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51 शक्तिपीठों में से एक है मैहर का मां शारदा मंदिर, माता करती हैं सबकी मुरादें पूरी - satna news

मां शारदा मंदिर का इतिहास लगभग दो हजार साल पुराना है. ये 51 शक्तिपीठों में से एक है. यहां मां शारदा के मंदिर में देश के कोने-कोने से रोजाना हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं.

मैहर में मां शारदा का मंदिर
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Published : Jul 13, 2019, 1:54 PM IST

Updated : Jul 13, 2019, 3:26 PM IST

सतना। जिले के मैहर में स्थित मां शारदा का मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है. बताया जाता है कि मां शारदा की प्रतिमा यहां स्वयंभू है, यानि वे यहां खुद प्रकट हुई हैं. पौराणिक कथाओं के मुताबिक यहां माता सती का हार यहां गिरा था और तब से इस जगह का नाम मैहर पड़ गया.

मैहर की मां शारदा की महिमा है अपरम्पार

मां शारदा मंदिर का इतिहास लगभग दो हजार साल पुराना है. यहां गुरू शंकराचार्य ने मां शारदा की पूजा की थी. यहां मां शारदा के दर्शनों के लिए देश के कोने-कोने से रोजाना हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं.यहां मां के चरणों में प्रसाद के रुप में नारियल, सिंदूर, कपूर, चुनरी और श्रृंगार का सामान चढ़ाकर भक्त अपने आप को धन्य मानते हैं. मां के दरबार में आने वाले सभी भक्तों की मनोकामना पूरी होती है. वहीं प्रशासन आने वाले दर्शनार्थियों की सुरक्षा-व्यवस्था को लेकर काफी इंतजाम करता है.

दरअसल, पहाड़ी पर 600 मीटर की उंचाई पर मां शारदा का भव्य मंदिर बना हुआ है. मंदिर तक जाने के लिये 1 हजार 080 सीढ़ियां बनी हुई हैं. साथ में रोपवे से 140 रुपए का टिकट लेकर भी आने-जाने की सुविधा उपलब्ध है. इस मंदिर का अस्तित्व 6वीं शताब्दी से इतिहास में मिलता है. बताया जाता है कि सन् 1918 में यह मंदिर बहुत छोटा था. मंदिर में आने-जाने के लिए श्रद्धालु पहाड़ी के दुर्गम रास्ते से आते-जाते थे. सन् 1951 में इस मंदिर में सीढ़ियों का निर्माण हुआ और भक्त मां के मंदिर में सीढ़ियों से आने-जाने लगे. धीरे धीरे चैत्र क्ंवार में नवरात्रि का मेला लगने लगा और मेले में लाखों श्रद्धालु मां के दर्शन के लिए आने लगे.

सतना। जिले के मैहर में स्थित मां शारदा का मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है. बताया जाता है कि मां शारदा की प्रतिमा यहां स्वयंभू है, यानि वे यहां खुद प्रकट हुई हैं. पौराणिक कथाओं के मुताबिक यहां माता सती का हार यहां गिरा था और तब से इस जगह का नाम मैहर पड़ गया.

मैहर की मां शारदा की महिमा है अपरम्पार

मां शारदा मंदिर का इतिहास लगभग दो हजार साल पुराना है. यहां गुरू शंकराचार्य ने मां शारदा की पूजा की थी. यहां मां शारदा के दर्शनों के लिए देश के कोने-कोने से रोजाना हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं.यहां मां के चरणों में प्रसाद के रुप में नारियल, सिंदूर, कपूर, चुनरी और श्रृंगार का सामान चढ़ाकर भक्त अपने आप को धन्य मानते हैं. मां के दरबार में आने वाले सभी भक्तों की मनोकामना पूरी होती है. वहीं प्रशासन आने वाले दर्शनार्थियों की सुरक्षा-व्यवस्था को लेकर काफी इंतजाम करता है.

दरअसल, पहाड़ी पर 600 मीटर की उंचाई पर मां शारदा का भव्य मंदिर बना हुआ है. मंदिर तक जाने के लिये 1 हजार 080 सीढ़ियां बनी हुई हैं. साथ में रोपवे से 140 रुपए का टिकट लेकर भी आने-जाने की सुविधा उपलब्ध है. इस मंदिर का अस्तित्व 6वीं शताब्दी से इतिहास में मिलता है. बताया जाता है कि सन् 1918 में यह मंदिर बहुत छोटा था. मंदिर में आने-जाने के लिए श्रद्धालु पहाड़ी के दुर्गम रास्ते से आते-जाते थे. सन् 1951 में इस मंदिर में सीढ़ियों का निर्माण हुआ और भक्त मां के मंदिर में सीढ़ियों से आने-जाने लगे. धीरे धीरे चैत्र क्ंवार में नवरात्रि का मेला लगने लगा और मेले में लाखों श्रद्धालु मां के दर्शन के लिए आने लगे.

Intro:मैहर माॅ शारदा के मंदिर का इतिहास लगभग 2 हजार वर्ष पुरानाBody:मैहर माॅं शारदा जब 51 शक्ति पीठो मे से एक है माॅ शारदा जब सति हुई थी तब माई का हार गिरा था माॅ का हार गिरा तो मैहर नाम पडा

शारदा श्वयम्भू है उनकी प्रतिमा न रखी गई है ना कोई प्रतिस्ठान है मैहर माॅं शारदा स्वंयम प्रकट हुई है

माॅ शारदा के मंदिर का इतिहास लगभग 2 हजार वर्ष पुराना है आदि गुरू शंकराचार्य ने भी माॅ शारदा की पूजा की है

मैहर मे माॅं शारदा के मंदिर मे देश के कोने कोने से प्रति दिन हजारो की संख्या मे श्रध्दालु माॅं शारदा के दर्शन के लिये मैहर आते है

पहाडी पर 600 मीटर की उंचाई मे माॅं शारदा का भव्य मंदिर बना हुआ है मंदिर तक जाने के लिये 1080 सीढि.या बनी हुई है साथ मे रोपवे से 140 रुपए की टिकट लेकर आने जाने की सुविधा उपलब्ध है इस मंदिर का अस्तित्व 6वी शतावदी से इतिहास में मिलता है सन 1918 मे यह मंदिर छोटा सा था मंदिर मे आने जाने के लिये पहाडी मे दुर्गम रास्ते से आते जाते थे सन 1951 मे इस मंदिर मे सीढियो का निर्माण हुआ और श्रध्दालु भक्त माॅ के मंदिर मे सीढि.यो से आने जाने लगे और भीड बढने लगी और धीरे धीरे चैत्र क्ंवर नवरात्रि मेला लगने लगा प्रति वर्ष चैत्र क्ंवर नवरात्रि मेले मे लाखो श्रध्दालु भक्त माॅ शारदा के दर्शन के लिए आने लगे ।

माॅ के चरणो मे प्रसाद मे नारियल सिंदूर कपूर चुनरी श्रंगार का समान चढा कर भक्त अपने आप को धन्य मानते है माॅ के दरबार मे आने वाले माॅ के सभी भक्तो की मनोकामना पूर्ण होती है कि वदन्तियो के अनुसार आज भी माॅ शारदा के परम भक्त आल्हा आज भी माॅ शारदा के प्रथम दर्शन करता हैं और कमल के ताजे फूल माॅ के चरणो में चढता हैं
मैहर माॅ शारदा का मंदिर देश के कोने कोने मे अपनी प्रसिध्दि के लिये मशहूर है यह मंदिर माॅ शारदा शक्ती पीठ के नाम से देश मे तीसरा शक्ती पीठ के नाम से जाना जाता है माॅ शारदा के मंदिर मे सुबह 4 बजे माॅ की आरती एंव भजन के बाद भक्तो कतार मे लग कर दर्शन मिलते है और शाम को 7ः30 बजे आरती एंव भजन होते है उसके बाद मंदिर के पट बन्द हो जाते है

वहीं प्रशासन आने वाले दर्शनार्थियों की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर काफी इंतजाम करता है। मध्यप्रदेश के सतना जिले के मैहर का मां शारदा मंदिर चैत्र एवं क्वांर नवरात्रि में अपना एक विशेष स्थान रखता है लोगों की श्रद्धा और आस्था मैहर वाली माता के लिए नवरात्रि में विशेष तौर से देखी गई है मां शारदा के दर्शन कर मां के भक्त अपने आप को धन्य मानते हैं। मैहर मां शारदा का मंदिर हाई अर्लट जोन माना जाता है प्रशसन के द्वारा जगह-जगह सी.सी.टी.वी कैमरे लगाए गए हैं जिनकी संख्या 125 है चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात है पुलिस फोर्स 800 की संख्या मे पुलिस ड्रेस व सिविल ड्रेस मे किसी भी प्रकार की आतंकवादी गतविधियों से निपटा जा सके और आने वाले दर्शनार्थियों की सुरक्षा की जा सके ।Conclusion:बाइट - सुमित पांडेय - मंदिर पुजारी
Last Updated : Jul 13, 2019, 3:26 PM IST
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