ETV Bharat / state

कुर्बानी को तैयार 'बाहुबली'! घास-फूस नहीं दूध-अनाज इसका आहार, इसकी खूबसूरती कर दे दीवाना - eid ul ajaha 2021

ईद-उल-अजहा यानि बकरीद के समय बकरों की डिमांड बढ़ जाती है, ऐसे में उम्दा नस्ल के बकरों की बोली लगती है. एक ऐसे बकरे की बात कर रहे हैं, जिसकी खासियत जान आप भी हैरान रह जाएंगे. यह बकरा पहला माना जा सकता है, जिसकी कद-काठी और खूबसूरती का हर कोई दीवाना है.

bahubali
बाहुबली
author img

By

Published : Jul 19, 2021, 12:42 PM IST

Updated : Jul 19, 2021, 1:40 PM IST

सतना। एक ऐसा बकरा जिसकी खासियत जान हर कोई हैरान है, जिसकी कीमत करीब सवा लाख रुपए है. इस बकरे का नाम बाहुबली है. यह बकरा महज 25 माह की उम्र का है. इसकी खूबसूरत कद-काठी बाकी बकरों से बिल्कुल अलग है. हर कोई इस बकरे को देखना चाहता है. इसे राजस्थान के जयपुर से लाया गया है. यह गुजरी नस्ल का बकरा है. जिसकी अब तक सवा लाख रुपए की बोली लग चुकी है. यह बकरा हरा चारा और पत्तियां नहीं खाता, बल्कि दूध पीने के अलावा मक्का, चना, ज्वार, सोयाबीन खाता है.

कुर्बानी को तैयार 'बाहुबली'

सतना जिले के नजीराबाद निवासी मोहम्मद आरिफ के घर में बाहुबली नाम का बकरा है, आमतौर पर सामान्य बकरों की अपेक्षा इसकी बनावट सबसे अलग है, इसकी खूबसूरती की खूब चर्चा है. बाहुबली के दूध पीने के अंदाज से लेकर इसकी कीमत पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय है. आने वाली 21 तारीख को बकरीद के मौके पर मुस्लिम रीति-रिवाज के अनुसार इस बकरे की कुर्बानी दी जाएगी.

King of the kings है यह बकरा, डाइट में लेता है- 2 किलो दूध, 500 ग्राम देसी घी-मक्खन

बाहुबली की खासियत

बाहुबली के मालिक आरिफ ने बताया कि यह राजस्थान की गुजरी नस्ल का बकरा है, इसकी हाइट लेंथ अच्छी होती है और काफी बड़े होते हैं, जोकि मध्यप्रदेश में नहीं पाए जाते हैं. लगभग 44 इंच इसकी हाइट है और तकरीबन 120 किलो इसका वजन है.

क्या है बाहुबली का आहार?

यह मध्यप्रदेश में पाई जाने वाली नस्ल नहीं है, यह राजस्थान में पाया जाता है. आरिफ ने इसे डेढ़ साल पहले राजस्थान से मंगाया था. बाहुबली को खाने में चना-मक्का-सोयाबीन व एक लीटर दूध रोजाना दिया जाता है. यह दोनों टाइम में रोजाना 3 किलो आहार लेता है.

कैसे करते हैं बाहुबली की देखरेख

बकरे बाहुबली को सुबह टहलाने के बाद उसे खाने को देते हैं. उसके बाद यह पूरे दिन आराम करता है. शाम होते ही उसे टहलाने के बाद फिर आहार दिया जाता है. इसके रहने के लिए कूलर-पंखे की व्यवस्था की गई है और सप्ताह में 2 दिन इसे नहलाया जाता है.

बाहुबली को कैसे लाया?

मोहम्मद आरिफ ने बताया कि बकरे बाहुबली को राजस्थान की राजधानी जयपुर से ट्रेन के माध्यम से कटनी तक लाया था, कटनी के बाद उसे कार के जरिये सतना अपने घर तक लाये थे.

बकरे का नाम बाहुबली क्यों रखा
इस बकरे की कद काठी को देखते हुए उसके मालिक मोहम्मद आरिफ ने इसका नाम बाहुबली रखा है, इसका वजन और लंबाई-चौड़ाई ज्यादा होने से इसकी खूबसूरती बढ़ जाती है. जिससी वजह से उन्होंने इसका नाम बाहुबली रखा है.

सतना। एक ऐसा बकरा जिसकी खासियत जान हर कोई हैरान है, जिसकी कीमत करीब सवा लाख रुपए है. इस बकरे का नाम बाहुबली है. यह बकरा महज 25 माह की उम्र का है. इसकी खूबसूरत कद-काठी बाकी बकरों से बिल्कुल अलग है. हर कोई इस बकरे को देखना चाहता है. इसे राजस्थान के जयपुर से लाया गया है. यह गुजरी नस्ल का बकरा है. जिसकी अब तक सवा लाख रुपए की बोली लग चुकी है. यह बकरा हरा चारा और पत्तियां नहीं खाता, बल्कि दूध पीने के अलावा मक्का, चना, ज्वार, सोयाबीन खाता है.

कुर्बानी को तैयार 'बाहुबली'

सतना जिले के नजीराबाद निवासी मोहम्मद आरिफ के घर में बाहुबली नाम का बकरा है, आमतौर पर सामान्य बकरों की अपेक्षा इसकी बनावट सबसे अलग है, इसकी खूबसूरती की खूब चर्चा है. बाहुबली के दूध पीने के अंदाज से लेकर इसकी कीमत पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय है. आने वाली 21 तारीख को बकरीद के मौके पर मुस्लिम रीति-रिवाज के अनुसार इस बकरे की कुर्बानी दी जाएगी.

King of the kings है यह बकरा, डाइट में लेता है- 2 किलो दूध, 500 ग्राम देसी घी-मक्खन

बाहुबली की खासियत

बाहुबली के मालिक आरिफ ने बताया कि यह राजस्थान की गुजरी नस्ल का बकरा है, इसकी हाइट लेंथ अच्छी होती है और काफी बड़े होते हैं, जोकि मध्यप्रदेश में नहीं पाए जाते हैं. लगभग 44 इंच इसकी हाइट है और तकरीबन 120 किलो इसका वजन है.

क्या है बाहुबली का आहार?

यह मध्यप्रदेश में पाई जाने वाली नस्ल नहीं है, यह राजस्थान में पाया जाता है. आरिफ ने इसे डेढ़ साल पहले राजस्थान से मंगाया था. बाहुबली को खाने में चना-मक्का-सोयाबीन व एक लीटर दूध रोजाना दिया जाता है. यह दोनों टाइम में रोजाना 3 किलो आहार लेता है.

कैसे करते हैं बाहुबली की देखरेख

बकरे बाहुबली को सुबह टहलाने के बाद उसे खाने को देते हैं. उसके बाद यह पूरे दिन आराम करता है. शाम होते ही उसे टहलाने के बाद फिर आहार दिया जाता है. इसके रहने के लिए कूलर-पंखे की व्यवस्था की गई है और सप्ताह में 2 दिन इसे नहलाया जाता है.

बाहुबली को कैसे लाया?

मोहम्मद आरिफ ने बताया कि बकरे बाहुबली को राजस्थान की राजधानी जयपुर से ट्रेन के माध्यम से कटनी तक लाया था, कटनी के बाद उसे कार के जरिये सतना अपने घर तक लाये थे.

बकरे का नाम बाहुबली क्यों रखा
इस बकरे की कद काठी को देखते हुए उसके मालिक मोहम्मद आरिफ ने इसका नाम बाहुबली रखा है, इसका वजन और लंबाई-चौड़ाई ज्यादा होने से इसकी खूबसूरती बढ़ जाती है. जिससी वजह से उन्होंने इसका नाम बाहुबली रखा है.

Last Updated : Jul 19, 2021, 1:40 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.