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पिछले दस साल में सतना में हुईं 1846 आगजनी की घटनाएं, प्रदूषण बना सिरदर्द

मध्यप्रदेश के सतना जिले में औद्योगिक क्षेत्र में आगजनी की घटनाएं होतीं रहतीं हैं. लेकिन इन पर पर्दा डाल दिया जाता है. आइए जानते हैं कि सतना में पिछले 10 सालों में कितनी आगजनी की घटनाएं हुईं.

Incidents of arson in Satna
सतना में आगजनी की घटनाएं
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Published : Dec 30, 2020, 11:07 PM IST

सतना। अक्सर आपने देखा होगा कि आगजनी की घटनाओं को लेकर कई मौतें हो चुकी हैं. ज्यादातर घटनाएं औद्योगिक क्षेत्रों में सामने आती हैं. आगजनी की घटनाएं बड़े-बड़े गोदाम, उद्योग, व्यापार, कारखाने, हॉस्पिटल, विद्यालय, महाविद्यालय, कोचिंग सेंटर्स, बड़ी बड़ी बिल्डिंग में अक्सर देखने को मिलती हैं. इसकी मुख्य वजह होती है कि आगजनी की घटनाओं को देखते हुए अधिकांश जगह पर आगजनी के लेकर फायर सुरक्षा के मापदंड नहीं होते हैं. फायर सुरक्षा के मापदंड ना होने की वजह से बड़ी-बड़ी आगजनी की घटना सामने आती रहती हैं. शासन प्रशासन केवल कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति करते हैं. आगजनी की घटनाओं को लेकर सरकारें भी गंभीर नहीं नजर आती हैं. जब कोई बड़ी घटना होती है तो प्रशासन की नींद खुलती है.

सतना में आगजनी की घटनाएं

कई घटनाएं आईं सामने

मध्यप्रदेश के सतना जिले में औद्योगिक क्षेत्रों में आगजनी की घटनाओं को लेकर अगर हम बात करें तो अभी तक में करीब 5 बड़ी घटनाएं सामने आईं हैं जिसमें जनहानि तो नहीं हुई. लेकिन धन हानि काफी बड़ी मात्रा में हुई है. फायर विभाग द्वारा लगातार औद्योगिक क्षेत्रों में बड़े-बड़े गोदामों एवं उद्योग व्यापार में अल्टीमेटम दिया जाता है कि फायर सुरक्षा के मापदंडों के तहत फायर सिलेंडर का उपयोग जरूर करें. ताकि आगजनी की घटनाओं से बचा जा सके.

फायर अधीक्षक आरपी सिंह

जिलें में सीमेंट प्लांट हो रहे संचालित

सतना जिले में लगभग 12 फ़ीसदी से सीमेंट का उत्पादन होता है, यहां पर बिड़ला, प्रिज़्म, जेपी, रिलायंस, केजेएस, अल्ट्राटेक जैसे बड़े औद्योगिक घराने हैं, इसके अलावा यूसीएल, विंध्या बोर्ड्स, रामाप्लाई जैसे बड़े उद्योग हैं. यह सभी खतरों से खाली नहीं है. फायर सुरक्षा के मापदंडों की अगर हम बात करें तो खतरों से खेल रहे हैं. इन सभी जगहों पर आगजनी की घटनाएं तो होती हैं. लेकिन फैक्ट्री प्रबंधन द्वारा उसे दबा लिया जाता है.

इंडस्ट्रियल एरिया में होतीं हैं कई घटनाएं

जिले में स्थापित बड़ी-बड़ी सीमेंट फैक्ट्रियों में होने वाली आगजनी की घटना है तो अंदर ही दब जाती है, लेकिन उससे निकलने वाला प्रदूषण आसपास के क्षेत्रों में काफी प्रभावित करता है. सतना शहर में स्थित बिरला सीमेंट प्लांट के पास घुरडांग निवासी स्थानीय लोगों ने बताया कि फैक्ट्री के अंदर कई बार आग की बड़ी घटनाएं हो चुकी हैं. हालांकि इसे तो अंदर ही दबा लिया जाता है. लेकिन उसमें निकलने वाला धुआ आसपास के क्षेत्रों में बीमारियां पैदा करता है. क्षेत्र वासियों ने बताया कि यहां पर दमा, श्वास, अस्थमा जैसी बड़ी बीमारियां फैक्ट्री के धुएं की वजह से होती हैं. फैक्ट्री के अंदर बड़ी मात्रा में कोयला भी जलाया जाता है, जिससे निकालने वाला डस्ट एवं धुआं पूरा क्षेत्र को काफी प्रभावित करता है, स्थानीय लोगों ने कई बार शासन प्रशासन स्तर पर से कायदे की लेकिन नतीजा सिफर ही रहा, और आज भी स्थानीय लोग इस फैक्ट्री का दंश झेल रहे हैं.

आगजनी के आंकड़े

  • साल 2011 में 154 घटनाएं
  • साल 2012 में 236 घटनाएं
  • साल 2013 में 183 घटनाएं
  • साल 2014 में 205 घटनाएं
  • साल 2015 में 187 घटनाएं (जिसमें शहर 64, ग्रामीण 123)
  • वर्ष 2016 में 178 घटनाएं (जिसमें शहर 83, ग्रामीण 95)
  • वर्ष 2017 में 212 घटनाएं (जिसमें शहर 114, ग्रामीण 98)
  • वर्ष 2018 में 179 घटनाएं (जिसमें शहर 68, ग्रामीण 111)
  • वर्ष 2019 में 149 घटनाएं (जिसमें शहर 90, ग्रामीण 59)
  • वर्ष 2020 में 163 घटनाएं (जिसमें शहर 66, ग्रामीण 97)

प्रदेश में सबसे ज्यादा राजस्व देने वाले जिलों में से सतना जिला भी शामिल किया गया है. इंदौर भोपाल जैसे बड़ी सिटी के बाद सतना जिले से राजस्व यहां से राज्य सरकार को मिलता है, करीब 25 करोड़ से अधिक टैक्स जिले से जाता है, लेकिन इस जिले में सुविधाओं को लेकर हमेशा अटकले सामने आती रहती हैं.

सतना। अक्सर आपने देखा होगा कि आगजनी की घटनाओं को लेकर कई मौतें हो चुकी हैं. ज्यादातर घटनाएं औद्योगिक क्षेत्रों में सामने आती हैं. आगजनी की घटनाएं बड़े-बड़े गोदाम, उद्योग, व्यापार, कारखाने, हॉस्पिटल, विद्यालय, महाविद्यालय, कोचिंग सेंटर्स, बड़ी बड़ी बिल्डिंग में अक्सर देखने को मिलती हैं. इसकी मुख्य वजह होती है कि आगजनी की घटनाओं को देखते हुए अधिकांश जगह पर आगजनी के लेकर फायर सुरक्षा के मापदंड नहीं होते हैं. फायर सुरक्षा के मापदंड ना होने की वजह से बड़ी-बड़ी आगजनी की घटना सामने आती रहती हैं. शासन प्रशासन केवल कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति करते हैं. आगजनी की घटनाओं को लेकर सरकारें भी गंभीर नहीं नजर आती हैं. जब कोई बड़ी घटना होती है तो प्रशासन की नींद खुलती है.

सतना में आगजनी की घटनाएं

कई घटनाएं आईं सामने

मध्यप्रदेश के सतना जिले में औद्योगिक क्षेत्रों में आगजनी की घटनाओं को लेकर अगर हम बात करें तो अभी तक में करीब 5 बड़ी घटनाएं सामने आईं हैं जिसमें जनहानि तो नहीं हुई. लेकिन धन हानि काफी बड़ी मात्रा में हुई है. फायर विभाग द्वारा लगातार औद्योगिक क्षेत्रों में बड़े-बड़े गोदामों एवं उद्योग व्यापार में अल्टीमेटम दिया जाता है कि फायर सुरक्षा के मापदंडों के तहत फायर सिलेंडर का उपयोग जरूर करें. ताकि आगजनी की घटनाओं से बचा जा सके.

फायर अधीक्षक आरपी सिंह

जिलें में सीमेंट प्लांट हो रहे संचालित

सतना जिले में लगभग 12 फ़ीसदी से सीमेंट का उत्पादन होता है, यहां पर बिड़ला, प्रिज़्म, जेपी, रिलायंस, केजेएस, अल्ट्राटेक जैसे बड़े औद्योगिक घराने हैं, इसके अलावा यूसीएल, विंध्या बोर्ड्स, रामाप्लाई जैसे बड़े उद्योग हैं. यह सभी खतरों से खाली नहीं है. फायर सुरक्षा के मापदंडों की अगर हम बात करें तो खतरों से खेल रहे हैं. इन सभी जगहों पर आगजनी की घटनाएं तो होती हैं. लेकिन फैक्ट्री प्रबंधन द्वारा उसे दबा लिया जाता है.

इंडस्ट्रियल एरिया में होतीं हैं कई घटनाएं

जिले में स्थापित बड़ी-बड़ी सीमेंट फैक्ट्रियों में होने वाली आगजनी की घटना है तो अंदर ही दब जाती है, लेकिन उससे निकलने वाला प्रदूषण आसपास के क्षेत्रों में काफी प्रभावित करता है. सतना शहर में स्थित बिरला सीमेंट प्लांट के पास घुरडांग निवासी स्थानीय लोगों ने बताया कि फैक्ट्री के अंदर कई बार आग की बड़ी घटनाएं हो चुकी हैं. हालांकि इसे तो अंदर ही दबा लिया जाता है. लेकिन उसमें निकलने वाला धुआ आसपास के क्षेत्रों में बीमारियां पैदा करता है. क्षेत्र वासियों ने बताया कि यहां पर दमा, श्वास, अस्थमा जैसी बड़ी बीमारियां फैक्ट्री के धुएं की वजह से होती हैं. फैक्ट्री के अंदर बड़ी मात्रा में कोयला भी जलाया जाता है, जिससे निकालने वाला डस्ट एवं धुआं पूरा क्षेत्र को काफी प्रभावित करता है, स्थानीय लोगों ने कई बार शासन प्रशासन स्तर पर से कायदे की लेकिन नतीजा सिफर ही रहा, और आज भी स्थानीय लोग इस फैक्ट्री का दंश झेल रहे हैं.

आगजनी के आंकड़े

  • साल 2011 में 154 घटनाएं
  • साल 2012 में 236 घटनाएं
  • साल 2013 में 183 घटनाएं
  • साल 2014 में 205 घटनाएं
  • साल 2015 में 187 घटनाएं (जिसमें शहर 64, ग्रामीण 123)
  • वर्ष 2016 में 178 घटनाएं (जिसमें शहर 83, ग्रामीण 95)
  • वर्ष 2017 में 212 घटनाएं (जिसमें शहर 114, ग्रामीण 98)
  • वर्ष 2018 में 179 घटनाएं (जिसमें शहर 68, ग्रामीण 111)
  • वर्ष 2019 में 149 घटनाएं (जिसमें शहर 90, ग्रामीण 59)
  • वर्ष 2020 में 163 घटनाएं (जिसमें शहर 66, ग्रामीण 97)

प्रदेश में सबसे ज्यादा राजस्व देने वाले जिलों में से सतना जिला भी शामिल किया गया है. इंदौर भोपाल जैसे बड़ी सिटी के बाद सतना जिले से राजस्व यहां से राज्य सरकार को मिलता है, करीब 25 करोड़ से अधिक टैक्स जिले से जाता है, लेकिन इस जिले में सुविधाओं को लेकर हमेशा अटकले सामने आती रहती हैं.

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