सतना। जिले के मैहर में स्थित मां शारदा का मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है. बताया जाता है कि मां शारदा की प्रतिमा यहां स्वयंभू है, यानि वे यहां खुद प्रकट हुई हैं. पौराणिक कथाओं के मुताबिक यहां माता सती का हार यहां गिरा था और तब से इस जगह का नाम मैहर पड़ गया.
मां शारदा मंदिर का इतिहास लगभग दो हजार साल पुराना है. यहां गुरू शंकराचार्य ने मां शारदा की पूजा की थी. यहां मां शारदा के दर्शनों के लिए देश के कोने-कोने से रोजाना हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं.यहां मां के चरणों में प्रसाद के रुप में नारियल, सिंदूर, कपूर, चुनरी और श्रृंगार का सामान चढ़ाकर भक्त अपने आप को धन्य मानते हैं. मां के दरबार में आने वाले सभी भक्तों की मनोकामना पूरी होती है. वहीं प्रशासन आने वाले दर्शनार्थियों की सुरक्षा-व्यवस्था को लेकर काफी इंतजाम करता है.
दरअसल, पहाड़ी पर 600 मीटर की उंचाई पर मां शारदा का भव्य मंदिर बना हुआ है. मंदिर तक जाने के लिये 1 हजार 080 सीढ़ियां बनी हुई हैं. साथ में रोपवे से 140 रुपए का टिकट लेकर भी आने-जाने की सुविधा उपलब्ध है. इस मंदिर का अस्तित्व 6वीं शताब्दी से इतिहास में मिलता है. बताया जाता है कि सन् 1918 में यह मंदिर बहुत छोटा था. मंदिर में आने-जाने के लिए श्रद्धालु पहाड़ी के दुर्गम रास्ते से आते-जाते थे. सन् 1951 में इस मंदिर में सीढ़ियों का निर्माण हुआ और भक्त मां के मंदिर में सीढ़ियों से आने-जाने लगे. धीरे धीरे चैत्र क्ंवार में नवरात्रि का मेला लगने लगा और मेले में लाखों श्रद्धालु मां के दर्शन के लिए आने लगे.