतदाता ।
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रामलली -- ग्रामीण मतदाता ।
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वंदना मिश्रा -- ग्रामीण मतदाता ।
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दादू मवासी -- ग्रामीण मतदाता ।
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VO 4---
इस बारे में जब क्षेत्र के सहायक निर्वाचन अधिकारी एवं एसडीएम ओम नारायण सिंह से बात की गई,, तो उन्होंने बताया कि मतदाताओं को निर्भीक तरीके से मतदान कराने हमारा अधिकार है,, ग्राम पंचायत पड़री के उड़ेली गांव की जो समस्या है,,हमने उसका निरीक्षण किया है,, इसके लिए हमने चुनाव आयोग से इसकी सही व्यवस्था कराने की मांग की है,, और चुनाव आयोग जो निर्णय करेगा उसके अनुसार हम काम करेंगे,, साथ ही पिछले चुनाव में भी प्रशासन द्वारा ग्रामीणों से यही बात कही गई थी कि हम मतदान के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराएंगे,, लेकिन आज तक वही समस्या बनी हुई है,, ऐसे में प्रशासन फिर से वही रटी रटाई बातें कहकर,, समस्या को टाल रहा है । अब देखना यह होगा कि प्रशासन कैसी सुविधाएं ग्रामीणों को मुहैया कराता है ।
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ओम नारायण सिंह -- सहायक निर्वाचन अधिकारी सतना ।
Conclusion:VO 5----
गौरतलब है कि इस समस्या को लेकर हर बार जिला प्रशासन पर सवाल खड़े हो रहे हैं,,गांव में शासकीय भवन है,, चिन्हित मतदाता भी हैं,,लेकिन मतदान केंद्र की दूरी की वजह से लोग अपने मताधिकार का उपयोग नहीं कर पाते,, वहीं निर्वाचन अयोग ने लोगों को जागरूक करने प्रचार-प्रसार करने के लिए नारा दिया है कि,, "सारे काम छोड़ दो सबसे पहले वोट दो का स्लोगन अब यहां फीका पड़ता नजर आ रहा है" अब ऐसे में जब मतदान केंद्र ही नहीं होगा तो लोग मतदान कैसे करेंगे ।
VO 6---
आपको बता दें आपको बता दें की सतना जिले की चित्रकूट विधानसभा के अंतर्गत दो राज्य आते हैं,, जो कि पूरा इलाका डकैतो से घिरा हुआ है,,अक्सर यहाँ डकैतो का मूमेंट बना रहता है ,,हाल ही में अभी दोनो राज्यो के बीच साढ़े पांच लाख के इनामी डकैत बबली कोल का मूमेंट यहाँ बना हुआ है,, ऐसे में ग्रामीणों के अंदर डकैतो का भय भी बना रहता है,, और अपने घर में छोटे बच्चो, घर का सामान छोड़कर मतदान करने जाने में एक दहशत सी बनी हुई हैं ।अब देखना यह होगा कि शासन प्रशासन किस प्रकार से सुविधा ग्रामीणों को मुहैया कराता है ।