सतना(Satna)। जिले में ट्रिपल तलाक को लेकर कानून बनने के बाद भी ट्रिपल तलाक जैसी कुप्रथा आज भी जारी है. ऐसा ही एक मामला सामने आया है सतना जिले से जहां एक पति ने अपने पत्नी को सरेआम तीन बार तलाक कहकर उसे डाइवोर्स दे दिया. पीड़िता की शिकायत पर पुलिस ने आरोपी के खिलाफ मुस्लिम महिला( विवाद पर संरक्षण अधिनियम 2019) धारा 4 के तहत मामला दर्ज किया है.
सरेआम पत्नी को दिया तीन तलाक
जिले में तीन तलाक का मामला सामने आया है. जहां आज शबनम आरा नाम की एक मुस्लिम महिला उर्फ सीमा को उसके 36 वर्षीय पति ने मौखिक तौर पर तीन तलाक दे दिया. मामले पर महिला ने थाने जाकर पति के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई. इस मामले पर महिला थाना पुलिस ने आरोपी पति मुख्तार अली सिद्दीकी के खिलाफ धारा 498 आईपीसी और 3/4 दहेज प्रतिषेध अधिनियम और मुस्लिम महिला विवाद संरक्षण अधिनियम 2019 धारा 4 के तहत मामला दर्ज किया है.
महिला ने पति पर दहेज के लिए प्रताड़ित करने का लगाया आरोप
जानकारी के मुताबिक शबनम आरा की शादी साल 2021 को मार्च में नजीराबाद निवासी मुख्तार अली सिद्दीकी के साथ मुस्लिम रीति रिवाज के तहत हुई थी. फरियादी की माने तो शादी के बाद से ही शबनम का पति मुख्तार लगातार उसे दहेज के लिए प्रताड़ित करता रहा. कई बार उसके साथ मारपीट भी की. जिसके बाद महिला ससुराल से अपने मायके चली गई. और फिर महिला ने इसकी शिकायत महिला थाने में की थी. परिवार परामर्श केंद्र में सुलह होने के बाद पति शबनम को अपने घर ले गया.
सुलहा के बाद पति ने फिर वही रवैया अपनाया. शबनम के मायके पक्ष के लोग ईद की बधाई देने उसके ससुराल पहुंचे तभी उसके पति ने शबनम के रिश्तेदारों के सामने हंगामा शुरू कर दिया. और सरेराह सभी के बीच तलाक देता हूं तलाक देता हूं तलाक देता हूं तीन बार कहकर पत्नी को अपने घर से बेदखल कर दिया. इसके बाद शबनम ने अपने परिवार वालों के साथ महिला थाने जाकर पति के खिलाफ ट्रिपल तलाक और दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज करवाया. पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है.
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इस मामले पर सूचना पुलिस अधीक्षक धर्मवीर सिंह यादव से बात की गई तो उन्होंने बताया कि महिला थाना में दहेज प्रताड़ना और मुस्लिम महिला विवाद संरक्षण अधिनियम 2019 के तहत एक केस दर्ज हुआ है. इस मामले पर फरियादी की शादी वर्ष 2021 मार्च में हुई थी. फरियादी ने पति के खिलाफ शिकायत की थी जिसके बाद इस मामले को परिवार परामर्श केंद्र में रखा गया. लेकिन इसके बावजूद भी इस मामले पर कोई भी निष्कर्ष नहीं निकला. उसके बाद पीड़ित महिला ने महिला थाने पहुंचकर शिकायत की थी कि उसके पति ने सार्वजनिक रूप से तीन बार ट्रिपल तलाक बोलकर उसे तलाक दे दिया गया है. जोकि अवैधानिक है. इसके आधार पर हमने दहेज अधिनियम और मुस्लिम महिला विवाद संरक्षण अधिनियम द्वारा 2019 के तहत केस रजिस्टर्ड किया है. केस की तफ्तीश के बाद उसकी चार्जशीट पेश की जाएगी.
तीन तलाक पर क्या है कानून
भारतीय संसद के दोनों सदनों ने मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 पारित किया था. पिछले साल 30 जुलाई को राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद तीन तलाक कानून अस्तित्व में आया. मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 के तहत तीन बार तालक, तलाक, तलाक बोलना अपराध माना गया है.लिखित, मेल, एसएमएस, वॉट्सऐप या किसी अन्य इलेक्ट्रॉनिक चैट के माध्यम से तीन तालक देना अब गैरकानूनी है. जस्टिस चंद्रचूड की बेंच ने कहा कि मुस्लिम महिला(विवाह अधिकार संरक्षण) एक्ट की धारा 3 में मुस्लिम पुरुष एक बार मे तीन तलाक लेना अपराध है. धारा 4 में कहा गया है कि तीन तलाक देने के दोषी पति को तीन साल तक कैद की सजा हो सकती है