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जान जोखिम मे डालकर लोग कर रहे 50 साल पुराने पुल से आना-जाना

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Published : Sep 29, 2019, 6:46 AM IST

मैहर स्थित तिघरा खुर्द गांव में लोगों ने बरसात के मौसम मे जुगाडु तरीके से अनोखा झूला रूपी पुल लकड़ी से बनाया है, जिससे तीन हजार आठ सौ नब्बे की आबादी इसी पुल से होकर आती- जाती है.

लोग कर रहे 50 साल पुराने पुल से आना-जाना

सतना। आधुनिक युग मे लोग जान जोखिम मे डालकर बरसात के मौसम मे किस तरह जुगाड़ के साधन से जीवन यापन कर रहे है यह नजारा अपको देखना मध्यप्रदेश के मैहर स्थित तिघरा खुर्द गाँव में मिलेगा जहाँ अनोखा झूला रूपी पुल लकड़ी से बनाया गया है, इस पुल के मजबूती के लिये लोहे की तार से इस पुल को दोनो तरफ बाँधा गया है,तीन हजार आठ सौ नब्बे की आबादी वाले इस गाँव के लोग इसी पुल से होकर आते जाते है.
गाँव वालों की जान पर सामत तो तब आ जाती है जब गाँव के समीप टमस नदी बाढ़ मे होती है, ऐसे मे लकड़ी का पुल सहित पूरा एरिया पानी मे डूब जाता है और ग्रामीण गाँव मे ही कैद रह जाते है,ऐसे में अत्यंत आवश्यक कार्य पड़ने पर ग्रामीण लकड़ी के पुल पर बँधी लोहे की तार पर चढ़कर एक तरफ से दूसरी तरफ का रास्ता तय करते है.ऐसे मे जिंदगी कब मौत का स्वरूप लेले यह कहना अतिश्योक्ति नही होगा.

लोग कर रहे 50 साल पुराने पुल से आना-जाना
गाँव के रोजगार सहायक मनोज पटेल ने बताया कि गाँव में पुल बनने के लिये सेंसन हो चुकी है पर निर्माण कार्य अभी शुरू नही हो सका है,यहाँ बाढ़ में बहुत खराब हालत हो जाती है लोग गाँव मे ही कैद हो जाते है.बरसात के दिनों मे जान जोखिम में डालकर लोग एक तरफ से दूसरी तरफ आते जाते है. वही जनपद सीईओ ने बताया कि वहाँ 50साल पुराना पुल है जो जनसहयोग से बना था उसी पुल से गाँव आता -जाता है बरसात के दिनों में ओभर फ्लो हो जाता है जिससे दिक्कत होती है, हमने नाप करवा प्रस्ताव मंगवाया है, जिसे जिले में भेजेगें और जल्द पुल निर्माण कार्य हो सके.अब देखने वाली बात यह होगी की और कितने साल इस पुल को बनने में लगते है.

सतना। आधुनिक युग मे लोग जान जोखिम मे डालकर बरसात के मौसम मे किस तरह जुगाड़ के साधन से जीवन यापन कर रहे है यह नजारा अपको देखना मध्यप्रदेश के मैहर स्थित तिघरा खुर्द गाँव में मिलेगा जहाँ अनोखा झूला रूपी पुल लकड़ी से बनाया गया है, इस पुल के मजबूती के लिये लोहे की तार से इस पुल को दोनो तरफ बाँधा गया है,तीन हजार आठ सौ नब्बे की आबादी वाले इस गाँव के लोग इसी पुल से होकर आते जाते है.
गाँव वालों की जान पर सामत तो तब आ जाती है जब गाँव के समीप टमस नदी बाढ़ मे होती है, ऐसे मे लकड़ी का पुल सहित पूरा एरिया पानी मे डूब जाता है और ग्रामीण गाँव मे ही कैद रह जाते है,ऐसे में अत्यंत आवश्यक कार्य पड़ने पर ग्रामीण लकड़ी के पुल पर बँधी लोहे की तार पर चढ़कर एक तरफ से दूसरी तरफ का रास्ता तय करते है.ऐसे मे जिंदगी कब मौत का स्वरूप लेले यह कहना अतिश्योक्ति नही होगा.

लोग कर रहे 50 साल पुराने पुल से आना-जाना
गाँव के रोजगार सहायक मनोज पटेल ने बताया कि गाँव में पुल बनने के लिये सेंसन हो चुकी है पर निर्माण कार्य अभी शुरू नही हो सका है,यहाँ बाढ़ में बहुत खराब हालत हो जाती है लोग गाँव मे ही कैद हो जाते है.बरसात के दिनों मे जान जोखिम में डालकर लोग एक तरफ से दूसरी तरफ आते जाते है. वही जनपद सीईओ ने बताया कि वहाँ 50साल पुराना पुल है जो जनसहयोग से बना था उसी पुल से गाँव आता -जाता है बरसात के दिनों में ओभर फ्लो हो जाता है जिससे दिक्कत होती है, हमने नाप करवा प्रस्ताव मंगवाया है, जिसे जिले में भेजेगें और जल्द पुल निर्माण कार्य हो सके.अब देखने वाली बात यह होगी की और कितने साल इस पुल को बनने में लगते है.
Intro:आधुनिक युग मे लोग जान जोखिम मे डालकर बरसात के मौसम मे किस तरह जुगाड़ के साधन से जीवन यापन कर रहे है यह देखना है तो आप मध्यप्रदेश के मैहर स्थित तिघरा खुर्द गाँव जाईये, यहाँ आपको अनोखा झूला रूपी पुल देखने को मिलेगा, जिसे लकड़ी से बनाया गया है, इस पुल के मजबूती के लिये लोहे की तार से इस पुल को दोनो तरफ बाँधा गया है,तीन हजार आठ सौ नब्बे (3890) की आबादी वाले इस गाँव के लोग इसी पुल से होकर आते जाते हैBody:गाँव वालों की जान पर सामत तो तब आ जाती है जब गाँव के समीप से होकर निकली टमस नदी बाढ़ मे होती है, ऐसे मे लकड़ी का पुल सहित पूरा एरिया पानी मे डूब जाता है और ग्रामीण गाँव मे ही कैद रह जाते है,ऐसे में अत्यंत आवश्यक कार्य पड़ने पर ग्रामीण लकड़ी के पुल पर बँधी लोहे की तार पर चढ़कर एक तरफ से दूसरी तरफ का रास्ता तय करते है,ऐसे मे जिंदगी कब मौत का स्वरूप लेले यह कहना अतिश्योक्ति नही होगा !इतना ही नही इसी लकड़ी के पुल से चलकर छात्र छात्राये,बाईक सवार, साइकिल सवार व ग्रामीण निकलते है पर यह इनके द्वारा उत्साहित होकर या करतब दिखलाने के लिये नही किया जा रहा बल्की मजबूरी है जो कि आजादी के बाद कितनी सरकारे बनी और बिगड़ी पर आज तलक एक पुल गाँव को नसीब नही हो सका।गाँव को मुख्य मार्ग पर जोड़ने के लिये रपटे के ऊपर एक अदद पुल की जरूरत है जो कि आज तलक नही बन सकी है, ग्रामीणों ने लकड़ी व लोहे की तार से एक झूले रूपी पुल का निर्माण कर रखा है जिससे होकर हर दिन गाँव के बच्चे क्या बूढ़े क्या नौजवान सभी का आना जाना होता है,गाँव के रोजगार सहायक मनोज पटेल से बात की गई तो उन्होंने बताया कि गाँव में पुल बनने के लिये सेंसन हो चुकी है पर निर्माण कार्य अभी शुरू नही हो सका है,यहाँ बाढ़ में बहुत खराब हालत हो जाती है लोग गाँव मे ही कैद हो जाते है।वही गाँव के शिक्षक देवेन्द कुमार दुवेदी ने बताया कि बाढ़ की हालत में स्थित बहुत खराब हो जाती है गाँव चारो तरफ पहाड़ो से घिरा है, लकड़ी का झूला पुल बना है उस पुल के चार-पाँच फिट ऊपर से पानी बहता है ऐसे में बच्चे स्कूल नही जा पाते दो से तीन शिक्षक गाँव के बाहर से स्कूल पढ़ाने आते है पर वह नही आ पाते,गाँव के कुछ बच्चे अमदरा पढ़ने जाते है जो कि वह भी नही जा पाते, सुना है पुल सेंसन हो गया है भूमि पूजन हो गया है पर जब तक निर्माण कार्य शुरू नही हो जाता तब तक कुछ कहा नही जाता 10-15 साल तो हमे ही देखते हो गया कि यहाँ की हालत कितनी खराब हो जाती है बरसात के दिनों मे जान जोखिम में डालकर लोग एक तरफ से दूसरी तरफ आते जाते है।गाँव की ही रामबाई ने बताया कि एक बार बाढ़ आ जाने पर आठ दिनों तक पानी नही उतरता जिससे पुल से आना जाना बंद हो जाता है, साग सब्जी लेने नही जा पाते राशन चूक गया तो भूखे पेट ही सोना पड़ता है, बीमार होने पर गाँव पर कैद होकर रह जाते है।इतना ही नही छात्रा अन्नू कोल ने बताया कि बाढ़ आने पर हम स्कूल नही जा पाते काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।इसी तरह गांव के ग्रामीण विश्वनाथ,मुकेश,महेंद्र ने पुल न होने से हो रही परेशानियो का अपनी जुबानी बतलाई।पूरे मामले पर जनपद सीईओ से बात की गई तो उन्होंने बताया कि वहाँ 50साल पुराना पुल है जो जनसहयोग से बना था उसी पुल से गाँव के आते जाते है बरसात के दिनों में ओभर फ्लो हो जाता है जिससे दिक्कत होती है, हमने नाप करवा प्रस्ताव मंगवाया है जिसे जिले में भेजेगे और कोशिस करेगे की जल्द पुल निर्माण कार्य हो सके।बहरहाल तिघरा खुर्द गाँव के निवासी बीते 50 सालों से एक पुल की दरकार पर अपनी आँखो से टकटकी लगाए बैठे है अब देखने वाली बात होगी की और कितने साल इस पुल को नसीब होने बीतते है।Conclusion:बाइट:-- अन्नू कोल,स्कूली छात्रा
बाइट:-- मुकेश पटेल,ग्रामीण
बाइट:-- रामबाई, ग्रामीण महिला
बाइट:-- विश्वनाथ, ग्रामीण
बाइट:-- वेदमनी पांडेय, जनपद सीईओ-मैहर,
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